Published 23:06 IST, September 2nd 2024
अवमानना मामला: न्यायालय ने गुजरात के पुलिस अधिकारी पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया
सजा की अवधि पर सोमवार को सुनवाई के दौरान न्यायिक अधिकारी दीपाबेन संजय कुमार ठाकर और पुलिस अधिकारी आर.वाई. रावल अदालत में उपस्थित थे।
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उच्चतम न्यायालय ने एक आपराधिक मामले में शीर्ष अदालत से अग्रिम जमानत पा चुके एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने को लेकर न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराये गए गुजरात के एक पुलिस अधिकारी पर सोमवार को 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने एक न्यायिक अधिकारी द्वारा मांगी गई बिना शर्त माफी स्वीकार कर ली। मामले में उक्त न्यायिक अधिकारी को भी अवमानना का दोषी करार दिया गया था।
शीर्ष अदालत ने अग्रिम जमानत हासिल कर चुके व्यक्ति को पुलिस हिरासत में भेजने के आदेश को लेकर न्यायिक अधिकारी और पुलिस अधिकारी को सात अगस्त को अवमानना का दोषी करार दिया था।
सजा की अवधि पर सोमवार को सुनवाई के दौरान न्यायिक अधिकारी दीपाबेन संजय कुमार ठाकर और पुलिस अधिकारी आर.वाई. रावल अदालत में उपस्थित थे।
गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से उदारता बरतने का अनुरोध किया और कहा कि अधिकारियों ने गलती के लिए माफी मांगी है।
रावल की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि पुलिस अधिकारी ने अदालत में बिना शर्त माफी मांगी है। वहीं, ठाकर के वकील ने कहा कि न्यायिक अधिकारी का एक न्यायाधीश के रूप में उत्कृष्ट और बेदाग रिकॉर्ड रहा है तथा उन्होंने भी बिना शर्त माफी मांगी है।
पीठ ने कहा कि रावल पर पुलिस थाने में लगे सीसीटीवी की फुटेज मिटाने और व्यक्ति की पिटाई करने का भी आरोप है।
न्यायालय ने कहा, ‘‘उक्त अवधि के लिए ही सीसीटीवी फुटेज क्यों नहीं उपलब्ध है? यह स्पष्ट है कि उन्होंने ऐसा किया है।’’
पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने आदेश पारित किया लेकिन उसके बावजूद भी व्यक्ति की स्वतंत्रता पर पाबंदी लगा दी गई।
आदेश में, न्यायालय ने कहा, ‘‘हम एक नरम रुख अपनाने को इच्छुक हैं और उनकी (ठाकर की) माफी स्वीकार कर ली है।’’
हालांकि, शीर्ष अदालत ने रावल पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
पिछले साल आठ दिसंबर को तुषारभाई रजनीकांत भाई शाह को अग्रिम जमानत प्रदान करने वाली पीठ ने सात अगस्त को इस बात से हैरानगी जताई कि उसके आदेश के लागू होने के बावजूद न्यायिक अधिकारी ने जांच अधिकारी (आईओ) की याचिका पर गौर किया और आरोपी को पूछताछ के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया।
सूरत के वेसु पुलिस थाने के पुलिस निरीक्षक रावल की भूमिका पर विस्तार से चर्चा करते हुए, न्यायालय ने कहा कि आरोपी को दिये गए अंतरिम संरक्षण के दौरान उसकी पुलिस हिरासत के लिए अर्जी ‘‘इस अदालत के आदेश की घोर अवहेलना’’ है और ‘‘अवमानना के समान’’ है।
Updated 23:06 IST, September 2nd 2024