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पब्लिश्ड 13:03 IST, January 18th 2025

Mauni Amavasya 2025 Date: कब है मौनी अमावस्या? नोट करें डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Mauni Amavasya 2025 Date: अगर आप मौनी अमावस्या का व्रत करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको इसकी तारीख और शुभ मुहूर्त आदि के बारे में जान लेना चाहिए।

मौनी अमावस्या 2025 की तारीख | Image: Freepik

Mauni Amavasya 2025 Date, Muhurat: हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसे मौनी अमावस्या इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन लोग मौन व्रत करके भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इतना ही नहीं इस दिन मौन व्रत करने के साथ-साथ स्नान-ध्यान किए जाने की परंपरा भी है।

माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन जो लोग गंगा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, सरस्वती और नर्मदा नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। ऐसे में अगर आप भी मौनी अमावस्या का व्रत करने जा रहे हैं तो आपको इसकी तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जान लेना चाहिए।

मौनी अमावस्या 2025 की तारीख (Mauni Amavasya 2025 Date)

पंचांग के अनुसार, माघ अमावस्या 28 जनवरी को रात 07 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 29 जनवरी को शाम यानी 06 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में सनातन धर्म में उदया तिथि के मुताबिक इस साल बुधवार, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या मनाई जाएगी।

मौनी अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त और योग (Mauni Amavasya 2025 Muhurat aur Yog)

मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है। ऐसे में 29 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 25 मिनट से लेकर 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप किसी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं। इस दिन रात 9 बजकर 22 मिनट पर सिद्धि योग का निर्माण भी होने वाला है जो शुभ कार्य के लिए उत्तम समय माना जाता है। इसलिए आप इस दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य कर सकते हैं।

मौनी अमावस्या 2025 पूजा विधि (Mauni Amavasya 2025 Puja Vidhi)

  • मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  • मौनी अमावस्या पर बोलना वर्जित होता है। इसलिए सुबह उठते ही मौन व्रत धारण करें।
  • सुबह गंगा नदी आदि में स्नान करें और अगर ऐसा नहीं हो सकता है तो आप घर में पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं।
  • अब सर्वप्रथम भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद दक्षिण दिशा में मुख कर पितरों को जल का अर्घ्य दें।
  • अब भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति को घर के मंदिर में स्थापित कर उनकी पूजा पूरे विधि-विधान से करें।
  • इस समय विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्रों का जाप जरूर करें।
  • पूजा-पाठ, दान-पुण्य करने के बाद आप मौन व्रत खोल सकते हैं। 

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

अपडेटेड 13:03 IST, January 18th 2025

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