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पब्लिश्ड 20:01 IST, January 22nd 2025

Waqf Bill: JPC पर मौलाना बरेलवी ने लगा दिया बड़ा आरोप, कहा- एक फिरका को किया नजरअंदाज, रिपोर्ट पेश होने से पहले ही उठाए सवाल

Waqf Bill: मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि जगदंबिका पाल ने लखनऊ समेत सभी जगहों पर बरेलवी उलमा और बरेलवी संगठनो को नजरअंदाज किया है।

Reported by: Digital Desk
Edited by: Deepak Gupta

Waqf Bill: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने एक बयान में कहा कि भारत सरकार ने वक्फ में संशोधन करने के लिए एक बिल संसद में पेश किया था, उस पर सहमति न बन पाने की वजह से जेपीसी कमेटी का गठन किया गया और उसका अध्यक्ष जगदंबिका पाल को बनाया गया। जगदंबिका पाल ने तमाम मुस्लिम संगठनों, बुद्धिजीवियों की राए पूरे भारत में मीटिंग आयोजित करके ले रहे हैं।

मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि जब से जेपीसी कमेटी का गठन हुआ है उस वक्त से लेकर अब तक भारत के विभिन्न हिस्सों में मीटिंग कर चुके हैं, जिसमें खास तौर पर दिल्ली, महाराष्ट्र, बंगला, बिहार और आखरी मीटिंग लखनऊ में की है। मगर अफसोस के साथ ये कहना पड़ रहा है कि उन्होंने हर जगह बरेलवी उलेमा और बरेलवी संगठनों को नहीं बुलाया और मुकम्मल तरीके से नजरअंदाज किया।

बरेलवी मुसलमानों को नजरअंदाज किया जा रहा- शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी 

मौलाना ने कहा कि भारत की मुस्लिम आबादी के प्रतिशत के हिसाब से अगर देखें तो सुन्नी, सूफी बरेलवी मुसलमानों की आबादी बहुसंख्यक हैं, और ये लगभग 80 फीसद की आबादी पर मुश्तमिल है। ये निहायत ही दुर्भाग्यपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है। जगदंबिका पाल ने लखनऊ समेत सभी जगहों पर बरेलवी उलमा और बरेलवी संगठनों को नजरअंदाज किया है, इससे जाहिर होता है कि उनकी नजर में बरेलवी मुसलमानों की कोई एहमियत नहीं है, और वो सिर्फ चंद फीसद मुस्लिम संगठनों से बात करके अपना काम पूरा कर देना चाहते हैं। ये एक तरह से एक विशेष फिरके को बढ़ावा देना और इंसाफ के खिलाफ कार्य करना है।

संसद में पेश की जाने वाली रिपोर्ट एकतरफा कहलाएगी- शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी

मौलाना ने ये भी कहा कि बरेलवी उलमा उनसे बात चीत करके अपना पक्ष रखना चाहते थे, इस सम्बन्ध में उनको पत्र भी लिखा मगर उन्होंने न मुलाकात का समय दिया और न ही पत्र का कोई जवाब दिया। उनके काम करने की ये कार्यशैली जेपीसी कमेटी के अध्यक्ष की हैसियत से बेहतर नहीं कही जा सकती है। इस कंडीशन में वक्फ संशोधन बिल पर संसद में पेश की जाने वाली रिपोर्ट एकतरफा कहलाएगी। उनको अपने काम करने के तौर तरीकों पर पुनर्विचार करना चाहिए और 80 फीसद बरेलवी मुसलमानों को जान बूझकर नजरअंदाज करने की नीति को खत्म करना होगा।

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अपडेटेड 20:08 IST, January 22nd 2025

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