पब्लिश्ड 11:47 IST, January 19th 2025
जहां से अंग्रेजों को चकमा देकर भाग निकले थे सुभाष चंद्र बोस, जब उस घर गए PM मोदी... 'मन की बात' में बताया कैसा था वो अनुभव?
PM मोदी ने मन की बात में कहा कि सुभाष बाबू एक विजनरी थे। साहस तो उनके स्वभाव में रचा-बसा था | इतना ही नहीं, वे बहुत कुशल प्रशासक भी थे।
- प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी
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PM Modi Mann ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार महीने के तीसरे रविवार पर देशवासियों को 'मन की बात' के जरिए संबोधित किया। वैसे तो उनका यह रेडियो कार्यक्रम हर महीने के आखिरी रविवार को होता है, लेकिन गणतंत्र दिवस की वजह से इस बार 'मन की बात' एक हफ्ते आयोजित हुआ। यह साल 2025 का पहला मन की बात का एपिसोड था।
PM मोदी ने 'मन की बात' के 118वें एपिसोड को संबोधित करते हुए देशवासियों को गणतंत्र दिवस की बधाई दी। उन्होंने इस बार के गणतंत्र दिवस को बेहद विशेष बताया। इसके अलावा वह इस दौरान महाकुंभ 2025, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा, ISRO के डॉकिंग मिशन, स्टार्टअप इंडिया समेत कई मुद्दों पर अपने विचार रखते नजर आए।
PM मोदी ने सुनाया सुभाष चंद्र बोस से जुड़ा किस्सा
PM मोदी ने इस दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ा किस्सा साझा करते हुए उनकी शौर्य से जुड़ी गाथा सुनाई। उन्होंने बताया कि जब वह नेताजी के कोलकाता वाले उस घर में गए थे, जहां से वह अंग्रेंजो को चकमा देकर फरार हुए थे, तब उनका अनुभव कैसा था।
मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि पल-भर के लिए आप एक दृश्य की कल्पना कीजिए- कोलकाता में जनवरी का समय है। दूसरा विश्व युद्ध अपने चरम पर और इधर भारत में अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा उफान पर है। इसकी वजह से शहर में चप्पे-चप्पे पर पुलिसवालों की तैनाती है। कोलकाता के बीचों-बीच एक घर के आसपास पुलिस की मौजूदगी ज्यादा चौकस है। इसी बीच लंबा ब्राउन कोट-पैंट और काली टोपी पहने हुए एक व्यक्ति रात के अंधेरे में एक बंगले से कार लेकर बाहर निकलता है। मजबूत सुरक्षा वाली कई चौकियों को पार करते हुए वो एक रेलवे स्टेशन गोमो पहुंच जाता है। ये स्टेशन अब झारखंड में है। यहां से एक ट्रेन पकड़कर वो आगे के लिए निकलता है। इसके बाद अफगानिस्तान होते हुए, वो यूरोप जा पहुंचता है और यह सब अंग्रेजी हुकूमत के अभेद किलेबंदी के बावजूद होता है।
'कहानी फिल्मी, हिम्मत दिखाने वाला व्यक्ति किस मिट्टी...'
PM मोदी ने कहा कि ये कहानी आपको फिल्मी सीन जैसी लगती होगी। आपको लग रहा होगा, इतनी हिम्मत दिखाने वाला व्यक्ति आखिर किस मिट्टी का बना होगा। दरअसल ये व्यक्ति कोई और नहीं, हमारे देश की महान विभूति नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे। 23 जनवरी यानि उनकी जन्म-जयंती को अब हम ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाते हैं। उनके शौर्य से जुड़ी इस गाथा में भी उनके पराक्रम की झलक मिलती है।
जब बोस के कोलकाता स्थित पैतृक आवास गए थे PM मोदी
पीएम मोदी ने बताया कि कुछ साल पहले मैं उनके उसी घर में गया था जहां से वह अंग्रेजों को चकमा देकर निकले थे। उनकी वो कार अब भी वहां मौजूद है। वो अनुभव मेरे लिए बहुत ही विशेष रहा। सुभाष बाबू एक विजनरी थे। साहस तो उनके स्वभाव में रचा-बसा था | इतना ही नहीं, वे बहुत कुशल प्रशासक भी थे।
उन्होंने आगे कहा कि महज 27 साल की उम्र में वो कोलकाता कॉर्पोरेशन के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर बने और उसके बाद उन्होंने मेयर की जिम्मेदारी भी संभाली। एक प्रशासक के रूप में भी उन्होंने कई बड़े काम किए। बच्चों के लिए स्कूल, गरीब बच्चों के लिए दूध का इंतजाम और स्वच्छता से जुड़े उनके प्रयासों को आज भी याद किया जाता है।
PM ने युवाओं से की ये खास अपील
पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी सुभाष का रेडियो के साथ भी गहरा नाता रहा है। उन्होंने ‘आजाद हिन्द रेडियो’ की स्थापना की थी, जिस पर उन्हें सुनने के लिए लोग बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा करते थे। उनके संबोधनों से, विदेशी शासन के खिलाफ, लड़ाई को, एक नई ताकत मिलती थी। ‘आजाद हिन्द रेडियो’ पर अंग्रेजी, हिन्दी, तमिल, बांग्ला, मराठी, पंजाबी, पश्तो और उर्दू में न्यूज बुलेटिन का प्रसारण होता था। मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को नमन करता हूं। देशभर के युवाओं से मेरा आग्रह है कि वे उनके बारे में अधिक-से-अधिक पढ़ें और उनके जीवन से निरंतर प्रेरणा लें।
अपडेटेड 11:47 IST, January 19th 2025