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Published 20:32 IST, July 23rd 2024

NEET UG 2024 परीक्षा पर कोर्ट ने मांगा एक-एक अंक का जवाब, जानें दिनभर कोर्ट में क्या-क्या दलीलें हुई

NEET UG 2024: नीट-यूजी 2024 परीक्षा सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। CJI की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि दोबारा परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी।

Reported by: Digital Desk

NEET Supreme Court Decision: सुप्रीम कोर्ट ने विवादों से घिरी नीट-यूजी 2024 परीक्षा को रद्द करने और दोबारा परीक्षा कराने की मांग वाली याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि नीट की परीक्षा दोबारा आयोजित नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि पेपर लीक होने और अन्य गड़बड़ियों से परीक्षा की पवित्रता का उल्लंघन किया गया था।

इस मामले पर 3 जजों की पीठ ने केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ताओं नरेंद्र हुड्डा, संजय हेगड़े और मैथ्यूज नेदुमपरा सहित अलग-अलग वकीलों की दलीलें चार दिनों तक सुनीं। कोर्ट ने 20 लाख से अधिक छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए फैसले के प्रभावी हिस्से को लिखा और कहा कि विस्तृत फैसला बाद में सुनाया जाएगा। इससे पहले कोर्ट में दिनभर वकीलों ने अपनी-अपनी दलील रखी।

'किस सेंटर से हैं TOP-100 छात्र?'

CJI ने पूछा कि टॉप 100 छात्रों में से कितने छात्र लीक वाले सेंटर से मिले थे। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नीट परीक्षा में व्यापक स्तर और गड़बड़ी नहीं हुई है। टॉप 100 कैंडिडेट 95 सेंटर और 56 शहरों से है। याचिकाकर्ताओं ने कुछ सेंटर का हवाला देकर गड़बड़ी का इशारा किया है। लेकिन ये 24 लाख छात्रों से जुड़ा मसला है। आपको ये तय करना है कि क्या गड़बड़ी का पूरे देश पर असर हुआ है या नहीं? इसका पूरे देश पर कोई असर नहीं है।

अलग-अलग भाषा माध्यम

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कुछ सेंटर पर प्रश्नपत्र अलग-अलग भाषा माध्यम वाले भी दिए गए थे। सवाई माधवपुर, राजस्थान और गाजियाबाद ऐसे सेंटर थे। इसपर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि गाजियाबाद के बारे में नहीं पता। CJI ने पूछा कि इसका पता कब चला? जवाब में याचिकाकर्ता ने बताया कि सवाई माधवपुर में छात्रों को 2:30 बजे सोशल मीडिया पर पता चला। यह हलफनामे में कहा गया है। 2 बजे परीक्षा शुरू हुई, प्रश्नपत्र दिए गए और छात्रों ने शिकायत करते हुए कहा कि यह मेरे मीडियम का पेपर नहीं है। ये बात NTA को उसी दिन 4:30 बजे पता चली।

सफलता दर में नहीं आया बदलाव

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बिहार, पटना और बेलगावी में सफलता दर को देखा जाय। यहां की सफलता दर पिछले सालों से मेल खाती है। पटना की सफलता दर 49.22 प्रतिशत है। झारखंड हजारीबाग की सफलता दर 47.28 प्रतिशत है। हमने कुछ समय के लिए विंडो ओपन किया था जिसके परिणामस्वरूप अधिक संख्या में उम्मीदवारों को प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिला, इससे किसी भी गलत काम का दूर-दूर तक कोई अनुमान नहीं लगता, लेकिन जो बात नहीं बताई गई वह यह थी कि 23 लाख छात्रों में से जिन लोगों ने केंद्र बदलने के लिए पोर्टल का उपयोग किया, उनकी संख्या मात्र 14000 थी।

