पब्लिश्ड 07:45 IST, December 7th 2024
शंभू बॉर्डर पर भारी टकराव के बाद सरकार से बात को तैयार किसान, अब दिल्ली कूच का ये है प्लान
पंजाब-हरियाणा सीमा पर आंसू गैस के गोले लगने से कुछ किसान जख्मी हो गए। ऐसे में किसानों ने फिलहाल अपना मार्च रोक दिया है लेकिन उनकी ओर से सरकार को अल्टीमेटम दिया
- भारत
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Farmers Protest: राजधानी दिल्ली के शंभू बॉर्डर पर पिछले 8 महीने से धरने पर बैठे किसान ने बीते दिन यानि 6 दिसंबर को दिल्ली की ओर कूच करने के प्रयास किए। इस दौरान किसानों और पुलिस के बीच भिड़ंत हो गई। पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछारें करने वाली गाड़ियां भी तैनात कीं। इस दौरान शंभू बॉर्डर पर काफी हंगामा देखने को मिला। इस दौरान एक किसान को पुलिस ने हिरासत में भी ले लिया।
दरअसल, पंजाब-हरियाणा सीमा पर आंसू गैस के गोले लगने से कुछ किसान जख्मी हो गए। बताया जा रहा है कि जख्मी किसानों में से दो किसान गंभीर रूप से घायल हुए हैं। ऐसे में प्रदर्शनकारी किसानों ने तकरीबन 3 से साढ़े तीन घंटे बाद दिल्ली की ओर अपना पैदल मार्च शुक्रवार को स्थगित कर दिया।
किसानों ने सुरक्षा घेरा तोड़कर दाखिल होने की कोशिश की
जान लें कि किसान संगठनों, संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के आह्वान पर 101 किसानों के पहले जत्थे ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर शंभू सीमा से दोपहर 1 बजे दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरू किया। इस दौरान उनके मार्च को लेकर प्रशासन भी पूरी तरह मुस्तैद था। ऐसे में सुरक्षा घेरे और पुलिस बलों को देखते हुए उन्हें कुछ मीटर की दूरी पर रुकना पड़ा। इस बीच जब कुछ किसान बैरिकेड के पास पहुंचे तो सुरक्षाकर्मियों को उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल करना पड़ा।
वहीं हरियाणा पुलिस ने किसानों को आगे नहीं बढ़ने को कहा और अंबाला जिला प्रशासन ने भारतीयन नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू होने का हवाला दिया। हालांकि निषेधाज्ञा के बावजूद किसानों ने अवरोधकों को पार करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें रोक दिया गया। जब किसानों को रोकना मुश्किल हुआ तो सुरक्षाकर्मियों को मजबूरन प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के कई गोले दागने पड़े और उन्हें पंजाब के शंभू में अपने विरोध स्थल पर वापस जाने के लिए मजबूर किया।
किसानों ने लोहे की कीलें और कंटीले तार उखाड़े
कुछ किसान सड़क से लोहे की कीलें और कंटीले तार उखाड़ते नजर आए और उन्होंने धुएं से बचने के लिए गीले जूट के बोरे से अपने चेहरे ढके हुए थे। इसके अलावा अपने यूनियन (किसान संघ) के झंडे थामे हुए जत्थे के कई किसानों ने शुरुआती अवरोधकों को आसानी से पार कर लिया, लेकिन आगे नहीं बढ़ सके। इसके बाद विभिन्न किसान यूनियन के झंडे थामे कुछ किसानों ने घग्गर नदी पर बनाए गए पुल पर सुरक्षाकर्मियों की लगाई गई लोहे की जाली को नीचे धकेल दिया। इतना ही नहीं, प्रदर्शनकारियों में से एक तो टिन शेड की छत पर चढ़ गया, जहां सुरक्षा बल तैनात थे।
पुलिस से झड़प में 8 किसान घायल
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने शुक्रवार की शाम को कहा कि आंसू गैस के गोले दागने से कम से कम आठ किसान घायल हुए हैं, जिनमें से दो गंभीर रूप से घायल हैं। उन्होंने हरियाणा सरकार पर ‘किसानों के खिलाफ ज्यादती करने’ का आरोप लगाया। घायलों में किसान नेता सुरजीत सिंह फुल भी शामिल हैं। किसान नेताओं ने कहा कि घायलों को अस्पताल ले जाया गया।
