पब्लिश्ड 23:57 IST, January 16th 2025
भारतीय परमाणु संस्थाओं पर अमेरिकी प्रतिबंध हटने से सहयोग को बढ़ावा मिलेगा: विशेषज्ञ
अमेरिका द्वारा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) सहित तीन भारतीय परमाणु संस्थाओं से शीतयुद्ध काल के प्रतिबंध हटाए जाने का स्वागत करते हुए विशेषज्ञों ने बृहस्पतिवार को कहा कि इससे महत्वपूर्ण क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा और देश को नयी प्रौद्योगिकियों तक पहुंच मिलेगी।
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अमेरिका द्वारा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) सहित तीन भारतीय परमाणु संस्थाओं से शीतयुद्ध काल के प्रतिबंध हटाए जाने का स्वागत करते हुए विशेषज्ञों ने बृहस्पतिवार को कहा कि इससे महत्वपूर्ण क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा और देश को नयी प्रौद्योगिकियों तक पहुंच मिलेगी।
हालांकि, परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के पूर्व सचिव अनिल काकोदकर ने कहा कि किसी को भी घटनाक्रम से बहुत उत्साहित नहीं होना चाहिए क्योंकि यह केवल समय ही बताएगा कि प्रतिबंध हटने से भारतीय परमाणु ऊर्जा क्षेत्र और अनुसंधान को कितना लाभ होगा।
परमाणु क्षेत्र में अपने दशकों लंबे करियर के दौरान बार्क निदेशक, परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) के अध्यक्ष और डीएई सचिव के रूप में कार्य कर चुके काकोदकर ने कहा कि प्रतिबंधों को हटाने का काम बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था।
जब 2008 में ऐतिहासिक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, तब 81 वर्षीय वैज्ञानिक एईसी के अध्यक्ष और डीएई सचिव थे।
काकोदकर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘इससे (प्रतिबंध हटाने से) सहयोग (परमाणु क्षेत्र में) में मदद मिलेगा। अब सहयोगात्मक पहल शुरू होने और फिर इनके कायम रहने की बेहतर संभावनाएं हैं।’’
बाइडन प्रशासन ने बुधवार को तीन भारतीय संस्थाओं- बार्क, इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (आईआरईएल) और इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) से प्रतिबंध हटाने की घोषणा की। यह निर्णय 20 जनवरी को होने वाले अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण से कुछ दिन पहले आया है।
बार्क और आईजीसएआर परमाणु ऊर्जा विभाग के प्रमुख अनुसंधान संस्थान हैं, जबकि आईआरईएल इसके अंतर्गत एक सार्वजनिक उपक्रम है।
अमेरिका के वाणिज्य विभाग के ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी (बीआईएस) ने कहा कि इन भारतीय संस्थाओं पर शीतयुद्ध के दौरान लगाए गए प्रतिबंध हटाए जाने से साझा ऊर्जा सुरक्षा आवश्यकताओं और लक्ष्यों की दिशा में संयुक्त अनुसंधान एवं विकास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों को समर्थन मिलेगा।
यह कदम ऐसे समय में आया है जब चीन दुर्लभ पृथ्वी तत्व के क्षेत्र में अपना विस्तार कर रहा है। यह ऐसे समय भी आया है जब भारत छोटे परमाणु रिएक्टर विकसित करने पर विचार कर रहा है।
परमाणु ईंधन परिसर (एनएफसी) के पूर्व अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी एन साईबाबा ने अमेरिका के फैसले का स्वागत किया और कहा कि प्रतिबंध हटने से भारत को महत्वपूर्ण परमाणु प्रौद्योगिकियों तक पहुंच प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
साईबाबा ने कहा, ‘‘प्रतिबंध हटने से भारत को नयी प्रौद्योगिकियों तक पहुंच प्राप्त करने में मदद मिलेगी। अब जब दो बहुत महत्वपूर्ण संस्थाओं-बार्क और आईजीसीएआर को प्रतिबंध सूची से हटा दिया गया है, तो यह लगभग पूरे डीएई के लिए अच्छा है।’’
उन्होंने कहा कि आईआरईएल पर प्रतिबंध हटाए जाने से भारत को महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा, जिनकी न केवल रक्षा, परमाणु और अंतरिक्ष जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में, बल्कि दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले उपकरणों के निर्माण में भी आवश्यकता होती है।
कैनबरा स्थित ‘ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टिट्यूट’ की रेजिडेंट सीनियर फेलो राजेश्वरी पिल्लै राजगोपालन ने कहा कि अमेरिका का निर्णय सकारात्मक है और भारत तथा अमेरिका के बीच बदले हुए एवं अधिक रणनीतिक रूप से उन्मुख संबंधों को प्रतिबिंबित करता है।
उन्होंने कहा कि यह कदम बहुत पहले उठाया जाना चाहिए था।
अपडेटेड 23:57 IST, January 16th 2025