जले हुए पेपर पर दलील

तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि जांच के बाद हमें जो जले हुए प्रश्नपत्र मिले, उनमें छात्रों का यूनिक कोड था। हमारे पास ओएसिस स्कूल की सीसीटीवी फुटेज है। सुबह 8:02 बजे एक व्यक्ति ट्रक में प्रवेश करता है। वह प्रश्नपत्र सॉल्वर को देता है। वहां 8 सॉल्वर मौजूद थे। प्रत्येक को 25 प्रश्न मिलते हैं। वे मोबाइल नहीं रखते क्योंकि वे नहीं चाहते कि यह उन लोगों तक पहुंचे जिन्होंने पैसे का भुगतान नहीं किया है। अब जब प्रश्नपत्र जल गए हैं, तो एक प्रश्नपत्र में एक लड़की का नंबर था, जिसने बाद में शिकायत की थी कि उसके प्रश्नपत्र के साथ छेड़छाड़ की गई है।

इसपर CJI ने कहा कि अगर आप लाइटर से किसी प्लास्टिक को दोबारा सील करेंगे, तो जाहिर है उस पर जलने के निशान होंगे और साथ ही जब आरोपियों ने कई महीने पहले किसी स्तर पर साजिश रची थी। तो उन्होंने इसे इतने छोटे एरिया पर कैसे फोकस किया ह्यूमन बिहेवियर यह है कि आप अधिक लाभ कमाना चाहते हैं। 

सॉलिसिटर जनरल- वो लोग नहीं चाहते थे कि पेपर उन लोगों तक पहुंचे जिन्होंने इसके लिए भुगतान नहीं किया।

CJI ने पूछे ताबड़तोड़ सवाल

CJI- हम जानते हैं कि एक जगह लीक हुआ था और इसकी शुरुआत हजारीबाग से हुई थी और व्हाट्सएप मैसेज पटना भेजा गया था। हम इस बात को लेकर अभी भी श्योर नही हैं कि लीक का समय क्या था और क्या कोई फोरेंसिक डेटा है जो यह दिखा सके कि सभी मैसेज कहां भेजे गए थे? क्या कोई मोबाइल जब्त किया गया है?
NTA- हमें उनकी फोरेंसिक जांच करनी होगी। एफएसएल रिपोर्ट से पता चलेगा कि वह पटना गया था या नहीं।
CJI- कल मैं कहीं पढ़ रहा था कि मोबाइल किसी नदी में फेंके गए थे?
सॉलिसिटर जनरल- हां, हमने उसे बरामद कर लिया है।
CJI- कंट्रोल रूम का ताला किसके कब्जे में था?
NTA- वहां दो दरवाजे थे, एक दरवाजा सबके सामने बंद कर दिया गया और चाबी केंद्र अधीक्षक को दे दी गई। पीछे का दरवाजा जानबूझकर खुला रखा गया। सुबह 7:53 बजे मुख्य दरवाजा बंद कर दिया गया था और सुबह 8:02 बजे व्यक्ति पीछे के दरवाजे से अंदर चला गया और वो लोग सुबह 9:23 बजे कंट्रोल रूम से चले गए।
CJI- इसका मतलब वो लोग डेढ़ घंटे तक अंदर रहे?
NTA- परीक्षा के पेपर सात परतों में रखे गए थे। 

जस्टिस पारदीवाला ने कंट्रोल रूम के आसपास की सुरक्षा के बारे में भी पूछा। लंच के बाद सुनवाई शुरू हुई तो सॉलिसिटर जनरल ने चीफ जस्टिस 25 से 30 मिनट बहस करने के लिए मांगे।

CJI- अगर हम दोबारा परीक्षा का आदेश देते हैं, तो छात्रों को पता होना चाहिए कि उन्हें तैयारी शुरू करनी है और अगर हम ऐसा नहीं करते हैं, तो ये भी उन्हें पता होना चाहिए। हम उन्हें अधर में नहीं रख सकते, इसलिए हमें आज सुनवाई पूरी करनी होगी। 
सॉलिसिटर जनरल- फायदा उठाने वाले छात्रों का आंकड़ा 155 से ज्यादा नहीं होगा। केवल दो छात्र थे, जिन्हें 573 और 581 अंक मिले। यह इसलिए भी हो सकता है क्योंकि छात्र पढने में अच्छे रहे होंगे। बाकी को 111 के आसपास नंबर मिले।

जस्टिस मनोज मिश्रा ने पूछा कि क्या टेलीग्राम पर पोस्ट किए गए पेपर और छात्रों को दिए गए पेपर के बीच उनकी फोरेंसिक तुलना है? क्या यह एक ही फॉन्ट में था?

