Published 17:10 IST, April 20th 2024
म्यांमार में चल क्या रहा है! इस देश की सेना के खिलाफ किसने छेड़ दी जंग, क्या है मकसद? जानिए सबकुछ
Myanmar Civil War: सालों तक चलने वाला विनाशकारी गृह युद्ध बढ़ता जा रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंच का पूरा ध्यान गाजा, ईरान और इजरायल पर लगा है।
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Myanmar Civil War: म्यांमार में बढ़ते गृहयुद्ध से चीन और भारत के बीच स्थित लगभग 55 मिलियन लोगों के इस देश के टूटने का खतरा बढ़ता जा रहा है। यह गृह युद्ध अंतरराष्ट्रीय मंच को भी हिला सकता है, लेकिन इस युद्ध पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
आपको बता दें कि पिछले 6 महीनों में म्यांमार के भीतरी इलाकों में फैले विरोधी सेनानी सत्तारूढ़ मिलिट्री 'जुंटा' को एक के बाद एक लड़ाई में हराते जा रहे हैं। इससे यह संभावना बढ़ती जा रही है कि जुंटा म्यांमार से खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है। आपको बता दें कि सेना के विरोधी अब म्यांमार के आधे से अधिक क्षेत्र को नियंत्रित कर रहे हैं।
सिविल वॉर तक कैसे पहुंच गया म्यांमार?
आसान भाषा में समझें तो साल 2021 में म्यांमार की सेना ने तख्तापलट कर दिया। इसके बाद वहां के लोगों ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। हालांकि, सेना के वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग को इससे डर लगने लगा और उनकी अगुआई में 'जुंटा' ने पुराना तौर-तरीका शुरू कर दिया गया। विरोध करने वालों को डराया जाने लगा, उन्हें जेल में डाला जाने लगा और कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। आपको बता दें कि इनसब के दौरान अभी तक हजारों लोगों की मौत हो गई है, जबकि लाखों लोग बेघर हो गए हैं। इसके बाद प्रो-डेमोक्रेसी फोर्सेज ने हथियार उठा लिए और उन मिलिशिया के साथ जुड़ गए जो दशकों से जातीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए लड़ रहे थे।
इसे ऐसे भी समझ सकते हैं- 1948 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से ही म्यांमार उथल-पुथल में है। दुनिया के कुछ सबसे लंबे समय तक चलने वाले सशस्त्र संघर्ष देश की सीमा पर भड़क गए हैं, जहां जातीय मिलिशिया म्यांमार सेना के दमन से मुक्ति की मांग कर रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ आंग सान सू की के नेतृत्व वाली नागरिक सरकार जातीय अल्पसंख्यकों के लिए जीवन बेहतर नहीं बना सकी। म्यांमार के 2020 के चुनावों में उनकी राजनीतिक पार्टी द्वारा सेना-समर्थित पार्टी को पराजित करने के बाद जुंटा ने देश पर कब्जा कर लिया और पूरा कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया। अब जुंटा को उखाड़ फेंकने के एक सामान्य लक्ष्य के साथ लोकतंत्र समर्थक मिलिशिया और सशस्त्र जातीय समूह एकजुट हो गए।
सेना के खिलाफ किसने छेड़ दी जंग?
विभिन्न जातीय अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने वाले 20 से अधिक मिलिशिया दशकों से स्वायत्तता के लिए लड़ रहे हैं। आपको बता दें कि जब तख्तापलट के बाद पद से बेदखल कर दिए गए नेता और लोकतंत्र समर्थक अपनी जान बचाकर गिरफ्तारी से भागे, तो उन्हें इन जातीय विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्रों में शरण मिली और उन्होंने राष्ट्रीय एकता सरकार (National Unity Government) नाम के एक शैडो अथॉरिटी का गठन किया। हजारों युवा - जिनमें डॉक्टर, अभिनेता, वकील, शिक्षक, मॉडल, बौद्ध भिक्षु, डी.जे. और इंजीनियर शामिल थे - जुंटा के कब्जे वाले शहरों से भाग गए और इस एकता सरकार के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा लेते हुए 200 से अधिक पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज (People’s Defense Forces या PDF) का गठन किया।
PDF द्वारा समर्थित तीन जातीय सेनाओं के गठबंधन ने 27 अक्टूबर को आक्रमण शुरू किया। इसके बाद विद्रोहियों का अब म्यांमार के अधिकांश सीमावर्ती क्षेत्र पर नियंत्रण है, जिसमें एक रणनीतिक व्यापारिक शहर भी शामिल है जिस पर 11 अप्रैल को कब्जा कर लिया गया था। कुछ दिनों बाद उन्होंने देश की शीर्ष सैन्य अकादमी पर रॉकेट दागे। आपको बता दें कि इनसब के बीच अभी तक 50 हजार से ज्यादा लोग मारे गए, जिसमें से 8000 आमजन की संख्या है। इसके अलावा 26 हजार से ज्यादा लोगों को जुंटा के खिलाफ विद्रोह छेड़ने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स ऑफिस के अनुसार, पिछले साल के अंत तक 2.6 मिलियन से ज्यादा लोग बेघर हो गए और 18 मिलियन से ज्यादा लोग मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।
Updated 17:10 IST, April 20th 2024