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पब्लिश्ड 11:03 IST, January 14th 2025

'रोजी-रोटी का रास्ता राम मंदिर....', अखिलेश यादव के बयान पर संघ प्रमुख मोहन भागवत का नाम लिए बिना पलटवार

कॉलेज के छात्र मीटिंग में पूछते थे कि आपने लोगों की रोजी-रोटी की चिंता छोड़कर मंदिर क्यों बनाए? किसी ने उन्हें ये पूछने को कहा होगा?

Reported by: Ravindra Singh

RSS Chief Mohan Bhagwat Slams Akhilesh Yadav: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार (12 जनवरी) को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती 'राष्ट्रीय युवा दिवस' के दिन उनके एक कोट को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार की महाकुंभ की तैयारियों को लेकर तंज कसा था। सपा सुप्रीमों ने कहा था 'हमें धर्म से ज्यादा रोजी रोटी की जरूरत है। सरकार तमाम बातों को थोपने की कोशिश कर रही है।' अब अखिलेश यादव के इस बयान पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अखिलेश का नाम लिए बिना पलटवार किया है। इंदौर में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा की हमारी कंस्टीट्यूशन दुनिया में सबसे सेक्युलर कंस्टीट्यूशन है।


उन्होंने आगे कहा कि हम कंस्टीट्यूशन के बारे में सेक्युलर नहीं है। हमारे कंस्टीट्यूशन मेकर्स जो थे वो मन से सेक्युलर थे। वो पहले सेक्युलर नहीं हैं। 5 हजार वर्षों की परंपरा ने हमें सेक्युलर होना सिखाया। 5 हज़ार सालों की हमारी परंपरा कौन सी है?  वही जो राम कृष्ण से चली आ रही है। वो हमारा स्व है। भागवत के मुताबिक मुखर्जी उनसे मुलाकात के दौरान 5,000 साल की जिस भारतीय परंपरा का जिक्र कर रहे थे, वह राम, कृष्ण और शिव से शुरू हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि राम मंदिर आंदोलन के दौरान 1980 के दशक में कुछ लोग उनसे ‘रटा-रटाया सवाल’ करते थे कि जनता की रोजी-रोटी की चिंता छोड़कर मंदिर का मुद्दा क्यों उठाया जा रहा है?


रोजी-रोटी का रास्ता राम मंदिर से होकर निकलता है

संघ प्रमुख ने अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, 'लोग मुझे एक सवाल पूछते थे ,कॉलेज विधार्थीओं की बैठक में लोगों की रोजी रोटी की चिंता छोड़ कर ये क्या मंदिर मंदिर लगाया है? तब मैं कहा करता था 80 का दशक है। हम 1947 में आज़ाद हो चुके हैं। हमारे साथ जापान जैसे देशों ने चलना आरम्भ किया वो कहां से कहां पहुंच गए? हम पूरा समय लोगों की रोजी रोटी की ही चिंता करते रहे। समाजवादी गरीबी हटाओ के नारे देते रहे, कुछ हुआ क्या? रोजी रोटी का रास्ता राम मंदिर के प्रवेश द्वार से जाता है। ये पूरा आंदोलन भारत के स्व की जागृति के लिए थे। भारत फिर अपने पैरों पर खड़ा होकर दुनिया की लीडरशिप करे इसलिए थे।


1947 के बाद इजरायल और जापान कहां निकल गए और हम...

संघ प्रमुख ने आगे कहा कि हमारी 5000 साल पुरानी परंपरा क्या है? जो भगवान राम, भगवान कृष्ण और भगवान शिव से शुरू हुई। वो हमारी अपनी परंपरा है। हमारी अपनी परंपरा को जगाने के लिए आंदोलन चला था। कॉलेज के छात्र मीटिंग में पूछते थे कि आपने लोगों की रोजी-रोटी की चिंता छोड़कर मंदिर क्यों बनाए। किसी ने उन्हें ये पूछने को कहा होगा। तो मैं उनसे कहता था कि 80 का दशक है, 1947 में हमें आजादी मिली, इजरायल और जापान ने हमसे शुरुआत की और वो बहुत ऊंचाई पर पहुंचे। हम हमेशा लोगों की रोजी-रोटी की चिंता करते थे। हमने समाजवाद की बात की और तमाम नारे दिए लेकिन क्या इससे कुछ हुआ?... भारत की रोजी-रोटी का रास्ता भी श्री राम मंदिर से होकर जाता है। इसे ध्यान में रखें। तो ये पूरा आंदोलन भारत की अपनी आत्मा को जगाने के लिए था।
 

क्या बोले थे सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव?  

इसके पहले रविवार (12 जनवरी) को समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्वामी विवेकानंद के बयान का कोट देते हुए कहा था, 'उन्होंने धर्म से ज्यादा देश के लोगों को रोटी की जरूरत पर बल दिया था।' दरअसल, अखिलेश यादव इस दिन स्वामी विवेकानंद की जयंती 'राष्ट्रीय युवा दिवस' के मौके पर पार्टी के प्रदेश मुख्यालय स्थित सभागार में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि धर्म से ज्यादा देश के लोगों को रोटी की जरूरत है। जो गरीब है उनको धार्मिक बातें समझाना आज के समय में गलत होगा।

यह भी पढ़ेंः कुम्भ की जमीन किसी के अब्बा की नहीं हमारे बब्बा की है- धीरेंद्र शास्त्री

अपडेटेड 13:09 IST, January 14th 2025

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