सॉलिसिटर जनरल- प्रश्नपत्र इसी परीक्षा के पेपर का है, लेकिन कोई फोरेंसिक रिपोर्ट नहीं है।
कोर्ट: टेलीग्राम प्रश्नपत्र का फोटो केस डायरी से मेल नहीं खाता है न केवल फॉन्ट बल्कि नंबरिंग भी मेल नहीं खाती।
सॉलिसिटर जनरल- जांच से लोकल स्तर पर अनियमितता का पता चलता है और इसीलिए कोर्ट को ज्यूडिशियल रिव्यू पर ध्यान नहीं देना चाहिए। जांच रिपोर्ट के दो निष्कर्ष ये हैं।

  1. ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चले कि हल किए गए पेपर किसी भी रूप में आन चार जगहों को छोड़कर कहीं और भेजे गए। 
  2. इस चोरी किए गए पेपर से लाभान्वित होने वाले उम्मीदवारों की कुल संख्या लगभग 155 है। पटना में करीब 30 और हजारीबाग में 125 छात्र हैं।

सॉलिसिटर जनरल- मैं भरोसे से कहना चाहता हूं कि पेपर की चोरी सुबह 8:02 से 9:23 बजे के बीच हुई थी, जिसकी पुष्टि CCTV फुटेज से होती है।

याचिकाकर्ता के वकील हुड्डा ने कहा कि पूरी दुनिया देख रही है, पेपर लीक हो गया है। मोबाइल नहीं मिले हैं, परीक्षा की पवित्रता खत्म हो गई है और इस अदालत में केवल आंकड़े रखे जा रहे हैं। NEET मल्टी ऑर्गन फेल्योर की स्थिति से गुजर रहा है और इसे जाना ही होगा। सभी परीक्षार्थियों के पास आधार कार्ड होना चाहिए था। परीक्षा केंद्र बदलने के लिए आधार क्यों नहीं मांगा गया? इस पूरी परीक्षा को फिर से आयोजित कराया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुनाना शुरू किया

CJI ने कहा कि महज 1 लाख 8 हजार सीटों के लिए 23 लाख से अधिक छात्र परीक्षा में शामिल हुए थे। परीक्षा में 180 प्रश्न होते हैं, जिनके कुल अंक 720 होते हैं और गलत उत्तर के लिए एक माइनस अंक होता है। याचिकाकर्ताओं ने सिस्टेमेटिक विफलता का सवाल उठाकर दोबारा परीक्षा की मांग की है। कई राज्यों में इसे लेकर FIR भी दर्ज हुई है।

कोर्ट ने कहा कि हमने 4 दिनों से अधिक समय तक दलीलें सुनी हैं। हमने सीबीआई के अधिकारी कृष्णा सहित सभी पक्षों को सुना है। हम निष्कर्ष निकालते हैं और मानते हैं कि NEET UG 2024 का पेपर हजारीबाग और पटना में लीक हुआ था, इस पर कोई विवाद नहीं है। CBI की जांच के मुताबिक पेपर लीक की वजह से 155 ऐसे छात्र है जिन्हें गड़बड़ी का फायदा मिला है। डेटा से ये नहीं लगता कि सिस्टिमिक ब्रीच हुआ है या पूरी परीक्षा की गरिमा प्रभावित हुई है। दागी छात्रों को बाकी छात्रों से अलग किया जा सकता है। कोई भी छात्र जो इस धोखाधड़ी में शामिल पाया जाता है या लाभार्थी है, उसे प्रवेश पाने का अधिकार नहीं होगा। ये कहते हुए कोर्ट ने नीट परिक्षा फिर से कराने से इंकार कर दिया।

ये भी पढ़ें: हजारीबाग-पटना से लीक हुआ NEET UG 2024 पेपर, सुप्रीम कोर्ट ने माना- 155 छात्रों को मिला गड़बड़ी का लाभ 

Updated 23:47 IST, July 23rd 2024

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