Published 13:45 IST, September 28th 2024
Ahoi Ashtami 2024 Date: कब है अहोई अष्टमी? नोट करें डेट, मुहूर्त, भोग और पूजा विधि
Ahoi Ashtami 2024 Date and Time: अगर आपको भी इंतजार है अहोई अष्टमी को तो चलिए जान लेते हैं कि ये व्रत किस दिन रखा जाएगा।
Ahoi Ashtami 2024 Date: हिंदू धर्म में हर व्रत-त्योहार का बेहद खास महत्व होता है। अहोई अष्टमी का व्रत भी इस धर्म में काफी महत्वपूर्ण है। हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की दीघार्यु, अच्छे स्वास्थ्य, खुशहाली और तरक्की के लिए व्रत कर अहोई माता की पूजा अर्चना करती हैं।
अहोई माता का व्रत बेहद कठिन होता है। इस व्रत को बिना किसी फल या अनाज के सेवन के बगैर निर्जला रखना होता है। पूरे दिन निर्जला उपवास करने के बाद रात को तारों को देखकर उन्हें अर्घ्य दिया जाता है जिसके बाद व्रत का पारण किया जाता है। आइए जानते हैं कि इस बार अहोई अष्टमी का व्रत अक्टूबर महीने में किस तारीख को पड़ रहा है।
अहोई अष्टमी 2024 में कब है ( Ahoi Ashtami 2024 Date)
इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर को सुबह 1 बजकर 18 मिनट से शुरू हो जाएगी और इसका समापन 25 अक्टूबर को सुबह 1 बजकर 58 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल अहोई अष्टमी का व्रत गुरुवार, 24 अक्टूबर के दिन रखा जाएगा।
अहोई अष्टमी 2024 पूजा मुहूर्त (Ahoi Ashtami 2024 Puja Muhurat)
पंचांग के अनुसार, अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 42 मिनट से शाम 06 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। इस 01 घंटे 16 मिनट की अवधि में भक्त अहोई माता की पूजा कर सकते हैं। ये मुहूर्त सबसे उत्तम रहेगा। वहीं इस दिन तारों को देखने का समय शाम 06 बजकर 06 मिनट पर होगा। यानी तारों को देखकर माताएं अर्घ्य देकर व्रत का पारण भी कर सकती हैं।
अहोई अष्टमी पूजा विधि ( Ahoi Ashtami 2024 Puja Vidhi)
- अहोई अष्टमी वाले दिन व्रत रखने वाली सभी महिलाओं को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कार्य कर लेने चाहिए।
- इसके बाद महिलाएं मंदिर जाकर व्रत रखने का संकल्प करती हैं।
- शाम को अहोई माता की पूजा करने के शुभ मुहूर्त के समय विधि-विधान से माता की पूजा की जाती है।
- पूजन के लिए महिलाएं शाम को दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाती है और उनके आसपास सेई व सेई के बच्चे बनाती हैं।
- वहीं, कुछ लोग बाजार से रंगीन चित्र लाकर भी अहोई माता की पूजा भी करते हैं।
- अब जैसे ही सूर्यास्त के बाद तारे निकलते हैं वैसे ही आपको माता अहोई की पूजा करनी चाहिए।
- इसके लिए माता के सामने दीया प्रज्वलित करें।
- जल कलश भरकर रखें, दूध-भात, हलवा, खील, मालपुआ आदि का भोग लगाएं।
- फिर माता अहोई से संतान की दीर्घायु और मंगलकामना की प्रार्थना करें।
- अब तारों व चंद्रमा को अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करें अथवा व्रत का पारण करें।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Updated 13:45 IST, September 28th 2024