Published 09:44 IST, December 15th 2024
Margashirsha Purnima Aarti: आज के दिन जरूर पढ़ें विष्णुजी और मां लक्ष्मी की ये आरती, चमक जाएगा भाग्य
Margashirsha Purnima 2024 Aarti: मार्गशीर्ष पूर्णिमा के मौके पर आपको इस आरती का पाठ जरूर करना चाहिए।
- धर्म और आध्यात्मिकता
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Margashirsha Purnima Aarti: आज यानी रविवार, 15 दिसंबर को मार्गशीर्ष पूर्णिमा मनाई जा रही है। हर साल मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को मार्गशीर्ष पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा किए जाने की परंपरा है। कहते हैं आज के दिन विष्णुजी और लक्ष्मीजी की पूजा व व्रत करने से व्यक्ति के सभी दुखों का नाश होता है और उसका जीवन खुशहाली से भर जाता है।
इतना ही नहीं मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान करने से साधक को कारोबार में सफलता की प्राप्ति होती है। वहीं इस दिन पूजा के दौरान दौरान आपको भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती जरूर करनी चाहिए। आइए जानते हैं कि ये विशेष आरती किस प्रकार से है।
भगवान विष्णु की आरती (Vishnuji ki aarti)
ॐ जय जगदीश हरे आरती
ॐ जय जगदीश हरे...
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे...
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे...
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे...
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे...
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे...
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे...
लक्ष्मी जी की आरती (Maa Lakshmi ki aarti)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
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Updated 09:44 IST, December 15th 2024