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पब्लिश्ड 22:33 IST, August 30th 2024

बच्चे GPS से घर वापस आने के लिए कहते थे, Paris में मेडल जीतने के बाद इस खिलाड़ी ने सुनाई भावुक कहानी

बच्चे GPS से घर वापस आने के लिए कहते थे, Paris में मेडल जीतने के बाद इस खिलाड़ी ने सुनाई भावुक कहानी

रुला देगी पेरिस पैरालंपिक की मेडलिस्ट इस खिलाड़ी की कहानी | Image: SAI

Paris Paralympics 2024: दो बच्चों की मां मोना अग्रवाल हर दिन निशानेबाजी परिसर में उस समय भावुक हो जाती थी जब उनके बच्चे वीडियो कॉल पर मासूमियत से यह समझते थे कि वह घर वापस आने का रास्ता भूल गई हैं और उन्हें वापस लौटने के लिए जीपीएस की मदद लेनी होगी।

पहली बार पैरालंपिक खेलों में भाग ले रही 37 साल की मोना ने शुक्रवार को महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल में कांस्य पदक जीता। वह काफी समय तक स्वर्ण पदक की दौड़ में बनी हुई थी जो अंततः भारत की अवनि लेखरा के पास गया।

अपने बच्चों से दूर रहने और यहां तक कि वित्तीय समस्याओं का सामना करने के संघर्षों से गुजरने के बाद मोना ने पैरालंपिक में पदक जीतने का अपना सपना पूरा किया।

मोना ने मीडिया को बताया- 

जब मैं अभ्यास के लिए जाती थी तो अपने बच्चों को घर पर छोड़ना पड़ता था। इससे मेरा दिल दुखता था। मैं हर दिन उन्हें वीडियो कॉल करती थी और वे मुझसे कहते थे, ‘मम्मा आप रास्ता भूल गयी हो, जीपीएस पर लगा के वापस आ जाओ। मैं अपने बच्चों से बात करते समय हर शाम रोती थी। फिर मैंने उन्हें सप्ताह में एक बार फोन करना शुरू कर दिया।

मोना ने अन्य बाधाओं के बीच वित्तीय कठिनाइयों का सामना करने को भी याद किया।

उन्होंने कहा, ‘‘वह मेरा सबसे मुश्किल समय में से एक था, वित्तीय संकट एक और बड़ी समस्या थी। मैंने यहां तक पहुंचने के लिए वित्तीय तौर पर काफी संघर्ष किया है। मैं आखिरकार सभी संघर्षों और बाधाओं से पार पाकर पदक हासिल करने में सक्षम रही। मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है।’’

मोना ने कहा, ‘‘यह मेरा पहला पैरालंपिक है, मैंने ढाई साल पहले ही निशानेबाजी शुरू की थी और इस अवधि के अंदर पदक जीतना शानदार रहा।’’

पोलियो से पीड़ित मोना ने कहा कि उन्होंने खेल में अपना करियर बनाने के लिए 2010 में घर छोड़ दिया था लेकिन 2016 तक उन्हें नहीं पता था कि पैरालंपिक जैसी प्रतियोगिताओं में उनके लिए कोई गुंजाइश है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे 2016 से पहले पता नहीं था कि हम किसी भी खेल में भाग ले सकते हैं। जब मुझे अहसास हुआ कि मैं कर सकती हूं, तो मैंने खुद को यह समझने की कोशिश की कि मैं अपनी दिव्यांगता के साथ खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकती हूं। मैंने तीन-चार खेलों में हाथ आजमाने के बाद निशानेबाजी को चुना।’’

ये भी पढ़ें- नीरज से जो काम रहा अधूरा, वो इस खिलाड़ी ने किया पूरा; Paris में GOLD जीतने पर PM मोदी ने दी बधाई

अपडेटेड 22:33 IST, August 30th 2024

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