Published 11:15 IST, September 21st 2024
आतिशी को CM पद और 5 कैबिनेट मंत्री... इन 6 चेहरों पर ही अरविंद केजरीवाल ने क्यों दांव लगाया?
अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को अपना उत्तराधिकारी नामित किया, जिससे उनकी मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्ति आसान हुई। नई सरकार में मुकेश अहलावत नया चेहरा हैं।
- भारत
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Delhi: अरविंद केजरीवाल के जेल से लौटने के बाद दिल्ली का राजनीतिक परिदृश्य बदला है। 13 सितंबर को केजरीवाल की रिहाई हुई और उसके 2 दिन बाद 15 सितंबर को कार्यकर्ताओं के बीच जाकर मुख्यमंत्री पद छोड़ने की घोषणा की। ठीक 2 दिन बाद केजरीवाल ने 17 सितंबर को अपना इस्तीफा दे दिया। बाद में पार्टी की एक बैठक में केजरीवाल ने आतिशी को अपना उत्तराधिकारी नामित किया, जिससे उनकी मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्ति आसान हो गई।
सवाल ये है कि केजरीवाल ने आतिशी को सीएम और कैबिनेट मंत्री के रूप में गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, इमरान हुसैन और मुकेश अहलावत को क्या चुना है? जब दिल्ली में कुछ महीने बाद चुनाव हैं और हरियाणा में मौजूदा वक्त में इलेक्शन हो रहे हैं तो केजरीवाल ने इन 6 चेहरों पर ही दांव क्यों लगाया है?
CM आतिशी और 5 मंत्रियों को जानिए
CM आतिशी: सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी। उसके अलावा ममता बनर्जी के बाद आतिशी भारत में मौजूदा महिला सीएम होंगी। अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आतिशी को विधायक दल का नेता चुना गया। कालकाजी सीट से विधायक आतिशी इसके पहले दिल्ली सरकार में कई विभागों को संभाल चुकी हैं। वो मनीष सिसोदिया की एडवाइजर भी रहीं।
गोपाल राय: बाबरपुर सीट से विधायक हैं। वो आम आदमी पार्टी की स्थापना के समय जुड़े और केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री भी बने।
सौरभ भारद्वाज: ग्रेटर कैलाश सीट से विधायक सौरभ भारद्वाज AAP के प्रवक्ता भी हैं। मनीष सिसोदिया के जेल जाने पर उनके कुछ महत्वपूर्ण मंत्रालय सौरभ को ही सौंपे गए थे।
कैलाश गहलोत: पेशे से वो एक वकील हैं। नजफगढ़ सीट से दूसरी बार विधायक बने कैलाश गहलोत को केजरीवाल की कैबिनेट का हिस्सा बनाया गया था। अरविंद केजरीवाल की गैरमौजूदगी में दिल्ली सरकार की तरफ से झंडा फहराने का मौका उन्हें मिला था।
इमरान हुसैन: आतिशी की कैबिनेट में इमरान हुसैन इकलौते मुस्लिम चेहरा रहेंगे। केजरीवाल की कैबिनेट में भी इमरान को मंत्री बनने का मौका मिला था।
मुकेश अहलावत: दिल्ली की नई कैबिनेट में मुकेश अहलावत नया चेहरा होंगे। उनकी पहचान एक दलित नेता के रूप में है और केजरीवाल ने उन्हें राजकुमार आनंद की जगह चुना है।
इन 6 चेहरों पर ही केजरीवाल का दांव क्यों?
