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पब्लिश्ड 22:56 IST, September 3rd 2024

‘जर्मन बेकरी’ विस्फोट के दोषी को पैरोल देने से इनकार करने पर अदालत ने जेल अधिकारियों को लगाई फटकार

न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा, “यह विवेक का प्रयोग न करने का मामला है। हम न केवल पैरोल की अनुमति देंगे, बल्कि संबंधित अधिकारी पर जुर्माना भी लगाएंगे।”

Bombay HC | Image: PTI (Representational Image)

बंबई उच्च न्यायालय ने 2010 के ‘जर्मन बेकरी’ विस्फोट मामले में एकमात्र दोषी हिमायत बेग को पैरोल देने से इनकार करते समय “विवेक का प्रयोग नहीं करने” के लिए मंगलवार को नासिक केंद्रीय जेल के अधिकारियों को फटकार लगाई।

न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने चेतावनी दी कि बेग को आतंकवाद के आरोपों में दोषी ठहराए जाने के आधार पर पैरोल देने से इनकार करने के लिए अधिकारियों पर जुर्माना लगाया जाएगा। न्यायाधीशों ने कहा कि उच्च न्यायालय ने अपील में उसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आतंकवाद के आरोपों और भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश के आरोपों से बरी कर दिया था।

2016 में उच्च न्यायालय ने सजा को आजीवन कारावास में बदला  

बेग को यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के तहत दोषी ठहराया गया था और 2013 में एक विशेष अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन 2016 में उच्च न्यायालय ने उसकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया और उसे यूएपीए के आरोपों से बरी कर दिया।

पीठ ने मंगलवार को कहा कि बेग वर्तमान में भारतीय दंड संहिता और विस्फोटक अधिनियम के अन्य प्रावधानों के तहत दोषी है।

अधिकारियों ने हिमायत बेग को पैरोल देने से किया इनकार

नासिक जेल अधिकारियों ने 45 दिनों की पैरोल की मांग करने वाले उसके आवेदन को 31 जुलाई को खारिज कर दिया था जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय का रुख किया। उसके आवेदन में कहा गया था कि वह अपनी मां के साथ रहना चाहता है, जो गंभीर रूप से बीमार हैं।

उच्च न्यायालय ने कहा, “इसे क्यों खारिज कर दिया गया? वह यूएपीए या यहां तक​ कि आपराधिक साजिश के तहत भी दोषी नहीं है। वह पैरोल और फरलो के नियमों के तहत निर्धारित अपवाद के अंतर्गत नहीं आता है।”

हम न केवल पैरोल की अनुमति देंगे, बल्कि संबंधित अधिकारी पर जुर्माना भी लगाएंगे- कोर्ट

न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा, “यह विवेक का प्रयोग न करने का मामला है। हम न केवल पैरोल की अनुमति देंगे, बल्कि संबंधित अधिकारी पर जुर्माना भी लगाएंगे।”

अतिरिक्त सरकारी वकील अश्विनी टाकलकर ने अदालत को बताया कि जेल अधिकारियों के पास उच्च न्यायालय के फैसले की प्रति नहीं है, जिसमें बेग को यूएपीए के आरोपों से बरी किया गया था।

बेग फरवरी 2010 में पुणे के एक मशहूर रेस्तरां ‘जर्मन बेकरी’ में हुए विस्फोट में दोषी ठहराए जाने वाला एकमात्र व्यक्ति है। इस विस्फोट में 17 लोग मारे गए थे और 60 अन्य घायल हो गए थे। इस मामले में यासीन भटकल समेत छह अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था।

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अपडेटेड 22:56 IST, September 3rd 2024

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