Published 12:24 IST, December 20th 2024
भारत मंडपम के सामने कौन सी प्रतिमा लगाई जाए, PM मोदी से क्या हुई बात? सच्चिदानंद जोशी ने खोला राज
सच्चिदानंद जोशी ने बताया कि भारत मंडपम में जो नटराज की प्रतिमा भारत की पारंपरिक चोल ब्रॉन्ज पद्धति विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा है। यह 28 फीट ऊंची प्रतिमा है।
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Republic Bharat Sangam: रिपब्लिक भारत के 'संगम' में लेखक डॉ. सच्चिदानंद जोशी 'सनातन साहित्य और साइंस' थीम पर अपने विचार रखते नजर आए। उन्होंने कहा कि सनातन का संबंध विज्ञान से है।
सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि हमारे यहां कोई भी धार्मिक अवधारणा बिना वैज्ञानिक आधार के नहीं है। ये सबसे बड़ी समस्या है कि हमारे यहां बहुत सारी चीजें है जिसका कोई तथ्य नहीं है, आधार नहीं है। वेद मंत्र का जो उचारण हुआ, एक-एक शब्द का वैज्ञानिक कारण है। दिक्कत यह है कि हमने हमारी युवा पीढ़ी को वो सारी चीजें नहीं बताई।
सच्चिदानंद ने बताया क्यों लगाई नटराज की प्रतिमा?
रिपब्लिक भारत के मंच पर सच्चिदानंद जोशी ने भारत मंडपम में लगी मूर्ति का भी राज खोला। उन्होंने कहा कि भारत मंडपम जब बन रहा था, तब टास्क आया कि इसके सामने कौन सी प्रतिमा होनी चाहिए, जो पूरी तरह से भारतीयता को दिखाए। हम लोगों ने बहुत रिसर्च की। इस सबको प्रधानमंत्री जी खुद देखना चाहते थे कि ऐसी कौन सी चीज हो सकती है।
उन्होंने आगे बताया कि फिर हमें समझ आया कि नटराज की जो प्रतिमा है, वो विश्व की अनूठी ऐसी मुद्रा है जो अपने आप में विश्व की अलौकिक ऊर्जा के संतुलन को बताती है। एक-एक मुद्रा आप देखिए। उसमें अच्छे-बुरे, क्रोध और प्रेम, स्त्री और पुरुष का सबका अद्भुत समन्वय है। तो हमने वो नटराज की मुद्रा दिखाएंगे। तब प्रधानमंत्री जी ने कहा कि यह बहुत अच्छा है इसे कीजिए। लेकिन इसको हमारी पारंपरिक जो शैली है उसमें करिए।
'7 महीने में बनाकर स्थापित की, जो…'
सच्चिदानंद जोशी ने बताया कि भारत मंडपम में जो नटराज की प्रतिमा भारत की पारंपरिक चोल ब्रॉन्ज पद्धति विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा है। यह 28 फीट ऊंची प्रतिमा है और अष्ट धातु की बनी प्रतिमा है। आमतौर पर ऐसी प्रतिमा बनने में 3 साल लगते हैं। यह प्रतिमा हमने 7 महीने में बनाकर स्थापित की है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
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Updated 12:24 IST, December 20th 2024