Published 22:43 IST, November 29th 2024
'पूछेगी जब अदालत, पत्थर गवाही देंगे...', जामा मस्जिद में घुसते ही दिखे कमल और त्रिशूल के चिन्ह
मुस्लिम पक्ष मस्जिद होने का दावा कर रहा है, तो वहीं हिंदू पक्ष सबूतों के साथ कोर्ट पहुंचा है। मस्जिद में घुसते ही कमल और त्रिशूल के चिन्ह दिख रहे हैं।
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जतिन शर्मा
Sambhal Jama Masjid News: संभल में हिंसा को बीते कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है। रविवार को हुई हिंसा के बाद शुक्रवार को शाही जामा मस्जिद में जुमे की नमाज अदा की गई। मौजूदा हालात को देखते हुए संभल को तीन जोन में बांट दिया गया। एक ओर जहां मुस्लिम पक्ष मस्जिद होने का दावा कर रहा है, तो वहीं हिंदू पक्ष सबूतों के साथ न्यायालय पहुंचा है। सबूत भी ऐसे जो चीख-चीख कर इस बात की गवाही दे रहे हैं कि संभल में हरिहर मंदिर मौजूद था, लेकिन मुगल आक्रांताओं ने हिंदू मंदिरों पर ही मस्जिदें बना डालीं।
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हरि मंदिर की गवाही ब्रिटिश काल की ASI सर्वे की रिपोर्ट दे रही है, बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी में भी मंदिर का जिक्र है। लेकिन मौजूदा समय में मुस्लिम पक्ष इस बात को नहीं मान रहा है और न ही इसपर सियासत करने वाला विपक्ष मान रहा है। प्रशासन ने फिलहाल जामा मस्जिद में घुसने पर रोक लगा दी है और राजनीतिक पार्टियों के आने पर 10 दिन का बैन लगाया गया है। जुमे की नमाज भी बेहद सुरक्षा में अदा की गई।
मस्जिद में घुसते ही कमल और त्रिशूल के चिन्ह
संभल की विवादित जामा मस्जिद में घुसने से पहले ही दीवारों पर कमल और त्रिशूल जैसे चिन्ह दिखने को मिलते हैं। हिंदू धर्म में कमल और त्रिशूल दोनों का बहुत महत्व है। जबकि इस्लाम में दोनों ही चिन्हों की कोई उपयोगिता नहीं है। मस्जिद की दीवार पर दिखने वाला एक चिन्ह हूबहू त्रिशूल जैसा है, इसमें तीन नुकीले सिरे है। इन तीनों प्रवृत्तियों को सत, रज और तम कहा जाता है। त्रिशूल की तीन भुजाएं मस्जिद की दीवार पर देखी जा सकती हैं, लेकिन उसके नीचे के डंडे को तोड़ा गया है।
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हिंदू धर्म में कमल और त्रिशूल का महत्व
कमल का फूल भगवान विष्णु का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदू धर्म में कमल को शुद्धता का प्रतीक भी माना जाता है और यह दृढ़ता को दर्शाता है। वहीं त्रिशूल भगवान शिव का हथियार है और इसे सुरक्षा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। त्रिशूल भगवान शिव के गुणों का प्रतिनिधित्व करता है। त्रिशूल, भूत, वर्तमान, और भविष्य का प्रतीक है।
फिलहाल हिंदू पक्ष संवैधानिक तरीके से अपना हक मांग रहा है। कोर्ट के जरिए सर्वे और सबूतों के आधार पर इंसाफ की अपील कर रहा है। अब देखना ये होगा कि इस मामले में हाईकोर्ट क्या फैसला लेता है। हिंदू पक्ष की याचिका में दावा किया गया है कि मस्जिद का निर्माण मुगल शासक बाबर ने 1526 में एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद कराया था। मामले में निचली अदालत के आदेश के बाद हुए सर्व का मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया था। 24 नवंबर को इलाके में हुई हिंसा में चार लोगों की जान चली गई थी।
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Updated 22:46 IST, November 29th 2024