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Published 14:54 IST, October 3rd 2024

EXPLAINER/ कभी तेल और हथियारों की सप्लाई अब एक दूसरे के खून के प्यासे, ईरान-इजयराल के बीच क्यों हुई दुश्मनी?

ईरान में साल 1953 में तख्तापलट के साथ ही सत्ता में ईरान के शाह की वापसी हुई। शाह के शासन में इजरायल और ईरान के संबंधों में थोड़ी नजदीकियां आईं।

Reported by: Ravindra Singh
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‘God’s Help, Victory Is Our’: Iran’s Supreme Leader First Statement After Missile Attack On Israel
ईरान-इजयराल के बीच क्यों हुई दुश्मनी? | Image: AP NEWS

कभी इजराइल और ईरान एक दूसरे के व्यापारिक साझेदार होने के साथ-साथ अच्छे दोस्त भी हुआ करते ते लेकिन मौजूदा समय दोनों ही देश एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं। मंगलवार (1 अक्टूबर) की रात को ईरान ने लगभग दो सौ बैलिस्टिक मिसाइलें दागकर इजरायल पर हमला बोल दिया है। सोशल मीडिया पर जारी वीडियो में हम देख सकते हैं कैसे ईरान ने इजरायल पर मिसाइलों की बौछार कर दी थी। कभी ऐसा भी समय था जब इन दोनों देशों के बीच बहुत ही करीबी संबंध हुआ करते थे। दोनों देशों के बीच की दोस्ती आखिर दुश्मनी में कैसे बदल गई? इस बात को जानने के लिए हमे दोनों के अतीत में जाना होगा।  

14 मई 1948 में इजरायल का एक नये देश के रूप में गठन हुआ था। इसके पहले यहां पर कभी ऑटोन साम्राज्य था। संयुक्त राष्ट्र ने साल 1947 में फिलिस्तीन को यहूदी और अरब राज्यों में विभाजिद करने और येरूशलम को एक ग्लोबल सिटी बनाने का प्रस्ताव रखा था। यूएन के इस प्रस्ताव को यहूदियों ने तो मान लिया था लेकिन अरब नेताओं को ये प्रस्ताव ठीक नहीं लगा। इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे 13 अरब देशों में ईरान भी शामिल था। 1948 के पहले इजरायल का कोई नाम नहीं था ये पूरा इलाका फिलिस्तीन के नाम से जाना जाता था।


साल 1953 के बाद हुई इजरायल ईरान की दोस्ती

ईरान में साल 1953 में तख्तापलट के साथ ही सत्ता में ईरान के शाह की वापसी हुई। शाह के शासन में इजरायल और ईरान के संबंधों में थोड़ी नजदीकियां आईं और मोहम्मद रजा शाह पहलवी की सत्ता में वापसी के साथ ईरान और इजरायल ने के बीच घनिष्ठ गठबंधन बनने की शुरुआत हो गई। उस समय ईरान में पश्चिम एशिया में सबसे बड़ी यहूदियों की आबादी वहीं रहती थी। ईरान के शासक शाह पहलवी ने इजरायल को एक मजबूत सहयोगी के रूप में देखा। दोनों देशों ने एक दूसरे के फायदों को देखते हुए सैन्य, आर्थिक और खुफिया सहयोग को मिलकर बढ़ावा दिया। इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियन के नेतृत्व में ईरान के साथ दोस्ती की एक नई जगह मिली। एक रिपोर्ट के मुताबिक नया बसा हुआ यहूदी देश इजरायल ने अपने तेल का 40 फीसदी खपत ईरान से हासिल किया और इसके बदले में ईरान को नई तकनीकि के हथियार और कृषि से जुड़ी चीजों का आयात-निर्यात किया।

कैसे आई ईरान-इजरायल के रिश्तों में खटास?

ये साल 1979 का समय था जब ईरानी क्रांति की वजह से दोनों देशों के बीच एक बड़ा परिवर्तन किया था।  ये पहलवी राजवंश के पतन और अयातुल्ला खामेनेई के उठने का समय था। खामेनेई के नेतृत्व ईरान ने इस्लामिक गणराज्य की स्थापना की और इसके बाद ईरान की विदेश नीति और वैश्विक नजरिए को पूरी तरह से पलट दिया। शुरुआत में तो दोनों देशों ने अपने संबंधों को सामान्य बनाए रखने की कोशिश की लेकिन सद्दाम हुसैन के नेतृत्व के खिलाफ दोनों ही देशों ईरान और इजरायल ने अपना फायदा देखा। अंग्रेजी अखबार द ऑब्जर्वर के मुताबिक ईरान - ईराक युद्ध के दौरान इजरायल ने ईरान को 500 मिलियन डॉलर सालाना के हथियार बेचे थे। इन सौदों की सहूलियत के लिए इजरायल ने स्विस बैंक में भी खाते खुलवाए। ईरान और ईराक युद्ध के बाद भी दोनों देशों में संबंध चल रहे थे लेकिन इसके बाद दोनों देशों के संबंधों में गिरावट आने लगी जो अब तक खत्म नहीं हुई।

ईरान ने इजरायल को छोटा शैतान कहकर संबंध तोड़े

ईरान एक धर्म से चलने वाला देश था वह शुरू से ही इजरायल को फिलिस्तीन की जमीन पर अतिक्रमण के तौर पर मानता था। जब दोनों देशों के रिश्तों में खटपट हुई तो ईरान ने इजरायल को 'छोटा शैतान' कहकर उससे संबंध खत्म कर लिए थे। ईरान अमेरिका को 'बड़ा शैतान' कहता था। ईरान मिडिल ईस्ट की सबसे बड़ी ताकत बनना चाहता था और इसके लिए उसने सुन्नी इस्लाम के मक्का सऊदी अरब को चैलेंज करना शुरू कर दिया था। इसके बाद ईरानी सरकार ने इजरायल के साथ सभी संबंध खत्म कर लिए और ईरान ने फिलिस्तीन में अब अन्य इजरायल का विरोध करने वाले आंदोलनों का समर्थन करने लगा था। इसी दौरान ईरान ने शिया लेबनानी तत्वों को भी इजरायल के खिलाफ समर्थन देना शुरू किया, जो बाद में हिजबुल्लाह संगठन के नाम से खड़ा हुआ।


इजरायल-ईरान के बीच वर्चस्व की आग भड़की शुरू हुआ युद्ध

बीते 2-3 दशकों के दौरान इजरायल और ईरान के बीच वर्चस्व की जंग पूरी दुनिया ने देखी। इसी वजह से मिडिल ईस्ट के एक बड़े हिस्से पर हमेशा युद्ध का खतरा मंडराता रहता है। ईरान और इजरायल ने प्रॉक्सी वार शुरू कर दिया था। दोनों ही देश एक दूसरे के खिलाफ जमकर बयानबाजी करते थे। एक तरह जहां ईरान ने इजरायल के आस-पास अपने समर्थक गुटों को तैयार किया तो वहीं दूसरी तरफ इजरायल ने खुद को लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और खुफिया जानकारी का इस्तेमाल किया। इस प्रॉक्सी वॉर में इजरायल अपने दुश्मनों पर हमेशा हावी रहा। अब दोनों देशों के बीच खुलकर युद्ध हो रहा है। ईरान ने इजरायल पर 180 से भी ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया। 

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Updated 14:59 IST, October 3rd 2024