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Published 11:27 IST, December 20th 2024

EXCLUSIVE/ मेरी आंखों में राधा हैं और द्रौपदी? अपने भाव के जरिए सोनल मानसिंह ने बताई दोनों की विशेषताएं

R Bharat Sangam: रिपब्लिक भारत ने साहित्य, सुर और शक्ति के संगम का आयोजन किया है। इसी कार्यक्रम में सोनल मानसिंह ने हिस्सा लिया।

Reported by: Digital Desk
Padma Vibhushan Sonal Mansingh | Image: R Bharat

Sonal Mansingh: मशहूर नृत्यांगना पद्मविभूषण सोनल मानसिंह ने राधारानी और द्रौपदी को लेकर अपने भाव व्यक्त किए हैं। रिपब्लिक भारत 'संगम' में शामिल हुईं सोनल मानसिंह ने राधारानी और द्रौपदी की अपने शब्दों में व्याख्या की है। उन्होंने कहा कि राधा के नाम के बिना भगवान कृष्ण अपने भक्त की अर्जी नहीं सुनते हैं। श्रीकृष्ण कहते हैं तो इसमें श्री का मतलब राधा है। कुछ इसी तरह द्रौपदी को लेकर उन्होंने अपनी बात रखी।

रिपब्लिक भारत ने 'संगम - साहित्य, सुर और शक्ति' का आयोजन किया है। इसमें साहित्य, कला और संगीत जगत की कई हस्तियां शामिल हो रही है। इसी कार्यक्रम में सोनल मानसिंह ने हिस्सा लिया है और भावों के जरिए अपनी बात मंच पर रखी है। जब राधा रानी और द्रौपदी के प्रति उनके भाव को लेकर पूछा गया तो उन्होंने अपने ही अंदाज में जवाब दिया।

राधा और द्रौपदी को लेकर सोनल मानसिंह के भाव

मेरी आंखों में राधा हैं और द्रौपदी? इसको लेकर सोनल मानसिंह ने कहा कि राधा और द्रौपदी का चरित्र और व्यक्तित्व अलग है। राधा श्रीकृष्ण की रागिनी शक्ति हैं। राधा गोपी थीं, लेकिन वो लोकेश्वरी हैं। वो वृंदावनेश्वरी हैं। वो श्रीकृष्ण की अधेश्वरी हैं। यहां एक भक्ति-श्रद्धा है और उसका भाव आता है। द्रौपदी एक महारानी हैं। राजकुल में वो जन्मी हैं, लेकिन उनका जन्म हमारी-आपकी तरह नहीं था। वो अग्नि से जन्मी हैं। वो अग्नि पुत्री हैं। उनका चरित्र भी अग्नि की तरह है। वो किसी का आधिपत्य स्वीकार नहीं करतीं, लेकिन पत्नी के रूप में पांचों पांडवों की उन्होंने जो सेवा की और अपने कुल के लिए उन्होंने क्या नहीं किया। ये बात सीखने की है।

वेद मंत्रों के साथ 'संगम' का आगाज

रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क से मुख्यालय में वेद मंत्रों के साथ हुआ साहित्य, सुर और शक्ति के संगम का आगाज हुआ। रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर-इन चीफ अर्नब गोस्वामी और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दीप प्रज्वलित कर 'संगम' का आगाज किया। 'संगम' में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत के साहित्य की चर्चा वैदिक काल से प्रारंभ होती है। भारत को जानने के लिए दुनिया से जो लोग यहां आए तब भारत की सभ्यता, संस्कृति और उत्कर्ष से जलन रखने वाले लोग आक्रांता के रूप में भारत में आए। इतिहास में भारत की संस्कृति को मिटाने की कोशिश की गई।

यह भी पढ़ें: रिपब्लिक भारत पर सुर और साहित्य का 'संगम', केंद्रीय मंत्री शेखावत ने किया आगाज

Updated 11:27 IST, December 20th 2024

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