Download the all-new Republic app:

Published 12:51 IST, October 11th 2024

समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकल सकता: PM मोदी

PM Modi: प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकल सकता है।

Follow: Google News Icon
  • share
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी | Image: ANI
Advertisement

PM Modi: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व के विभिन्न भागों में जारी संघर्षों का सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों पर पड़ने का उल्लेख करते हुए शुक्रवार को यूरेशिया और पश्चिम एशिया में शांति एवं स्थिरता की बहाली का आह्वान किया।

मोदी ने 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) को संबोधित करते हुए कहा कि समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकल सकता।

Advertisement

उन्होंने यह भी कहा कि स्वतंत्र, मुक्त, समावेशी, समृद्ध और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत पूरे क्षेत्र में शांति तथा प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर में शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र के हित में है।

Advertisement

मोदी ने कहा, “हमारा मानना ​​है कि समुद्री गतिविधियां संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (यूएनसीएलओएस) के तहत संचालित की जानी चाहिए। नौवहन और वायु क्षेत्र की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना आवश्यक है। एक मजबूत और प्रभावी आचार संहिता बनाई जानी चाहिए। और इससे क्षेत्रीय देशों की विदेश नीति पर कोई अंकुश नहीं लगना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “हमारा दृष्टिकोण विकासवाद का होना चाहिए, न कि विस्तारवाद का।”

Advertisement

विश्व के विभिन्न भागों में चल रहे संघर्षों का सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों पर पड़ने का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि चाहे वह यूरेशिया हो या पश्चिम एशिया, हर कोई चाहता है कि यथाशीघ्र शांति और स्थिरता बहाल होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, “मैं बुद्ध की धरती से आता हूं और मैंने बार-बार कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकल सकता।”

Advertisement

प्रधानमंत्री ने कहा, “संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करना आवश्यक है। मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए बातचीत और कूटनीति को प्राथमिकता देनी होगी।”

उन्होंने कहा कि विश्वबंधु की जिम्मेदारी निभाते हुए भारत इस दिशा में हरसंभव योगदान देता रहेगा।

उनकी यह टिप्पणी यूरेशिया में यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष तथा पश्चिम एशिया में इजराइल-हमास युद्ध के बीच आई है।

मोदी ने कहा, “आतंकवाद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर चुनौती है। इसका सामना करने के लिए मानवता में विश्वास रखने वाली ताकतों को मिलकर काम करना होगा।”

अपने संबोधन की शुरुआत में उन्होंने “तूफान यागी” से प्रभावित लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदना भी व्यक्त की। यागी एक विनाशकारी उष्णकटिबंधीय चक्रवात था, जिसने इस वर्ष सितंबर में दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण चीन को प्रभावित किया था।

मोदी ने कहा, “इस कठिन समय में हमने ऑपरेशन सद्भाव के जरिये मानवीय सहायता प्रदान की है।”

उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने हमेशा आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) की एकता और प्रमुखता का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि आसियान भारत के हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण और क्वाड सहयोग के केन्द्र में भी है।

उन्होंने कहा, “भारत की ‘हिंद-प्रशांत महासागर पहल’ और ‘हिंद-प्रशांत पर आसियान के दृष्टिकोण’ के बीच गहरी समानताएं हैं।”

मोदी ने कहा, “हम म्यांमा की स्थिति के प्रति आसियान के दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं। हम पांच सूत्री सहमति का भी समर्थन करते हैं। साथ ही, हमारा मानना ​​है कि वहां मानवीय सहायता को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।”

उन्होंने वहां लोकतंत्र की बहाली के लिए उचित कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “हमारा मानना ​​है कि इसके लिए म्यांमा को शामिल किया जाना चाहिए, अलग-थलग नहीं किया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश के रूप में भारत अपनी जिम्मेदारी निभाता रहेगा। मोदी ने कहा कि पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।

ये भी पढ़ें: Sensex and Nifty: सेंसेक्स और निफ्टी में शुरुआती कारोबार में गिरावट, इतने अंक लुढ़के

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

12:51 IST, October 11th 2024