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Published 14:51 IST, December 12th 2024

सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में केंद्र के वकीलों की अनुपस्थिति पर चिंता जताई

उच्चतम न्यायालय ने कई मामलों में केंद्र के वकीलों की बार-बार अनुपस्थिति पर बृहस्पतिवार को अप्रसन्नता जताई और कहा कि उसे सरकारी अधिकारियों को अपने समक्ष बुलाने में कोई खुशी नहीं होती।

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Supreme Court of India | Image: PTI representative

उच्चतम न्यायालय ने कई मामलों में केंद्र के वकीलों की बार-बार अनुपस्थिति पर बृहस्पतिवार को अप्रसन्नता जताई और कहा कि उसे सरकारी अधिकारियों को अपने समक्ष बुलाने में कोई खुशी नहीं होती। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने 11 दिसंबर को दिव्यांग श्रेणी के एक मेडिकल अभ्यर्थी के प्रवेश से संबंधित मामले में ‘‘लापरवाही भरे रुख’’ पर चिंता जताते हुए केंद्र के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के महानिदेशक को उपस्थित होने का आदेश दिया था।

पीठ ने कहा, ‘‘ अदालत को अधिकारियों को अदालत में बुलाने में खुशी नहीं होती। हालांकि, जब विधिवत नोटिस दिए जाने के बावजूद प्रतिवादी उपस्थित नहीं होते तो हमें ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।’’ बृहस्पतिवार को अधिकारी और केंद्र के वकील अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी पीठ के समक्ष उपस्थित हुए।

न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘‘ये क्या है? नोटिस जारी कर दिए गए और आपने पेश होने की जहमत नहीं उठाई। यह पहली बार नहीं हो रहा है। कई मौकों पर भारत संघ की ओर से यहां कोई मौजूद नहीं होता।’’ पीठ ने कहा कि उसने अधिकारी को उपस्थित रहने का निर्देश इसलिए दिया था क्योंकि विधिवत आदेश दिए जाने के बावजूद 11 दिसंबर को सुनवाई के दौरान प्राधिकारी की ओर से कोई वकील उपस्थित नहीं हुआ था।

SC ने वकीलों की अनुपस्थिति पर चिंता जताई

शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने वकीलों की उपस्थिति के लिए शाम चार बजे तक इंतजार किया लेकिन जब केंद्र की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ तो उसने आदेश पारित कर दिया। पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘जब मामला दिव्यांग व्यक्तियों से संबंधित हो तो हम आपसे जवाब की उम्मीद करते हैं।’’ पीठ ने कहा, ‘‘ आपके पैनल में बहुत से वकील हैं। आप पैनल के कुछ वकीलों को कुछ अदालतों का कामकाज क्यों नहीं सौंप देते जिससे कम से कम जब हमें किसी की सहायता की आवश्यकता हो तो कोई तत्काल वहां हो।’’

दिवयांग श्रेणी से संबंधित अभ्यर्थी की याचिका पर विचार करते हुए पीठ ने उसे राजस्थान के एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला देने का निर्देश दिया। पीठ ने 11 दिसंबर को अधिकारी को बृहस्पतिवार सुबह 10.30 बजे उसके समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया था। पीठ पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के 23 सितंबर के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश से जुड़ी अभ्यर्थी की याचिका खारिज कर दी गई थी।

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Updated 14:51 IST, December 12th 2024

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