Published 14:40 IST, April 3rd 2024
बेटे की एंट्री या हार का डर? सपा का गढ़ होते हुए भी बदायूं सीट क्यों छोड़ना चाहते हैं चाचा शिवपाल
Budaun News: बदायूं सीट पर शिवपाल सिंह यादव ने बेटे आदित्य के नाम को आगे बढ़ा दिया है तो अब फैसला अखिलेश यादव को लेना है।
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Lok Sabha Election 2024: क्या शिवपाल यादव अपने बेटे आदित्य को लॉन्च कर रहे हैं या खुद हार की स्थिति में अपनी छवि बचाने की कोशिश है? सवाल इसलिए हैं कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी और अखिलेश यादव के चाचा बदायूं सीट छोड़ने के संकेत दे चुके हैं। बदायूं लोकसभा सीट सपा का गढ़ रही है, जहां से मुलायम सिंह यादव और बाद में धर्मेंद्र यादव ने संसद का सफर तय किया। इस बार बदायूं में जीतने की जिम्मेदारी सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह यादव को सौंपी थी। हालांकि शिवपाल यादव बदायूं सीट छोड़ने के मूड में हैं।
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव को बदायूं सीट धर्मेंद्र यादव के बदले में मिली है। धर्मेंद्र यादव को सपा ने बदायूं की जगह आजमगढ़ भेज दिया है। बीच में चर्चाएं हो रही थीं कि शिवपाल बदायूं जाने के लिए खुश नहीं हैं। शायद इसीलिए उन्होंने इस क्षेत्र में काफी दिन बाद चुनाव-प्रचार शुरू किया था। फिलहाल उन्होंने एक प्रस्ताव के जरिए अपना दांव चल दिया है।
क्या बेटे को लॉन्च करने की तैयारी है?
शिवपाल चाहते हैं कि बदायूं सीट से उनके बेटे आदित्य यादव को उतारा जाए। आदित्य यादव ने अभी राजनीति में एंट्री नहीं ली है। इससे शिवपाल की कोशिश बदायूं से अपनी जगह बेटे आदित्य को चुनाव में उतारकर उन्हें राजनीति में लॉन्च करने की हो सकती है। अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल खुद बताते हैं- 'बदायूं की पूरी जनता समाजवादी पार्टी के साथ है। सम्मेलन में आदित्य यादव की बदायूं लोकसभा से चुनाव लड़ने के प्रस्ताव को पास किया गया है। अब प्रस्ताव राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास जाएगा। इस प्रस्ताव को पास करना राष्ट्रीय नेतृत्व के हाथ में है।'
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शिवपाल यादव को हार का डर तो नहीं?
जिस तरह भारतीय जनता पार्टी चुनाव में 400 पार का नारा देकर 'प्रेशर गेम' खेल रही है, विपक्ष के हाथ-पैर फूले हुए हैं। कुछ रिपोर्ट्स ऐसी आई हैं कि विपक्ष में बहुत से बड़े नेता हार के डर से चुनाव ही नहीं लड़ना चाहते हैं। अब शिवपाल यादव भी बदायूं से दूरी बना रहे हैं तो सवाल उठने लगा है कि क्या वो हार के डर से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। सवाल इसलिए भी 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ये सीट सपा से छीन भी चुकी है।
बहरहाल, शिवपाल सिंह यादव ने बेटे के नाम को आगे बढ़ा दिया है तो अब फैसला अखिलेश यादव को लेना है। हालांकि सपा मुखिया को जनता के बीच जाने वाले संदेश को भी देखने की जरूरत रहेगी। क्योंकि पहले से ही कुछ सीटों पर जब उसने उम्मीदवार बदले हैं तो बीजेपी खूब कटाक्ष कर रही है।
शिवपाल यादव पर बीजेपी क्या कहती है?
शिवपाल यादव जब बेटे को आगे कर रहे हैं तो भारतीय जनता पार्टी तंज कसने लगी है। बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी शायराना अंदाज में कहते हैं- "हाथ मलते रह जाएंगे सपाई, टिकट पाएंगे चाचा और भाई।" राकेश त्रिपाठी का कहना है- "सपा में सामान्य कार्यकर्ता केवल दरी बिछाने और नारे लगाने की तक सीमित, 18 साल से ऊपर के सैफई परिवार के हर नौजवान को राजनीतिक पद।'
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Updated 15:50 IST, April 3rd 2024