Published 14:00 IST, December 26th 2024
...तो क्या अब Sambhal बनेगा उत्तर प्रदेश में 2027 का नया 'रणक्षेत्र', बीजेपी को नुकसान या फायदा?
संभल जिला और उसके आस-पास के इलाके भी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हैं। बीते 3 दशकों से यहां SP का दबदबा रहा है। 2014 को छोड़कर BJP यहां से कोई चुनाव नहीं जीत पाई है।
- भारत
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश का संभल जिला इन दिनों सूबे का सियासी अखाड़ा बन चुका है। भारतीय जनता पार्टी जहां एक ओर संभल में हो रही खुदाई में लगातार निकलते सनातनी सबूतों को लेकर साल 2027 में होने वालेअगले विधानसभा चुनाव के लिए पिच तैयार कर चुकी है तो वहीं सूबे की विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी भी संभल की पृष्ठभूमि पर अपनी सियासत आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तैयार कर रही है। संभल में पुरानी मस्जिद के सर्वे के बाद पता चला कि यहां पर शिव मंदिर था इसके अलावा संभल में कई और मंदिर मिले हैं जिससे ये साबित होता है कि पहले ये शहर सनातनी शासकों का था।
इसके अलावा संभल में रहने वाले मुसलमानों में भी एक शीत युद्ध छिड़ा है, जिसका जिक्र सीएम योगी ने विधानसभा के शीत सत्र के दौरान किया था। सीएम योगी ने बताया था कि जहां पर भी मुसलमानों की अधिकता है वहीं पर दंगे हो रहे हैं। ये दंगे भी असली मुसलमानों और कनवर्टेड मुसलमानों के बीच हो रहे हैं। इसके अलावा संभल में एक और मामला सुर्खियों में छाया हुआ है, वो है संभल के सांसद जिया उर रहमान बर्क के बिजली चोरी के लगे आरोपों को लेकर बिजली विभाग ने संभल सांसद के ऊपर बिजली का भारी जुर्माना लगाया है। यही वजह है कि बीजेपी के अलावा विपक्ष भी संभल को ही अपनी सियासी विरासत साबित करने में जुट गया है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर BJP ने बनाई पकड़
भारतीय जनता पार्टी के लिए संभल खास होने के पीछे सबसे बड़ी वजह है कि यहां पर हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, यह माना जा रहा है कि संभल ही वह जगह है जहां पर भगवान विष्णु के 10वें और आखिरी अवतार- कल्कि का अवतरण होना है। अगर यूपी की सियासत को लेकर बात करें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही वो जगह है जहां पर काफी लंबे समय से बीजेपी की पकड़ कमजोर रही है और किसी भी कीमत पर बीजेपी अब इस अवधारणा को बदलने पर उतारू है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी का आरएलडी के साथ गठबंधन भी इसी बात को दिखाता है। इसके अलावा अभी हाल में हुए यूपी के उपचुनावों में भी हमने देखा कि कैसे बीजेपी ने सपा के गढ़ कहे जाने वाले और 65 फीसदी मुस्लिम आबादी होने के बावजूद बीजेपी ने कुंदरकी विधानसभा सीट पर कमल खिला दिया।
राम मंदिर के बाद पीएम मोदी ने रखी थी कल्कि मंदिर की आधारशिला
मीडिया सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने संभल को अयोध्या, काशी और मथुरा की तर्ज पर सूबे के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शामिल करने की तैयारी कर ली है। इतना ही नहीं इसी साल पीएम मोदी ने राम मंदिर के उद्घाटन के बाद फरवरी महीने में कल्कि मंदिर की आधारशिला भी रख दी थी। कल्कि मंदिर के कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि जब भगवान राम ने शासन किया, तब वह हजारों साल तक महसूस किया गया। भगवान राम की तरह कल्कि भी हजारों साल तक प्रभाव रखेंगे। PM मोदी ने ये भी कहा था कि इस कार्यक्रम की तैयारी 18 साल पहले हो चुकी थी। वहीं सीएम योगी ने विधानसभा में भी कहा था कि बाबरनामा में जिक्र है कि बाबर ने तीन मंदिरों को तोड़ा था अयोध्या, पानीपत और संभल। अयोध्या का राम मंदिर बनाया जा चुका है अब मकर संक्रांति के बाद संभल को भी अपना हक मिलने की बारी है।
सियासी रूप से सपा का संभल पर रहा है दबदबा
सूबे का संभल जिला और उसके आस-पास के इलाके भी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हैं। इस क्षेत्र पर बीते 3 दशकों से समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है। साल 2014 का लोकसभा चुनाव छोड़ दें तो बीजेपी यहां से कभी नहीं जीत पाई है। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने साल 1998 और 1999 में इस लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी। उसके बाद 2004 में राम गोपाल यादव ने यहीं से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में जब पूरे देश में मोदी की लहर थी तब भी सफीकुर्रहमान बर्क ने सपा के टिकट पर इस लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी वहीं इस बार के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर सफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियाउर्रहमान बर्क ने जीत हासिल की है। साल 2004 में रामगोपाल यादव ने यहां से संसद पहुंचे थे। मौजूदा समय भी संभल की 5 विधानसभा सीटों में से 4 पर सपा का कब्जा था।
संभल के सर्वे पर क्या कहती है सपा?