केजरीवाल के साथ मनीष सिसोदिया ने खुद को सरकार के दूर रखा है। ऐसे में मुख्यमंत्री के तौर पर आतिशी अरविंद केजरीवाल की रणनीति में फिट बैठती हैं। आतिशी केजरीवाल और सिसोदिया की सबसे भरोसेमंद नेता हैं। हर जगह पार्टी के लिए लड़ना हो, पार्टी का मजबूती से स्टैंड रखना हो, आतिशी अहम भूमिका में रही हैं। दरकिनार नहीं किया जा सकता है कि आम आदमी पार्टी में संजय सिंह, राघव चड्ढा जैसे नेताओं के सामने आज आतिशी का कद बढ़ा है। आतिशी आज अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के बाद एक तरीके से पार्टी के भीतर तीसरे नंबर की पोजिशन पर खड़ी हैं।
गोपाल राय और सौरभ भारद्वाज भी केजरीवाल के भरोसेमंद लोगों में शामिल हैं। आतिशी के साथ सौरभ भारद्वाज सरकार के अलावा संगठनात्मक तौर पर आगे बढ़े हैं। वो भी आतिशी की तरह पार्टी का मजबूत पक्ष रखते रहे हैं। बतौर मंत्री तकरीबन डेढ़ साल का कार्यकाल उन्होंने आतिशी के साथ ही शुरू किया था। मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में सौरभ भारद्वाज भी शामिल रहे।
गोपाल राय का आम आदमी पार्टी में कद एक सीनियर नेता के तौर पर है और काफी सुलझे नेता भी माने जाते हैं। वरिष्ठता क्रम के आधार पर उन्हें अरविंद केजरीवाल के करीबियों में गिना जाता है। गोपाल राय की वर्किंग क्लास कम्युनिटी के बीच अच्छी पकड़ मानी जाती है।
जाट परिवार से आने वाले कैलाश गहलोत हरियाणा के चुनाव में आम आदमी पार्टी का फायदा करा सकते हैं, क्योंकि राज्य में ज्यादातर सीटें जाट बाहुल्य हैं। हालांकि इमरान हुसैन को सरकार में रखने के पीछे मुस्लिम वोटबैंक की राजनीति बताई जाती है, क्योंकि दिल्ली में तकरीबन 11.7 फीसदी मुस्लिम पॉपुलेशन है। इमरान के जरिए आम आदमी पार्टी की पकड़ अल्पसंख्यक वोटबैंक बनी रहेगी। दिल्ली में करीब 12 प्रतिशत दलित आबादी है और अहलावत को मंत्री बनाकर AAP की कोशिश दलित वोटबैंक साधने की हो सकती है।
किस मंत्री को मिलेगा कौन सा विभाग?
फरवरी 2025 में संभावित विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही नई कैबिनेट कार्यभार संभालेगी। आधिकारिक तौर पर जानकारी जरूर सामने नहीं आई है, लेकिन माना जाता है कि चारों मंत्री (गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, इमरान हुसैन) अपने मौजूदा विभागों को बरकरार रख सकते हैं, जबकि सुल्तानपुर माजरा से पहली बार विधायक बने अहलावत को उन विभागों की देखरेख का काम सौंपा जा सकता है, जो अप्रैल में मंत्री राज कुमार आनंद के इस्तीफे के कारण खाली रह गए थे।
पिछली कैबिनेट में सौरभ भारद्वाज ने स्वास्थ्य, उद्योग, शहरी विकास और पर्यटन-कला-संस्कृति, कैलाश गहलोत ने परिवहन, गृह, सूचना प्रौद्योगिकी और प्रशासनिक सुधार, गोपाल राय ने पर्यावरण, विकास और सामान्य प्रशासन और इमरान हुसैन ने खाद्य और नागरिक आपूर्ति और चुनाव विभाग संभाले थे।
फरवरी में पूरा होगा दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल
दिल्ली विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 23 फरवरी 2025 तक है। ऐसे में दिल्ली चुनाव के लिए तकरीबन 5 महीने का वक्त है। केजरीवाल मांग कर चुके हैं कि दिल्ली में जल्दी चुनाव करा दिए जाएं। फिलहाल इसकी संभावनाएं दिख नहीं रही हैं, क्योंकि मौजूदा सदन के 5 साल के कार्यकाल के खत्म होने की स्थिति में चुनाव प्रक्रिया शुरू की जाती है। फिर भी चुनाव जल्दी कराए गए तो इस पर उपराज्यपाल के बाद चुनाव आयोग को फैसला करना होगा और उसके पहले समय से पहले विधानसभा भंग करना होगी।
Updated 11:15 IST, September 21st 2024