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Published 21:57 IST, October 7th 2024

बिहार पुलिस ने कहा-ED विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों पर वित्तीय पहलुओं की जांच कर रही

ईडी ने इस साल की शुरुआत में बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के विश्वास मत जीतने से पहले विधायकों की खरीद-फरोख्त के संबंध में सामने आए।

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बिहार पुलिस | Image: bihar police

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस साल की शुरुआत में बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के विश्वास मत जीतने से पहले विधायकों की खरीद-फरोख्त के संबंध में सामने आए ‘‘वित्तीय लेन-देन’’ की जांच पुलिस से अपने हाथ में ले ली है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।

आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) मानवजीत सिंह ढिल्लों ने संवाददाताओं को बताया कि पटना के कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद जांच शुरू हुई। ढिल्लों ने कहा, ‘‘ईओयू ने जांच अपने हाथ में ले ली है और उसने प्रारंभिक जांच के बाद अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है। हम फिलहाल केवल इतना कह सकते हैं कि वित्तीय लेनदेन से संबंधित कुछ सुराग भी हमारे हाथ लगे हैं। चूंकि धन शोधन का संदेह था, इसलिए हमने ईडी के साथ वित्तीय जानकारी साझा की।’’

उन्होंने और जानकारी देने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘हम इस मामले में शामिल आपराध के पहलू की जांच कर रहे हैं। बाकी की जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है।’’ इस वर्ष फरवरी में दर्ज कराई गई प्राथमिकी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के विधायक सुधांशु शेखर ने आरोप लगाया था कि उन्हें राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पाले में शामिल होने के लिए रिश्वत की पेशकश की गई।

शेखर ने यह भी दावा किया था कि उनकी अपनी पार्टी के कई नेता राजद के साथ मिले हुए हैं, जो मुख्यमंत्री के साथ भाजपा के फिर से गठबंधन से नाराज हैं। विधायक ने दावा किया था कि राजद को विश्वास मत जीतने और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में सरकार बनाने में मदद करने पर उन्हें ‘‘10 करोड़ रुपये नकद और मंत्री पद’’ की पेशकश की गई थी।

इस साल की शुरुआत में नीतीश कुमार ने राजद का साथ छोड़कर भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया था। हालांकि, राजद इन आरोपों से इनकार किया और दावा किया कि उसके कई विधायकों के साथ-साथ सहयोगी कांग्रेस के विधायकों को भी सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से प्रलोभन दिया गया।

एक महीने से अधिक समय के विधानसभा सत्र के दौरान दोनों पक्षों के कई विधायकों ने दलबदल किया, हालांकि अभी तक किसी को भी दलबदल रोधी कानून के तहत अयोग्य नहीं ठहराया गया है। इस बीच, मीडिया की खबरों में दावा किया गया कि ईओयू की जांच से ‘‘उत्तर प्रदेश, झारखंड और हरियाणा के लोगों के माध्यम से किए गए लेन-देन’’ का पता चला है। हालांकि इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Updated 21:57 IST, October 7th 2024

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