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Published 09:42 IST, September 3rd 2024

7 साल में खोया पिता... 15 में टूटा सपना, सुमित अंतिल ने इसके बाद सिर्फ रिकॉर्ड तोड़ा, रुला देगी कहानी

Sumit Antil Struggle Story: सुमित अंतिल की संघर्ष की कहानी तो बचपन से ही शुरू हो गई थी। महज 7 साल की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ गया था।

Reported by: Ritesh Kumar
भारतीय पैरा एथलीट सुमित अंतिल | Image: X

Sumit Antil Wins Gold Medal: पैरालंपिक 2024 शुरू होने से पहले ही 140 करोड़ भारतीयों को उम्मीद थी कि स्टार जैवलिन एथलीट सुमित अंतिल मेडल जरूर जीतेंगे। सोमवार को हुए फाइनल राउंड में सुमित ने सनसनी मचा दी। पेरिस ओलंपिक में नीरज चोपड़ा गोल्ड मेडल जीतने में नाकाम रहे थे। उन्हें सिल्वर से संतोष करना पड़ा था। इससे भारतीय फैंस को झटका लगा था, लेकिन अब सुमित ने पैरालंपिक में रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन कर भारतीयों को झूमने का मौका दिया है।

सुमित अंतिल ने एक बार फिर वही कमाल किया जिसके लिए वो जाने जाते हैं। यानि गोल्ड मेडल तो जीतो, लेकिन नए रिकॉर्ड के साथ। उन्होंने F64 मेंस जैवलिन इवेंट में नया पैरालंपिक रिकॉर्ड बनाकर स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। उन्होंने अपना ही रिकॉर्ड तोड़कर पेरिस में भारत का परचम लहराया।

2015 में टूटा था सुमित का सपना

पैरालंपिक खेलों में रिकॉर्ड तोड़ने वाले सुमित अंतिल का 9 साल पहले बड़ा सपना टूटा था। वो बचपन से ही पहलवान बनना चाहते थे और देश के लिए ओलंपिक में मेडल जीतना चाहते थे। हालांकि, किस्मत को कुछ और मंजूर था। सुमित जब 16 साल के थे तब ट्यूशन से घर लौटने के दौरान उनका भयानक एक्सीडेंट हो गया। दर्दनाक घटना में उन्हें गंभीर चोट लगी और उन्हें अपना दाहिना पैर गंवाना पड़ा। इसके साथ ही उनके पहलवान बनने का सपना टूट गया। इस हादसे से रेसलर बनने का सपना तो चकनाचूर हो गया, लेकिन इसके 2 साल बाद शुरू हुई दूसरे सपने की कहानी।

2017 में अपने ही गांव में एक पैरा एथलीट रह चुके एथलीट राजकुमार के कहने पर सुमित अंतिल ने पैरा स्पोर्ट्स में करियर बनाने का मन बनाया। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। टोक्यो पैरालंपिक में भी सुमित ने गोल्ड मेडल जीता और अब चार साल बाद भी रिकॉर्ड थ्रो के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

7 साल की उम्र में उठा पिता का साया

सुमित अंतिल की संघर्ष की कहानी तो बचपन से ही शुरू हो गई थी। महज 7 साल की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ गया था। उनके पिता आर्मी में थे और सुमित भी फौज में भर्ती होना चाहते थे। दुखों का पहाड़ टूटने के बाद मां ने हिम्मत दिखाई और बेटे को खेलों में आगे बढ़ने का हौसला दिया। 

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Updated 09:57 IST, September 3rd 2024

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