अपडेटेड 08:27 IST, January 30th 2025
Magh Gupt Navratri 2025: गुप्त नवरात्रि आज से शुरू, नोट करें घटस्थापना का समय और सही पूजन विधि
Magh Gupt Navratri 2025 Muhurat: आज से माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। आइए जानते हैं इस दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त क्या होगा।
Magh Gupt Navratri 2025: हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। वैसे तो साल में चार बार नवरात्रि उत्सव मनाया जाता है, जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि ज्यादा प्रचलित हैं। हालांकि इससे अलग साल में दो बार गुप्त नवरात्रि भी मनाई जाती हैं। गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से माघ और आषाढ़ माह में मनाई जाती हैं।
ऐसे में अगर बात करें माघ में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि की तो यह आज यानी गुरुवार, 30 जनवरी से शुरू हो रही है। जिसका समापन शुक्रवार, 07 फरवरी को होगा। गुप्त नवरात्रि, गोपनीय साधनाओं के लिए जानी जाती है। इसमें भक्त देवी दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा करते हैं।
माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा भान के साथ गुप्त नवरात्रि का व्रत करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है और मां दुर्गा का आशीर्वाद हमेशा भक्तों पर बना रहता है। वहीं, सामान्य नवरात्रि की तरह ही गुप्त नवरात्रि में भी घटस्थापना किए जाने का विधान है।
इसलिए अगर आप भी आज से गुप्त नवरात्रि की पूजा-पाठ शुरू करने जा रहे हैं तो आपको घटस्थाना के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जान लेना चाहिए।
गुप्त नवरात्रि की घटस्थापना का शुभ मुहूर्त (Gupt Navratri Kalashsthapna Muhurat)
पंचांग के अनुसार, माघ गुप्त नवरात्रि यानी गुरुवार, 30 जनवरी के दिन सुबह 09 बजकर 25 मिनट से सुबह 10 बजकर 46 मिनट तक घट स्थापना का शुभ मुहूर्त रहेगा। वहीं अगर बात करें कलश स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त की तो वह दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक है। इस मुहूर्त में कलश की स्थापना करना काफी फलदायी रहेगा।
गुप्त नवरात्रि में घट स्थापना की पूजा विधि (Gupt Navratri Kalashsthapna Puja Vidhi)
- गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन घट स्थापना से पहले मंदिर की साफ-सफाई करें।
- अब लकड़ी की एक चौकी पर साफ लाल कपड़ा बिछाएं।
- इसके बाद चौकी पर थोड़े से चावल रखें और फिर इसके ऊपर जल से भरा हुआ कलश रख दें।
- अब कलश के ऊपर अशोक के पत्ते रखने के बाद इस पर लाल चुनरी में लपेटा हुआ एक नारियल रख दें।
- घट स्थापना करने के बाद मां दुर्गा समेत महाविद्याओं का पूजन आरंभ करें।
- जिसमें पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा किए जाने का विधान है।
- माता की पूजा करने के दौरान उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं।
- अब उन्हें फूल, चंदन, कुमकुम, बताशा आदि अर्पित करें।
- इसके बाद माता को किसी मिष्ठान का भोग लगाकर इसे प्रसाद के रूप में घर के सभी सदस्यों में वितरित करें।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
पब्लिश्ड 08:00 IST, January 30th 2025