Published 13:49 IST, November 26th 2024
MUDA SCAM: कर्नाटक उच्च न्यायालय में सुनवाई 10 दिसंबर तक स्थगित
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) स्थल आवंटन ‘घोटाले’ की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई 10 दिसंबर तक स्थगित कर दी।
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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) स्थल आवंटन ‘घोटाले’ की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई 10 दिसंबर तक स्थगित कर दी। याचिका सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने दायर की थी जिसमें उन्होंने मामले में लोकायुक्त जांच की विश्वसनीयता पर संदेह जताया था।
याचिकाकर्ता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उन्होंने उच्च न्यायालय से गुहार लगाई है कि उन्हें लोकायुक्त पुलिस पर भरोसा नहीं है, इसलिए मामला सीबीआई को सौंप दिया जाना चाहिए। एमयूडीए मामले में आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी को मैसूर के एक उच्चस्तरीय क्षेत्र में प्रतिपूरक भूखंड आवंटित किया गया था, जिसका संपत्ति मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था, जिसे एमयूडीए द्वारा ‘‘अधिगृहित’’ किया गया था।
क्या है MUDA घोटाला?
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50 अनुपात 50 योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां आवासीय ‘लेआउट’ विकसित किया गया था। विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने आवासीय ‘लेआउट’ बनाने के लिए भूमि खोने वालों को उनसे अधिगृहित अविकसित भूमि के बदले में 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की।
आरोप है कि मैसूरु तालुका के कसाबा होबली के कसारे गांव के सर्वे नंबर 464 में स्थित 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी हक नहीं है। कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस ‘घोटाले’ की जांच शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री ने कथित घोटाले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है।
Updated 13:49 IST, November 26th 2024