Search icon
Download the all-new Republic app:

Published 19:06 IST, December 1st 2024

मस्जिदों पर इस फैसले की वजह से विपक्षी दलों के निशाने पर आए पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

देश के पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ के एक फैसले की वजह से पूरा विपक्ष उन्हें लगातार घेर रही है। आइए जानते हैं कि पूर्व CJI के किस फैसले पर विपक्ष ने हायतौबा मचाया।

Reported by: Kanak Kumari Jha
पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ | Image: PTI

EX CJI DY Chandrachud: संभल के जामा मस्जिद में सर्वे को लेकर मचे बवाल के बाद से देश में माहौल बिगड़ा हुआ है। संभल में हुई हिंसा के बीच राजस्थान के अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका को भी कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। इसे लेकर विपक्ष की तरफ से आपत्ति भी जताई गई। वहीं इन सबके बीच भारत के पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ विपक्षी दलों के निशाने  पर आ गए हैं।

पूर्व सीजेआई के विपक्षी दलों के निशाने पर आने की वजह उनका एक फैसला है, जिसने मस्जिदों में सर्वे का रास्ता खोल दिया है। यहीं कारण है कि चाहें वो महबूबा मुफ्ती हों या फिर कांग्रेस नेता रामरमेश, सभी पूर्व CJI पर हमलावर हैं।

पूर्व CJI चंद्रचूड़ के किस फैसले पर विपक्ष ने मचाया हायतौबा?

बता दें, 2023 में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ही ज्ञानवापी में ASI सर्वे कराने का फैसला दिया गया था। जजों के जिस बेंच ने ये फैसला सुनाया, उसमें तत्कालीन CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे। ज्ञानवापी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ये फैडसला 4 अगस्त 2023 को सुनाया था। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने ये कहा कि इसका मकसद यह स्पष्ट करना था कि यह मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी या नहीं।

विपक्ष के निशाने पर पूर्व CJI

शिवसेना गुट के नेता संजय राउत ने कहा, "चाहे अजमेर हो या उत्तर प्रदेश का संभल, CJI चंद्रचूड़ देश में आग लगाने के बाद रिटायर हुए हैं। आज देश की जो हालत है उसके लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। जस्टिस चंद्रचूड़ को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।"

कांग्रेस नेता जयराम रमेश, "20 मई 2022 को चंद्रचूड़ साहब ने मौखिक टिप्पणी की और उससे भानुमती का पिटारा, पैंडोरा बॉक्स खुल गया। भाजपा इसका पूरा राजनीतिक फायदा उठा रही है। हर जगह सांप्रदायिक तनाव फैलाया जा रहा है।"

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा, "जब निचली अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद पर दावे को स्वीकार किया, तब मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनका कहना था कि पूजा स्थल अधिनियम को देखते हुए इस तरह के दावे को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।हालांकि, अदालत ने अपने रुख को नरम करते हुए सर्वेक्षण की अनुमति देते हुए कहा कि यह 1991 के कानून का उल्लंघन नहीं करता है। इसके बाद मथुरा में शाही ईदगाह, लखनऊ में टीले वाली मस्जिद और अब संभल में जामा मस्जिद और अजमेर शरीफ पर भी दावे किए जाने लगे।"

इसे भी पढ़ें: आलू पर टकराव! पश्चिम बंगाल ने रोकी सप्लाई तो झारखंड में हिली सरकार, CM सोरेन को लेना पड़ा संज्ञान

Updated 19:06 IST, December 1st 2024

Recommended

Live TV

Republic Bharat is Bharat's leading news channel.