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पब्लिश्ड 11:25 IST, September 29th 2024

चंद्रयान-3 पर वैज्ञानिकों की संभावना, चंद्रमा के सबसे पुराने क्रेटर पर उतरा

भारत का ‘चंद्रयान-3’ संभवतः चंद्रमा के सबसे पुराने ‘क्रेटर’ में से एक पर उतरा था। मिशन और उपग्रहों से प्राप्त चित्रों का विश्लेषण करने वाले वैज्ञानिकों ने यह संभावना जताई है।

chandrayaan 3 | Image: PTI

भारत का ‘चंद्रयान-3’ संभवतः चंद्रमा के सबसे पुराने ‘क्रेटर’ में से एक पर उतरा था। मिशन और उपग्रहों से प्राप्त चित्रों का विश्लेषण करने वाले वैज्ञानिकों ने यह संभावना जताई है। किसी भी ग्रह, उपग्रह या अन्य खगोलीय वस्तु पर गड्ढे को ‘क्रेटर’ कहा जाता है। ये ‘क्रेटर’ ज्वालामुखी विस्फोट से बनते हैं। इसके अलावा किसी उल्का पिंड के किसी अन्य पिंड से टकराने से भी ‘क्रेटर’ बनते हैं।

शोधकर्ताओं ने बताया कि…

भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के शोधकर्ताओं ने बताया कि चंद्रमा जिस ‘क्रेटर’ पर उतरा है वह ‘नेक्टरियन काल’ के दौरान बना था। ‘नेक्टरियन काल’ 3.85 अरब वर्ष पहले का समय है और यह चंद्रमा की सबसे पुरानी समयावधियों में से एक है।

भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के ग्रह विज्ञान प्रभाग में ‘एसोसिएट प्रोफेसर’ एस. विजयन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘चंद्रयान-3 जिस स्थल पर उतरा है वह एक अद्वितीय भूगर्भीय स्थान है, जहां कोई अन्य मिशन नहीं पहुंचा है। मिशन के रोवर से प्राप्त चित्र चंद्रमा की ऐसी पहली तस्वीर हैं जो इस अक्षांश पर मौजूद रोवर ने ली हैं। इनसे पता चलता है कि समय के साथ चंद्रमा कैसे विकसित हुआ।’’

जब कोई तारा किसी ग्रह या चंद्रमा जैसे बड़े पिंड की सतह से टकराता है तो गड्ढा बनता है तथा इससे विस्थापित पदार्थ को ‘इजेक्टा’ कहा जाता है।

‘ इकारस’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के लेखक विजयन ने बताया कि ‘‘जब आप रेत पर गेंद फेंकते हैं तो रेत का कुछ हिस्सा विस्थापित हो जाता है या बाहर की ओर उछलकर एक छोटे ढेर में तब्दील हो जाता है’’, ‘इजेक्टा’ भी इसी तरह बनता है।

चंद्रयान-3 एक ऐसे ‘क्रेटर’ पर उतरा था - जिसका व्यास लगभग 160 किलोमीटर है और तस्वीरों से इसके लगभग अर्ध-वृत्ताकार संरचना होने का पता चलता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह संभवतः क्रेटर का आधा भाग है और दूसरा आधा भाग दक्षिणी ध्रुव-‘ऐटकेन बेसिन’ से निकले ‘इजेक्टा’ के नीचे दब गया होगा। प्रज्ञान को चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने चंद्रमा की सतह पर उतारा था।

इसरो द्वारा प्रक्षेपित इस चंद्रयान ने 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की थी। चंद्रयान जिस स्थल पर उतरा था उसका 26 अगस्त 2023 को ‘शिव शक्ति पॉइंट’ नाम रखा गया था।

ये भी पढ़ें - Devara: आधा हो गया 'देवरा' का कलेक्शन, फिर भी 2 दिन में कमाए 200 करोड़

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

अपडेटेड 11:25 IST, September 29th 2024

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