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Published 18:22 IST, December 28th 2024

मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार पर सवाल, क्या नरसिम्हा राव को भूल गए Rahul Gandhi?

कांग्रेस की मांग थी कि Manmohan Singh का अंतिम संस्कार उसी स्थान पर होना चाहिए जहां स्मारक बने। गृह मंत्रालय ने कहा कि पूर्व PM के स्मारक के लिए जगह आवंटित होगी

Reported by: Sagar Singh
मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार पर राजनीति | Image: Republic

Manmohan Singh Funeral News: देश में आर्थिक पुनर्जागरण के सूत्रधार, विकास के नए द्वार खोलने वाले सुधारों के जनक, राजनीति में सादगी और सौम्यता के प्रतीक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गया। उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के निगमबोध घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। मनमोहन सिंह के निगमबोध घाट पर हुए अंतिम संस्कार को लेकर विपक्ष ने राजनीति शुरू कर दी है।

देश में किसी नेता के अंतिम संस्कार पर राजनीति पहली बार नहीं हो रही है। इससे पहले 3 ऐसे प्रधानमंत्री रहे जिनका अंतिम संस्कार दिल्ली से बाहर हुआ है और स्मारक बनाने के लिए चंद गज जमीन तक नहीं मिली। निगम बोध घाट पर हुए अंतिम संस्कार के फैसले को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल ने मनमोहन सिंह का अपमान बताया है। शोक के बीच उनकी अंत्येष्टि और स्मारक स्थल को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

क्या बोले राहुल गांधी?

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि देश के पहले सिख प्रधानमंत्री का जानबूझकर अपमान किया गया है। कांग्रेस की मांग थी कि उनका अंतिम संस्कार उसी स्थान पर होना चाहिए जहां उनका स्मारक बन सके। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार रात कहा कि सरकार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए स्थान आवंटित करेगी। राहुल गांधी ने कहा कि 'भारत माता के महान सपूत और सिख समुदाय के पहले प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी का अंतिम संस्कार आज निगमबोध घाट पर करवाकर वर्तमान सरकार द्वारा उनका सरासर अपमान किया गया है। डॉ. मनमोहन सिंह हमारे सर्वोच्च सम्मान और समाधि स्थल के हकदार हैं। सरकार को देश के इस महान पुत्र और उनकी गौरवशाली कौम के प्रति आदर दिखाना चाहिए था।'

क्या नरसिम्हा राव को भूल गए राहुल गांधी?

पीवी नरसिम्हा राव 1991 से 1996 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। जब दिसंबर, 2004 में उनका निधन हुआ तो दिल्ली में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी। नरसिम्हा राव का परिवार चाहता था कि दिल्ली में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाए। दिल्ली में तमाम माथापच्ची के बाद उनके परिवार को हैदराबाद में अंतिम संस्कार करना पड़ा था। कांग्रेस सरकार ने दिल्ली में पीवी नरसिम्हा राव के मेमोरियल बनाने की बात कही गई थी। जो कांग्रेस और उसके नेता आज मनमोहन सिंह की समाधि और अंतिम संस्कार पर राजनीति कर रहे हैं। वो खुद सत्ता में रहते नरसिम्हा राव की समाधि के लिए 10 साल तक जमीन आवंटित नहीं कर सके।

इतना ही नहीं, संजय गांधी का अंतिम संस्कार राजघाट पर किया गया था। जबकी संजय गांधी लोकसभा के सांसद और कांग्रेस के महासचिव थे। वहीं पीवी नरसिम्हा राव पूर्व प्रधानमंत्री होने के बावजूद दिल्ली में अंतिम संस्कार नहीं हुआ था।

गुजरात में मोरारजी का संस्कार

मोरारजी देसाई को स्वतंत्रता संग्राम के दौरान तीन बार जेल जाना पड़ा था। वे 1931 में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सदस्य बने थे। जब पहली कांग्रेस सरकार ने 1937 में कार्यभार संभाला, तो देसाई राजस्व, कृषि, वन एवं सहकारिता मंत्रालय के मंत्री बने। 1977 से 1979 तक देश के प्रधानमंत्री रहने से पहले भी उन्होंने बंबई के मुख्यमंत्री समेत भारत सरकार में कई अहम पदों पर काम किया।

1995 में मुंबई के जसलोक अस्पताल में उनका निधन हुआ था। कहते है कि मोरारजी के परिवार की इच्छा पर उनका अंतिम संस्कार गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती के तट पर हुआ था। बाद में उनके अस्थि कलश को दिल्ली लाया गया था। उस वक्त सरकार ने कहा था कि अलग से स्मारक बनाया जाएगा, लेकिन दिल्ली में मोरारजी का कोई स्मारक नहीं बनाया गया।

इलाहाबाद में हुआ वीपी का अंतिम संस्कार

विश्वनाथ प्रताप सिंह 1989 से 1990 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। 2008 में उनका निधन दिल्ली में हुआ था। मांडा के 41वें राजा वीपी सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ इलाहाबाद में संगम के किनारे हुआ था। अंतिम संस्कार के बाद उनके स्मारक बनाने की बात कही गई थी, जो दिल्ली में कभी नहीं बना। 

ये भी पढ़ें: निगमबोध घाट पर हुआ मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार, कांग्रेस-AAP ने केंद्र सरकार पर लगाया पूर्व प्रधानमंत्री के अपमान का आरोप

Updated 19:20 IST, December 28th 2024

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