पब्लिश्ड 13:15 IST, January 20th 2025
नौकरी के झांसे में रूस-यूक्रेन वार में झोंका, 2 की मौत एक घायल शख्स घर लौटा; UP के युवकों की दर्दनाक दास्तां
लापता युवकों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मऊ के रहने वाले बृजेश यादव को युद्ध में गोली लगी थी जिसके बाद वो अक्टूबर में स्वदेश लौट आए थे।
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ और मऊ जिलों से कुछ युवा रोजगार की तलाश में रूस जाते हैं। इन युवकों को सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी बताकर बुलाया गया और इन्हें रूस-यूक्रेन वॉर में झोंक दिया गया। अच्छी सैलरी की चाह में युवा एजेंट विनोद के झांसे में आ गए और विदेश जाकर कमाई करने के लिए तैयार हो गए। कुल 14 युवकों को सिक्योरिटी गार्ड में नौकरी के नाम पर झांसा देकर फांसा गया और इन सभी युवकों को रूस-यूक्रेन युद्ध में झोंक दिया गया। इसमें से 3 युवकों की मौत हो चुकी है जबकि एक घायल होकर स्वदेश लौट आया है जबकि 10 युवक अभी भी लापता हैं।
लापता युवकों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मऊ के रहने वाले बृजेश यादव को युद्ध में गोली लगी थी जिसके बाद वो अक्टूबर में स्वदेश लौट आए थे। बृजेश मऊ जिले की मधुबन तहसील के धर्मपुर विशुनपुर गांव के रहने वाले हैं। मीडिया से बातचीत में पीड़ित ने बताया कि मऊ जिले के रहने वाले एजेंट विनोद अपने जीजा कन्हैया यादव निवासी आजमगढ़ सहित 14 लोगों को लेकर फरवरी 2024 में यूक्रेन गए थे जहां कन्हैया की दिसंबर के पहले सप्ताह में युद्ध के दौरान मौत हो गई थी।
बृजेश युद्ध में घायल होने पर लौटे स्वदेश
वहीं आजमगढ़ के पीड़ित बृजेश यादव जो कि गोली लगने के बाद घायल होकर युद्ध से स्वदेश लौट आए थे, ने बताया फरवरी 2024 में अपने साथी श्याम सुंदर यादव, सुनील सहित सात लोगों के साथ रूस में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की तलाश में गया था। हम लोगों से इस बात का वादा किया गया था कि वहां पर 2-2 लाख रुपए महीने उनका वेतन होगा। बृजेश ने आगे बताया कि जब हम वहां पहुंचे तो हमें अचानक से 15 दिनों की ऑर्मी ट्रेनिंग में उतार दिया गया। ये देखकर हमारे सपने टूट गए। एजेंट विनोद ने हमें धोखा दिया और उसकी वजह से हमारे दो साथियों को अपनी जान गवानी पड़ी। इसके बाद से एजेंट विनोद फरार है।
पीड़ित बृजेश ने सुनाया दीपक की मौत का किस्सा
बृजेश यादव ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान अपने साथी दीपक के मारे जाने का किस्सा मीडिया को बताया। बृजेश ने कहा कि हमारे साथ सैनिकों का एक जत्था जुलाई में एक जगह से दूसरी जगह को जा रहा था, तभी अचानक से हमारे ऊपर ड्रोन हमले शुरू हो गए। इस हमले में आजमगढ़ के रहने वाले दीपक गंभीर रूप से घायल हो गए। जब वो घायल थे तो हमने उन्हें पानी पिलाया था उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया लेकिन अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। दीपक का शव उसके घर भिजवाने के लिए हमने रूसी सैन्य अधिकारियों से बात की लेकिन उन्होंने हमें चुप करा दिया।
सिक्योरिटी गॉर्ड की नौकरी का झांसा देकर युद्ध में उतार दिया
पीड़ित बृजेश ने आगे बताया कि एजेंट विनोद ने हमें इसके लिए सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी का झांसा देते हुए कहा था कि शुरुआत में 80 से 90 हजार रुपये मिलेंगे और बाद में वेतन 2 लाख तक हो जाएगा। इसके बाद मऊ से 5 लोगों को नौकरी के लिए रूस भेज दिया गया जिसमें से सुनील और श्याम सुंदर की मौत हो चुकी है। घोसी थाना क्षेत्र के चन्द्रपार निवासी सुनील यादव और श्याम सुंदर कोइरियापार का रहने वाले है। बृजेश ने आगे बताया कि पहले सप्ताह सबकुछ नॉर्मल रहा हम रूस पहुंचे और रोज अपने घर वालों से बातचीत होती थी। एक सप्ताह बाद हमें ट्रेन से किसी दूसरी जगह भेज दिया गया। जहां हमें सैन्य प्रशिक्षण दिया गया।
ट्रेनिंग सेंटर पर बंदूकें और बम चलाना सीखा
बृजेश ने बताया कि इस ट्रेनिंग सेंटर पर हमने कई अलग-अलग किस्म की गन और ग्रेनेड चलाने की ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग के बाद हमें चार-चार के ग्रुप में बांट दिया गया और युद्ध में उतार दिया गया। युद्ध में घोसी के चंदापार निवासी सुनील यादव की जान चली गई श्याम सुंदर और दो अन्य लोगों को हमारे ग्रुप से अलग किसी और ग्रुप में भेज दिया गया। जहां श्याम सुंदर की मौत की सूचना भी मुझे मिली। मुझे वहां के अन्य लोगों से जानकारी मिली कि तुम्हारे ग्रुप का एक और सदस्य बम हमले में मारा गया। इसी दौरान मेरे पैरे में भी गोली लगी थी, जिसके बाद मेरा इलाज हुआ और मैं दूतावास से संपर्क करने में कामयाब रहा और अपनी कहानी मैंने उन्हें बताई जिसके बाद उन लोगों ने मुझे स्वदेश भेज दिया।
अपडेटेड 13:15 IST, January 20th 2025