Published 10:59 IST, November 13th 2024
'सिर्फ आरोपी भर होने से किसी का घर तोड़ा जाए तो ये संविधान के खिलाफ', बुलडोजर एक्शन पर SC की टिप्पणी
Demolition Drive Issue: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारों की मनमानी से लोगों को बचाने के लिए संविधान में दिए अधिकारों के तहत हमने फैसला दिया है।
Advertisement
Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को लेकर अहम टिप्पणी की है। बुलडोजर एक्शन पर गाइडलाइन बनाने को लेकर फैसला सुनाने बैठी सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने टिप्पणी की कि अगर किसी के सिर्फ आरोपी भर होने से किसी का घर तोड़ा जाता है तो ये संविधान के खिलाफ है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच मामले में फैसला सुना रही है।
जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि क्या अपराध करने के आरोपी या दोषी ठहराए गए व्यक्तियों की संपत्ति को कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना गिराया जा सकता है, हमने आपराधिक न्याय प्रणाली में निष्पक्षता के मुद्दों पर विचार किया है और आरोपी के मामले में पूर्वाग्रह नहीं किया जा सकता। हमने शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत पर भी विचार किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून का शासन लोकतांत्रिक सरकार की नींव है। ये मुद्दा आपराधिक न्याय प्रणाली में निष्पक्षता से संबंधित है, जो ये सुनिश्चित करता है कि कानूनी प्रक्रिया में अभियुक्तों के अपराध का पहले से आकलन नहीं किया जाना चाहिए कि वो अपराधी है।
Advertisement
'किसी की संपत्ति मनमाने तरीके से नहीं छीनी जा सकती'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारों की मनमानी से लोगों को बचाने के लिए संविधान में दिए अधिकारों के तहत हमने फैसला दिया है। कानून ये कहता है कि किसी की संपत्ति मनमाने तरीके से नहीं छीनी जा सकती है। कार्यपालिका, न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती है। न्यायिक कार्य न्यायपालिका को सौंपे गए हैं। कार्यपालिका न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि राज्य कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसी संपत्तियों को ध्वस्त करता है तो ये सही नहीं होगा।
अभियुक्तों और दोषियों के पास भी कुछ अधिकार- SC
कोर्ट ने कहा कि जो सरकारी अधिकारी कानून को अपने हाथ में लेते हैं और इस तरह से काम करते हैं, उन्हें जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट मानता है कि अगर किसी के सिर्फ आरोपी भर होने से किसी का घर तोड़ा जाता है तो ये संविधान के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा यदि कार्यपालिका किसी व्यक्ति का मकान सिर्फ इस आधार पर गिरा देती है कि वो अभियुक्त है, तो ये कानून के शासन का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभियुक्तों और दोषियों के पास भी कुछ अधिकार और सुरक्षा उपाय हैं।
Advertisement
10:59 IST, November 13th 2024