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Published 22:05 IST, September 13th 2024

संविधान की शपथ के बावजूद भारत मां को पीड़ा दे रहे भटके हुए लोग : जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राहुल गांधी का नाम लिये बिना कटाक्षकर कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति ने विदेश में ऐसा व्यवहार किया कि वह संविधान की शपथ भूल गए।

जगदीप धनखड़ | Image: X@VicePresident

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिये बिना कटाक्ष करते हुए कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति ने विदेश में इस तरह से व्यवहार किया कि वह अपने संविधान की शपथ भूल गए और देश के हितों की अनदेखी कर संस्थाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाई।

उन्होंने कहा कि संविधान का पालन करना, उसके आदर्शों व संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना मौलिक कर्तव्य है।

धनखड़, किशनगढ़ में केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान में ‘2047 में विकसित भारत में उच्च शिक्षा की भूमिका’ पर संवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘यह पीड़ा का विषय बन गया है कि दुनिया के लोग हम पर हंस रहे हैं क्योंकि संवैधानिक पद पर बैठा एक व्यक्ति विदेश के अंदर ऐसा आचरण कर रहा है जैसे अपने संविधान की शपथ को भूल गया हो। उन्होंने देशहित को नजरअंदाज कर दिया और हमारी संस्थाओं की गरिमा को नुकसान पहुंचाया।”

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के समक्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की आलोचना की थी, जिसको लेकर राजनीति विवाद खड़ा हो गया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरोप लगाया कि राहुल विदेश में ‘संवेदनशील मुद्दों’ पर बोल कर ‘खतरनाक विमर्श’ गढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। धनखड़ ने अपने संबोधन में कहा कि हमें सदैव राष्ट्रहित को ऊपर रखना चाहिए।

उन्होंने कहा, “हमें राष्ट्र को सदैव स्वहित, राजनीतिक हित से ऊपर रखना होगा। किसी भी हालत में हम दुश्मन के हितों को बढ़ावा नहीं दे सकते।”

उन्होंने कहा, “दुखद विषय है, चिंता का विषय है, चिंतन का विषय है, मंथन का विषय है कि अपने में से कुछ भटके हुए लोग संविधान की शपथ के बावजूद भारत मां को पीड़ा दे रहे हैं। राष्ट्रवाद के साथ समझौता कर रहे हैं। राष्ट्र की परिकल्पना को समझ नहीं पा रहे हैं। पता नहीं कौन से स्वार्थ को ऊपर रख कर भारत मां को लहूलुहान करना चाहते हैं।”

उन्होंने कहा, “मेरा उनसे आग्रह रहेगा। हर भारतीय देश के बाहर कदम रखता है तो हमारे राष्ट्रवाद का राजदूत है। हमारी संस्कृति का राजदूत है।”

धनखड़ ने कहा, “मेरे पद पर मेरा काम राजनीति करना नहीं है। राजनीतिक दल अपना-अपना काम करें। राजनीतिक दलों को वह काम करने का अधिकार है जो वे करना चाहते हैं। विचारधारा अलग-अलग होगी, शासन के प्रति रवैया अलग-अलग होगा। इसमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन एक बात में समानता होगी, राष्ट्र सर्वोपरि है।”

देश में हुए विकास का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की पहचान आज दुनिया में एक ऐसे देश की है जो किसी देश का मोहताज नहीं है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत के नेतृत्व की गूंज, नेतृत्व का प्रभाव, नेतृत्व का असर दुनिया में निर्णायक साबित हो रहा है ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था।

Updated 22:05 IST, September 13th 2024

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