Published 13:27 IST, December 31st 2024
दिल्ली में मस्जिद के इमामों की सैलरी कितनी, AAP सरकार ने अब तक कितना पैसा किया खर्च? 10 साल तक पुजारियों को ना पूछने पर बवाल
दिल्ली सरकार मस्जिद के इमाम को 18 हजार रुपये और मोअज्जिन को 16 हजार रुपये देती है। शुरुआत में दिल्ली में इमाम की सैलरी 10 हजार और मोअज्जिन को 9 हजार मिलते थे।
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Delhi Assembly Elections: अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली चुनाव से पहले सॉफ्ट हिंदुत्व का दांव चला है। 18 हजार रुपये की स्कीम का ऐलान मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारे के ग्रंथियों के लिए किया है। अरविंद केजरीवाल 'पुजारी-ग्रंथी सम्मान' योजना लेकर आए हैं। फिलहाल योजना का ऐलान होते ही दिल्ली में भारी बवाल है। विवाद इस बात का है कि अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में 10 साल बाद पुजारी और ग्रंथी याद आए हैं।
अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया है कि हर महीने दिल्ली में मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारे के ग्रंथियों को 18 हजार रुपये दिए जाएंगे। हालांकि अभी सिर्फ चुनावी घोषणा है, जिसके लिए अरविंद केजरीवाल रजिस्ट्रेशन कराने वाले हैं। केजरीवाल ने स्पष्ट कहा है कि अगली बार सरकार बनने पर पुजारी-ग्रंथी को सम्मान के रूप में 18 हजार रुपये मिलेंगे। लेकिन दरकिनार नहीं किया जा सकता है कि दिल्ली में पिछले 10 साल से अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी की सरकार मस्जिद के इमाम और मोअज्जिन को सैलरी दे रही है।
दिल्ली में इमाम को कितनी सैलरी मिलती है?
शुरुआत में दिल्ली में इमाम की सैलरी 10 हजार रुपये और मोअज्जिन को 9 हजार रुपये तनख्वाह थी। फिर अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री रहते इमामों की सैलरी में बढ़ोतरी की। उसके बाद दिल्ली में मस्जिदों के इमामों को सैलरी 18000 रुपये कर दी गई और मस्जिदों के मोअज्जिन को 16000 रुपये सैलरी मिलने लगी। अभी भी दिल्ली में इमामों को वेतन 18 हजार रुपये है और मोअज्जिन को 16 हजार रुपये मिलते हैं। जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में 185 इमाम हैं और मोअज्जिन की संख्या 65 है। इस तरह मस्जिदों में काम करने वाले 240 इमाम और मोअज्जिन को दिल्ली सरकार सैलरी देती है।
इमामों को दिल्ली सरकार ने अब तक कितने रुपये बांटे?
आधिकारिक आंकड़ा सामने नहीं है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेता दावा करते हैं कि दिल्ली सरकार ने अब तक 58 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम मौलवियों को दे चुकी है। बीजेपी की दिल्ली इकाई के प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने खुद ये दावा किया। वो कहते हैं कि साल 2013 से दिल्ली सरकार मौलवियों को वेतन देती आ रही है। हालांकि ये भी एक अलग विवाद है कि दिल्ली सरकार ने पिछले 17 महीने से इमामों को सैलरी ही नहीं दी है। इसको लेकर तमाम इमाम और मोअज्जिन कई दिन से अरविंद केजरीवाल के घर के चक्कर काट रहे हैं और अपनी सैलरी मांग रहे हैं।
इमामों की तर्ज पर पुजारियों के लिए स्कीम लाए केजरीवाल
10 साल ही सही, अरविंद केजरीवाल को मंदिर के पुजारी और गुरुद्वारों के ग्रंथी याद आए हैं। अरविंद केजरीवाल दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर से पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना के तहत मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों के रजिस्ट्रेशन कराने वाले हैं। हालांकि फिर दोहराते हैं कि पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना का लाभ मौजूदा दिल्ली सरकार के कार्यकाल में नहीं मिलेगा, ये अगली सरकार के लिए चुनावी वादा है।
केजरीवाल की नई घोषणा को जुमला बता रहे विरोधी
दिल्ली बीजेपी के नेता विजेंद्र गुप्ता कहते हैं- 'AAP सरकार को चुनावी मौसम में अब पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों की याद आई है। 10 साल तक मौलवियों को वेतन देने की बात कही, तब पुजारी और ग्रंथियों की याद नहीं आई। आज जब मौलवी भी ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं तो केजरीवाल ध्यान भटकाने के लिए एक और चुनावी जुमला दे रहे हैं। यह वही अरविंद केजरीवाल हैं जिन्होंने सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। चुनाव नजदीक आते ही केजरीवाल का पुजारियों के प्रति प्रेम जाग गया है परंतु यह ढोंग अब चलने वाला नहीं है।'
दिल्ली BJP इकाई 'X' पर लिखती है- 'महाठग केजरीवाल ने अब मंदिर के पुजारियों और गुरद्वारों ग्रंथियों को ठगने की नई स्कीम बनाई है। जो 10 साल से मस्जिदों के मौलवियों को सैलरी बांटता रहा और जिसकी पूरी राजनीति हिंदू विरोधी रही है उसे अब चुनाव आते ही पुजारियों और ग्रंथियों की याद आई? केजरीवाल 10 साल से AAP की ही सरकार थी तब क्या कर रहे थे? खैर सैलरी तो आप 17 महीने से इमामों को भी नहीं दे पा रहे वो लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में दिल्लीवाले जानते हैं कि AAP की ये घोषणा भी झूठी और ठगने के लिए ही है।'
Updated 13:27 IST, December 31st 2024