Published 16:52 IST, April 13th 2024
Iran-Israel: एक और महायुद्ध की ओर दुनिया! क्या हमास की कमर तोड़ने वाले इजरायल को ईरान से डरना चाहिए?
Iran-Israel Tensions: ईरान और इजरायल के बीच सीधे सैन्य टकराव की संभावना ने ईरान के सशस्त्र बलों पर नए सिरे से ध्यान आकर्षित किया है।
- विचार
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Iran-Israel Row: ईरान और इजरायल के बीच सीधे सैन्य टकराव की संभावना ने ईरान की सेना पर नए सिरे से ध्यान आकर्षित किया है। इसमें सबसे बड़ा सवाल ये है कि ईरान की सेना क्या कर सकती है, वो क्या करने में सक्षम है और अगर इजरायल पर ईरानी सेना हमला करती है तो क्या होगा?
आपको बता दें कि पिछले दिनों इजरायल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरान के राजनयिक परिसर में एक इमारत पर हमला किया, जिसमें ईरान के सात सीनियर कमांडर और कई सैन्यकर्मी मारे गए। इसके बाद ईरान ने धमकी दी कि वो अपने कमांडरों की मौत का बदला लेगा। ईरान की इस धमकी ने एक बार फिर पूरी दुनिया को टेंशन में डाल दिया है।
जब डोनाल्ड ट्रंप ने दिया था कासिम को मारने का आदेश...
ईरान-इजरायल के संभावित महायुद्ध के मद्देनजर, अमेरिकी मीडिया ने साल 2020 की उस घटना को याद किया है, जब तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मेजर जनरल कासिम सुलेमानी को मारने का ऑर्डर दिया था। इसके बाद ईरान ने इराक में 2 अमेरिकी ठिकानों पर बैलिस्टिक मिसाइल बरसाए थे, जिसमें 100 से ज्यादा अमेरिकी सैनिक घायल हो गए थे। अब इजरायली अधिकारियों ने भी चेतावनी दे दी है कि अगर ईरान हमला करता है तो इजरायल भी जवाबी कार्रवाई करेगा। इससे ये तो साफ है अगर दोनों तरफ से हमले शुरू हो जाते हैं तो युद्ध भयानक तरीके से छिड़ जाएगा और संभावना है कि इसके बीच में अमेरिका को आना पड़ेगा।।
मामला बिगड़ने की संभावना तब और अधिक बढ़ गई जब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ऐलान कर दिया कि अगर ईरानी हमला होता है तो अमेरिका इजरायल को अपना पूरा सपोर्ट देगा। सोचने वाली बात ये है कि अमेरिका और ईरान ने दशकों से ईरान के साथ किसी भी प्रकार के सीधे सैन्य टकराव से खुद को बचा कर रखा है और भविष्य में भी तेहरान के जटिल सैन्य तंत्र से टकराने की संभावनाओं से इनकार किया है। हालांकि, जानकारों का मानना है कि इसका ये मतलब नहीं है कि ईरान के विरोधी उससे डरते हैं। हां, लेकिन वो लोग ये जरूर जानते हैं कि ईरान के साथ युद्ध का मतलब है- बेहद गंभीर युद्ध।
कितनी खतरनाक है ईरान की सेना?
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट के पिछले साल के वार्षिक मूल्यांकन के अनुसार, ईरानी सेना मिडिल ईस्ट में सबसे बड़ी है, जिसमें कम से कम 5 लाख 80 हजार एक्टिव-ड्यूटी कर्मी हैं और करीब 2 लाख प्रशिक्षित रिजर्व कर्मी पारंपरिक सेना और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स के बीच बंटी हुई है।
इसके अलावा आर्मी और गार्ड्स के पास अपनी अलग-अलग एक्टिव ग्राउंड, एयर और नौसेना है, जिसमें गार्ड्स की जिम्मेदारी ईरान के सीमाओं की सुरक्षा करना है। गार्ड्स कुद्स फोर्स को भी ऑपरेट करता है, जो पूरे मिडिल ईस्ट में प्रॉक्सी मिलिशिया के नेटवर्क को हथियार देने, प्रशिक्षण देने और समर्थन देने की इनचार्ज है। इस इलाइट यूनिट को "एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस" के रूप में जाना जाता है। आपको बता दें कि प्रॉक्सी मिलिशिया में लेबनान में हिजबुल्लाह, यमन में हूती, इराक और सीरिया में मिलिशिया ग्रुप और गाजा में हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद शामिल है। वहीं, ईरान के सशस्त्र बलों के प्रमुख कमांडर सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई हैं, जिनका निर्णय अंतिम निर्णय होता है।
हालांकि, इन मिलिशिया ग्रुप को ईरान की आधिकारिक सेना का हिस्सा नहीं कहा जा सकता, लेकिन ये तो तय है कि अगर ईरान को सहायता की जरूरत पड़ी तो ये सबसे वफादार, भयानक हथियारों से लैश और किसी भी वक्त युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार रहते हैं।
ईरान के पास किस तरह के हथियार हैं?
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, हाल के वर्षों में, तेहरान ने लगभग 1,200 से 1,550 मील की दूरी वाले और रडार से बचने के लिए कम उड़ान भरने में सक्षम ड्रोन की एक बड़ी लिस्ट तैयार कर ली है। ईरान ने सैन्य परेड के दौरान ड्रोन और मिसाइलों की अपनी टुकड़ी को प्रदर्शित करने में कोई कमी नहीं छोड़ी और अपने बिल्डअप को दुनिया से छुपाकर नहीं रखा है।
जानकारों का कहना है कि देश के अड्डे और भंडारण सुविधाएं व्यापक रूप से फैली हुई हैं, डीप अंडरग्राउंड में दबी हुई हैं और एयर डिफेंस से मजबूत हैं, जिससे उन्हें हवाई हमलों से नष्ट करना मुश्किल हो जाता है।
Updated 17:19 IST, April 13th 2024