संभल में समाजवादी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे फिरोज खान ने मीडिया से बातचीत में बताया कि 'संभल में बीजेपी के ये प्लान सफल नहीं होंगे। बहुत कोशिशें करने के बावजूद बीजेपी संभल लोकसभा चुनाव में प्रभाव डालने में असफल रहे। सपा के जियाउर्रहमान बर्क ने ये सीट काफी अच्छे मार्जिन से लोकसभा चुनाव में जीती। इसके पहले साल 2019 में उनके बाबा सफीकुर्रहमान बर्क ने भी लोकसभा चुनाव में ये सीट जीती थी। कुंदरकी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत के बाद बीजेपी को ऐसा लग रहा है कि वो संभल के लोगों की सोच को बदल देगी लेकिन ऐसा नहीं होगा। यहां के स्थानीय लोगों को बीजेपी का ये प्लान साफ तौर पर दिखाई दे रहा है।'अगर बात विधानसभा स्तर पर करें तो भी बीजेपी ने कोई खास कमाल नहीं कर दिखाया है। इसके पहले 2022 के विधानसभा चुनाव में संभल की 5 विधानसभा सीटों में से 4 पर सपा ने कब्जा किया था। सिर्फ एक सीट बीजेपी के खाते में गई थी वो भी आरक्षित (SC) सीट थी।
2027 विधानसभा चुनाव में दिखेगा संभल का असर?
संभल को लेकर भारतीय जनता पार्टी के एक नेता ने मीडिया से ऑफ द कैमरा (नाम नहीं छपने की शर्त) पर कहा है कि अगर उनका अभियान काम कर गया तो पार्टी को होने वाला फायदा सिर्फ संभल तक ही सीमित नहीं रहेगा। उन्होंने कहा, 'संभल को भगवान विष्णु के 10वें और अंतिम अवतार की जन्मस्थली माने जाने वाले एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल से जोड़ने से 2027 के विधानसभा चुनावों में आसपास के क्षेत्रों पर भी असर पड़ेगा।' आरक्षित चंदौसी सीट पर बीजेपी की गुलाब देवी जीती थीं, जिन्हें सीएम योगी ने अपनी कैबिनेट में जगह दी है। ये बात गुलाब देवी की जीत को महत्व दे रही है। इसके बाद कुंदरकी उपचुनाव जीतकर बीजेपी को थोड़ा बूस्ट मिला है लेकिन क्या यह अगली विधानसभा तक बरकरार रहेगा ये देखने वाली बात होगी।
क्या कहते हैं कल्कि धाम निर्माण ट्रस्ट के चेयर मैन आचार्य प्रमोद कृष्णम?
श्री कल्कि धाम निर्माण ट्रस्ट के चेयरमैन आचार्य प्रमोद कृष्णम ने मीडिया से हुई बातचीत में कहा था कि 'पीएम मोदी जब से कल्कि धाम आए हैं, तब से संभल में चमत्कार पर चमत्कार हो रहे हैं। नई-नई खोज हो रही है। ऐसा लगता है कि भगवान का अवतार जल्दी होगा।' प्रमोद कृष्णम के इस बयान के बाद से ही संभल में शुरू हुए घटनाक्रम को अगर देखें तो ठीक वैसा ही हो रहा है जैसा उन्होंने कहा था। संभल मस्जिद का सर्वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 6 जनवरी तक रोक दिया गया है। ऐसे में हम ये कह सकते हैं आने वाले 2027 में बीजेपी के लिए ये बड़ी सफलता दे सकता है।
Updated 14:00 IST, December 26th 2024