Published 16:50 IST, December 27th 2024
Manmohan Singh: PM बन गए लेकिन मनमोहन सिंह को कचोटता था मारुति 800 का मोह, BMW पर बैठना पड़ता तो जी भरके निहारते...
Manmohan Singh को आर्थिक सुधारों के सूत्रपात, सौम्य और मृदुभाषी स्वभाव के लिए जाना जाता है। 3 साल उनके बॉडी गार्ड रहे असीम अरुण ने एक किस्सा साझा किया है।
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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन से देश में शोक की लहर है। देश में 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। पूरे राजकीय सम्मान के साथ शनिवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उन्होंने 92 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह समेत देश के तमाम नेताओं ने दुख जताया है। पीएम ने कहा कि मनमोहन सिंह भारत के प्रतिष्ठित नेताओं में से एक थे।
देश की बड़ी हस्तियां मनमोहन सिंह के साथ बिताए पलों को याद कर रही हैं। उत्तर प्रदेश सरकार में स्वतंत्र प्रभार मंत्री असीम अरुण ने मनमोहन सिंह के साथ बिताए पलों को याद किया है। राजनीति में आने पहले असीम अरुण IPS अधिकारी थे। उन्होंने X पर सिंह को याद करते हुए लिखा- 'मैं 2004 से लगभग तीन साल उनका बॉडी गार्ड रहा। एसपीजी में पीएम की सुरक्षा का सबसे अंदरुनी घेरा होता है - क्लोज प्रोटेक्शन टीम जिसका नेतृत्व करने का अवसर मुझे मिला था। एआईजी सीपीटी वो व्यक्ति है जो पीएम से कभी भी दूर नहीं रह सकता। अगर एक ही बॉडी गार्ड रह सकता है तो साथ यह बंदा होगा। ऐसे में उनके साथ उनकी परछाई की तरह साथ रहने की जिम्मेदारी थी मेरी।'
'मेरी गड्डी तो मारुति है...'
असीम अरुण आगे लिखते हैं- 'डॉ. साहब की अपनी एक ही कार थी - मारुति 800, जो पीएम हाउस में चमचमाती काली BMW के पीछे खड़ी रहती थी। मनमोहन सिंह जी बार-बार मुझे कहते- असीम, मुझे इस कार में चलना पसंद नहीं, मेरी गड्डी तो यह है (मारुति)। मैं समझाता कि सर यह गाड़ी आपके ऐश्वर्य के लिए नहीं है, इसके सिक्योरिटी फीचर्स ऐसे हैं जिसके लिए एसपीजी ने इसे लिया है। लेकिन जब कारकेड मारुति के सामने से निकलता तो वे हमेशा मन भर उसे देखते। जैसे संकल्प दोहरा रहे हो कि मैं मिडिल क्लास व्यक्ति हूं और आम आदमी की चिंता करना मेरा काम है। करोड़ों की गाड़ी पीएम की है, मेरी तो यह मारुति है।'
मनमोहन सिंह करियर की एक झलक
आर्थिक सुधारों के जनक और दस साल तक देश की कमान संभालने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार को निधन हो गया। नौकरशाही और राजनीति में उनके पांच दशक के करियर की एक झलक।
- 1954: पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की
- 1957: कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स ट्रिपोस (3 साल डिग्री प्रोग्राम)
- 1962: ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी.फिल
- 1971: वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में भारत सरकार में शामिल हुए
- 1972: वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त हुए
- 1980-82: योजना आयोग के सदस्य
- 1982-1985: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर
- 1985-87: योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य कियाॉ
- 1987-90: जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव
- 1990: आर्थिक मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार नियुक्त हुए
- 1991: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष नियुक्त हुएॉ
- 1991: असम से राज्यसभा के लिए चुने गए और 1995, 2001, 2007 और 2013 में फिर से चुने गए
- 1991-96: पी.वी नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री
- 1998-2004: राज्यसभा में विपक्ष के नेता
- 2004-2014: भारत के प्रधानमंत्री
प्री-मेडिकल कोर्स में लिया दाखिला
मनमोहन सिंह ने एक समय प्री-मेडिकल कोर्स में दाखिला लिया था, क्योंकि उनके पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें। लेकिन कुछ महीनों के बाद ही उन्होंने इस विषय में रुचि खो दी और मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दी। पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी दमन सिंह ने उन पर लिखी किताब 'स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन एंड गुरशरण' में इस बात का जिक्र किया है।
दमन सिंह ने 2014 में प्रकाशित अपनी किताब में यह भी लिखा कि अर्थशास्त्र एक ऐसा विषय है, जो उन्हें आकर्षित करता था। उनके पिता में हास्य की अच्छी समझ थी। अप्रैल, 1948 में मनमोहन सिंह ने अमृतसर के खालसा कॉलेज में दाखिला लिया था। दमन ने अपनी पुस्तक में इसका उल्लेख करते हुए लिखा, 'चूंकि, उनके पिता चाहते थे कि वह चिकित्सक बनें, इसलिए उन्होंने (मनमोहन सिंह) दो साल एफएससी पाठ्यक्रम में दाखिला ले लिया, जिससे उन्हें चिकित्सा में आगे की पढ़ाई करने का मौका मिलता। कुछ ही महीनों बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। चिकित्सक बनने में उनकी रुचि खत्म हो गई थी। असल में, विज्ञान पढ़ने में भी उनकी रुचि खत्म हो गई थी।'
Updated 16:56 IST, December 27th 2024