Published 08:47 IST, September 11th 2024

Radha Ashtami 2024: राधा पूजन के बाद जरूर बोलें ये 16 लाइनें, वरना अधूरी रह जाएगी पूजा..

Radha rani aarti lyrics in hindi: राधा अष्टमी पर यदि आप राधा रानी की पूजा करने जा रहे हैं तो यह पूजा यहां दी गई 16 लाइनों के बिना अधूरी है। जानते हैं...

राधा अष्टमी पर जरूर बोलें ये... | Image: Freepik
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Radha rani aarti lyrics in hindi: राधा रानी के भक्त न जानें राधा रानी को किन-किन नाम से पुकारते हैं। कोई उन्हें लाडली कहता है तो कोई श्रीजी। वहीं राधा अष्टमी पर मथुरा वृंदावन जाने वाले लोगों की भीड़ यह दर्शाती है कि राधा रानी के न जानें ऐसे कितने भक्त हैं जो उनके दर्शन के लिए बेकरार हैं। ऐसे में यदि आप भी राधा अष्टमी पर राधा रानी को प्रसन्न करना चाहते हैं और आपने व्रत रखा हुआ है तो बता दें कि आपकी पूजा राधा रानी की आरती के बिना अधूरी है। 

आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेक के माध्यम से बताएंगे कि राधा रानी की कौन सी आरती उन्हें सुना सकते हैं। पढ़ते हैं आगे… 

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राधा रानी की आरती

आरती राधाजी की कीजै।
कृष्ण संग जो कर निवासा, कृष्ण करे जिन पर विश्वासा।
आरती वृषभानु लली की कीजै। आरती

कृष्णचन्द्र की करी सहाई, मुंह में आनि रूप दिखाई।
उस शक्ति की आरती कीजै। आरती

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नंद पुत्र से प्रीति बढ़ाई, यमुना तट पर रास रचाई।
आरती रास रसाई की कीजै। आरती

प्रेम राह जिनसे बतलाई, निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई।
आरती राधाजी की कीजै। आरती

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दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती।
आरती दु:ख हरणीजी की कीजै। आरती

दुनिया की जो जननी कहावे, निज पुत्रों की धीर बंधावे।
आरती जगत माता की कीजै। आरती

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निज पुत्रों के काज संवारे, रनवीरा के कष्ट निवारे।
आरती विश्वमाता की कीजै। आरती राधाजी की

दूसरी आरती

आरती श्री वृषभानुसुता की,
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥

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त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,
विमल विवेकविराग विकासिनि ।
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,
सुन्दरतम छवि सुन्दरता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानुसुता की..॥

मुनि मन मोहन मोहन मोहनि,
मधुर मनोहर मूरति सोहनि ।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि,
प्रिय अति सदा सखी ललिता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानुसुता की..॥

संतत सेव्य सत मुनि जनकी,
आकर अमित दिव्यगुन गनकी ।
आकर्षिणी कृष्ण तन मनकी,
अति अमूल्य सम्पति समता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानुसुता की..॥

। आरती श्री वृषभानुसुता की ।

कृष्णात्मिका, कृष्ण सहचारिणि,
चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि ।
जगजननि जग दुखनिवारिणि,
आदि अनादिशक्ति विभुता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानुसुता की..॥

आरती श्री वृषभानुसुता की,
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

08:21 IST, September 11th 2024