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Published 15:35 IST, September 19th 2024

BREAKING: बायोमेट्रिक डेटा पर फंसा पेच, बर्खास्त ट्रेनी IAS पूजा खेडकर को दिल्ली HC ने भेजा नोटिस

बर्खास्त ट्रेनी IAS पूजा खेडकर की ओर से बायोमेट्रिक सत्यापन के संबंध में अदालत के समक्ष दिए गए बयान को UPSC ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है।

Reported by: Digital Desk
Dismissed IAS trainee Pooja Khedkar | Image: Instagram

बर्खास्त ट्रेनी IAS पूजा खेडकर की ओर से बायोमेट्रिक सत्यापन के संबंध में अदालत के समक्ष दिए गए बयान को UPSC ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने UPSC की याचिका पर बर्खास्त ट्रेनी IAS पूजा खेडकर को नोटिस जारी किया है। इस मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट में अब 26 सितंबर अगली सुनवाई होगी।

UPSC ने याचिका में कहा कि पूजा खेडकर ने दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में गलत दावा किया है कि UPSC ने उसके व्यक्तित्व परीक्षण के दौरान बायोमेट्रिक डेटा लिया था।

पूजा खेडकर पर धोखाधड़ी के आरोप

खेडकर पर सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी और गलत तरीके से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) एवं दिव्यांगता आरक्षण का लाभ उठाने का आरोप है। खेडकर ने अपने खिलाफ सभी आरोपों से इनकार किया है।

वकील वर्धमान कौशिक की ओर से दायर अपने आवेदन में यूपीएससी ने कहा कि खेडकर ने हलफनामे में अपने जवाब में ‘‘बिल्कुल गलत’’ बयान दिया है कि आयोग ने व्यक्तित्व परीक्षण के दौरान उसके ‘बायोमेट्रिक्स’ एकत्रित किए थे।

इस उल्लंघन के लिए खेडकर के खिलाफ जांच और उचित कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध करते हुए आवेदन में आरोप लगाया गया है कि उच्च न्यायालय में लंबित एक अन्य कार्यवाही में भी खेडकर ने ‘‘झूठी गवाही’’ दी है, जो भारतीय न्याय संहिता के तहत अपराध है।

पूजा खेडकर का आचरण ‘‘घातक और गलत’’- यूपीएससी

यूपीएससी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश कौशिक ने कहा कि उनका आचरण ‘‘घातक और गलत’’ है।

आवेदन में कहा गया है, ‘‘यह दावा कि आयोग ने उनके ‘बायोमेट्रिक्स एकत्रित किए, पूरी तरह से गलत है और ऐसा इस माननीय न्यायालय को धोखे में रखकर मनोनुकूल आदेश प्राप्त करने के एकमात्र उद्देश्य से किया गया है। चूंकि उनके व्यक्तित्व परीक्षण या इसके आधार पर किए गए किसी भी तरह के सत्यापन के प्रयास के तहत आयोग ने उनका कोई ‘बायोमेट्रिक’ (आंखों और उंगलियों का) एकत्र नहीं किया है इसलिए इस दावे को खारिज किया जाता है। आयोग ने अब तक हुई सिविल सेवा परीक्षाओं में व्यक्तित्व परीक्षण के दौरान किसी भी उम्मीदवार से कोई ‘बायोमेट्रिक’ सूचना एकत्रित नहीं की है।’’

यूपीएससी ने कहा, ‘‘इस निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई संदेह नहीं है कि पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर का आचरण झूठी गवाही देने के समान है।’’

दूसरी ओर खेडकर के वकील ने इस आवेदन को ‘‘दबाव की रणनीति’’ करार दिया।

खेडकर पर आरक्षण का लाभ पाने के लिए गलत जानकारी देने का आरोप

खेडकर ने कथित रूप से आरक्षण का लाभ पाने के लिए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के लिए अपने आवेदन में गलत सूचना दी। उच्च न्यायालय इससे पहले मामले में उन्हें अग्रिम जमानत दे चुका है। यूपीएससी और दिल्ली पुलिस दोनों ने अग्रिम जमानत की उनकी याचिका को खारिज करने का अनुरोध किया है।

दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि उन्हें किसी भी तरह की राहत देने से ‘‘गहरी साजिश’’ की जांच में बाधा उत्पन्न होगी और इस मामले का जनता के विश्वास के साथ-साथ सिविल सेवा परीक्षा की ईमानदारी पर भी व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

(इनपुट- पीटीआई)

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Updated 15:35 IST, September 19th 2024

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