सरवन सिंह पंधेर ने पैदल मार्च शुरू करने वाले 101 किसानों को ‘मरजीवड़ा’ (ऐसे लोग, जो किसी मकसद के लिए जान भी देने को तैयार हों) कहा था। पंधेर ने संवाददाताओं से कहा कि कुछ किसानों के घायल होने के मद्देनजर हमने आज के लिए जत्थे को वापस बुला लिया है। उन्होंने कहा कि हम सरकार से अपील करते हैं कि या तो वह हमसे बातचीत करे या हमें दिल्ली जाने की अनुमति दे। वे ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे हम किसी दूसरे देश के दुश्मन हों। पंजाबियों और किसानों ने देश के लिए सबसे ज्यादा बलिदान दिया है।
साथ ही उन्होंने हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों के किए गए बल प्रयोग को अनुचित बताया। पंधेर ने दावा किया कि उन्होंने शंभू सीमा को पाकिस्तान या चीन के साथ लगी भारत की सीमा जैसा बना दिया है।
8 दिसंबर को दिल्ली की ओर कूच करेंगे किसान
वहीं किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने आगे की जानकारी देते हुए बताया कि जत्था अब रविवार को दिल्ली के लिए रवाना होगा। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र की ओर से बातचीत का कोई प्रस्ताव आता है तो हम कल (शनिवार) तक इंतजार करेंगे। अब केंद्र बातचीत करना चाहता है या नहीं, यह उसका फैसला होगा। हम चाहते हैं कि बातचीत हो। उन्होंने यह भी कहा कि हम केंद्र के साथ कोई टकराव नहीं चाहते हैं और हम अपना (दिल्ली चलो) मार्च शांतिपूर्ण जारी रखेंगे।
राहुल गांधी ने की निंदा, बोले- सरकार को उनकी मांगों और…
बता दें कि अब किसानों के प्रदर्शन पर सियासत भी होने लगी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा कि 'किसान सरकार के समक्ष अपनी मांगों को रखने और अपनी पीड़ा को व्यक्त करने के लिए दिल्ली आना चाहते हैं। उनपर आंसू गैस के गोले दागना और उन्हें तरह-तरह से रोकने का प्रयास करना निंदनीय है। सरकार को उनकी मांगों और समस्याओं को गंभीरता से सुनना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि 'अन्नदाताओं की तकलीफ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज देश में हर घंटे एक किसान आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं। मोदी सरकार की घोर असंवेदनशीलता के कारण पहले किसान आंदोलन में 700 से अधिक किसानों की शहादत को भी देश नहीं भूला है। हम किसानों की पीड़ा को समझते हैं और उनकी मांगों का समर्थन करते हैं। MSP की लीगल गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों के अनुसार खेती की व्यापक लागत का 1.5 गुना MSP, क़र्ज़ माफ़ी समेत तमाम मांगों पर सरकार को तुरंत अमल करना चाहिए।जब अन्नदाता खुशहाल होंगे तभी देश खुशहाल होगा!'
क्या है पूरा मामला?
किसानों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर इससे पहले 13 फरवरी और 21 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें सुरक्षा बलों ने पंजाब-हरियाणा सीमाओं पर शंभू और खनौरी में रोक दिया था।
किसानों के मार्च के पहले हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को अंबाला जिले के 11 गांवों में मोबाइल इंटरनेट और एक साथ कई लोगों को संदेश भेजने की सुविधा ‘बल्क एसएमएस सेवा’ पर नौ दिसंबर तक रोक लगा दी है।
क्या है किसानों की मांगें?
किसान एमएसपी के अलावा कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन और बिजली दरों में बढ़ोतरी न करने की मांग कर रहे हैं। वे 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने की भी मांग कर रहे हैं।
अपडेटेड 07:45 IST, December 7th 2024