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Published 16:33 IST, July 10th 2024

PM मोदी की रूस यात्रा से चीन को लगी मिर्ची, पानी पी-पीकर अमेरिका को क्यों कोसने लगा ड्रैगन?

PM Modi in Russia: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा से चीन को मिर्ची लग गई है।

Reported by: Kunal Verma
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PM Modi And Putin | Image: modi putin
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PM Modi in Russia: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा से चीन को मिर्ची लग गई है। चीन ने अपने मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के जरिए अमेरिका पर अपनी भड़ास निकाली है।

आपको बता दें कि पीएम मोदी की रूस यात्रा से कई मामलों में भारत-रूस संबंधों में विस्तार के संकेत मिले हैं। इतना ही नहीं, अपने संबोधन में दोनों देशों के नेताओं ने एक-दूसरे को एक बार फिर 'दोस्त' भी बताया है, जिसने अमेरिका के कान खड़े कर दिए हैं।

चीन के मुखपत्र में क्या लिखा है?

चीनी मुखपत्र के मुताबिक, अमेरिका ने रूस के साथ अपने संबंधों को लेकर भारत के प्रति अपनी चिंताएं व्यक्त कीं, क्योंकि भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के मॉस्को दौरे के दौरान मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत-रूस मित्रता पर बढ़-चढ़कर बात की थी। ग्लोबल टाइम्स ने अपने विश्लेषक के हवाले से कहा कि रूस और भारत के बीच घनिष्ठ संबंधों का मतलब है कि यूक्रेन संकट शुरू होने के बाद से रूस को नियंत्रित करने और अलग-थलग करने के अमेरिका के निरंतर प्रयास विफल हो गए हैं। इस बीच, भारत की संतुलित कूटनीति न केवल उसके अपने हितों के अनुरूप है, बल्कि वैश्विक रणनीतिक संतुलन में भी योगदान देती है, जिसे लंबे समय से अमेरिकी आधिपत्य द्वारा चुनौती दी गई है।

PM मोदी के रूस दौरे पर अमेरिका की प्रतिक्रिया

चीनी मुखपत्र ने ये भी लिखा कि मोदी की यात्रा के जवाब में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि अमेरिकी सरकार ने रूस के साथ अपने संबंधों के बारे में अपनी चिंताओं को भारत के साथ सीधे तौर पर स्पष्ट कर दिया है और उम्मीद है कि भारत स्पष्ट करेगा कि रूस को संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सम्मान करना चाहिए। इसके अलावा रूस के साथ जुड़ने पर यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए।

चाइना फॉरेन अफेयर्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ली हैडॉन्ग ने बताया कि मोदी की रूस यात्रा प्रमुख शक्तियों के बीच भारत की विदेश नीति के संतुलन को दर्शाती है।  विशेषज्ञ के अनुसार, वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में सबसे बड़ी चुनौती अमेरिकी आधिपत्य है जो वाशिंगटन को मनमाने ढंग से और बेलगाम कार्य करने में सक्षम बनाता है। ली ने कहा, रूस और भारत के बीच संबंधों का गहरा होना वैश्विक रणनीतिक संतुलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा, "रूस में पुतिन के साथ मोदी की बातचीत तब तक सकारात्मक मानी जा सकती है जब तक यह रूस-यूक्रेन संघर्ष को कम करने में मदद करती है, यूरोप में स्थिरता को और अधिक आशाजनक बनाती है और प्रमुख शक्ति संबंधों को अधिक संतुलित बनाती है।"

चीनी मुखपत्र ने ली के हवाले से कहा, "भारत और रूस के बीच घनिष्ठ संबंध रूस को नियंत्रित करने और अलग-थलग करने की अमेरिका की रणनीति की विफलता को दर्शाता है। इसका मतलब वाशिंगटन में कुलीन वर्ग के लिए गहरी निराशा है।" विश्लेषकों ने कहा कि चाहे कुछ महीनों बाद व्हाइट हाउस में कोई भी पदभार संभाले, भारत की रूस नीति सुसंगत रहेगी, दूसरे शब्दों में, भारत के पूरी तरह से अमेरिका को फॉलो करने और रूस को अलग-थलग करने की संभावना नहीं है।

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16:33 IST, July 10th 2024