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Published 20:11 IST, December 11th 2024

गुप्तांगों पर करंट, 1.5 लाख लोगों की हत्या; तानाशाह असद के स्लॉटर हाउस में रूह कंपाने वाली यातनाएं

Syria: पूर्व राष्ट्रपति बशर असद के शासन के खात्मे के बाद जिस जगह लोग सबसे पहले पहुंच रहे हैं, वह है सेडनाया जेल। इस जेल को ‘कत्लगाह' के रूप में जाना जाता है।

Reported by: Digital Desk
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Syria Saydnaya Jail
तानाशाह असद के स्लॉटर हाउस में रूह कंपाने वाली यातनाएं | Image: AP

Syria Civil War: सीरिया में असद परिवार के 50 साल के शासन का अंत हो गया है। राजधानी दमिश्क में विद्रोहियों के घुसने के बाद राष्ट्रपति बशर-अल असद के देश छोड़कर भागने की खबर है। सीरिया में बशर अल-असद के करीब ढाई दशक लंबे क्रूर शासन का अंत होने के बाद सेडनाया जेल में बंद कैदियों को दी जाने वाली यातनाएं सामने आने लगी है। अपनों की तलाश में हजारों लोग सीरिया की खौफनाक जेल पहुंच रहे हैं।

खौफनाक सेडनाया जेल में अपनों की तलाश में सीरिया के कोने कोने से हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं, जो अपनी भयावहता के लिए इतनी बदनाम जगह थी कि इसे लंबे समय तक 'कत्लगाह' के रूप में जाना जाता था। एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार इस जेल में 1.57 लाख से ज्यादा लोगों को यातनाएं देकर मौत के घाट उतार दिया गया।

सेडनाया जेल के बाहर लोगों की भीड़ (PC-AP)

जेल में स्लॉटर हाउस, 72 तरह की यातनाएं

बशर-अल असद सरकार का तख्तापलट होने के बाद सीरिया की सड़कों पर लोगों ने जमकर जश्न मनाया। असद अपने खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को सेडनाया जेल की काल कोठरियों में रखता था, उसकी क्रूरता का लाखों लोगों को शिकार होना पड़ा। रिपोर्ट के अनुसार असद ने जेल में एक स्लॉटर हाउस बनवाया हुआ था। जिसमें कैदियों को 72 से ज्यादा तरह से यातनाएं दी जाती थीं। उसकी यातना से करीब 1.57 लाख लोगों ने अपनी जान गवाई। जिसमें 5,274 बच्चे और 10 हजार से अधिक महिलाएं भी शामिल हैं।

(PC-AP)

खाली मिली जेल की कोठरियां

अपनों की तलाश में सेडनाया जेल पहुंचे लोगों को उम्मीद की जगह निराशा हाथ लगी। लोगों ने जेल के गलियारों में लगे लोहे के भारी दरवाजे खोले और पाया कि अंदर की कोठरियां खाली थीं। हथौड़ों, फावड़ों और ड्रिल की मदद से लोगों ने फर्श और दीवारों में छेद कर दिए। वे उन चीजों की तलाश कर रहे थे जो उन्हें लगता था कि वे गुप्त कालकोठरी में छिपे हैं। वे ऐसी आवाजों का पीछा कर रहे थे जो उन्हें लगता था कि उन्होंने जमीने के नीचे से सुनी हैं। हालांकि उनके प्रयास असफल रहे और उन्हें कुछ भी हाथ नहीं लगा।

(PC-AP)

रेड विंग में फंसे कैदी, विंग का किसी को नहीं पता

रविवार को जब दमिश्क पर विद्रोहियों का कब्जा हुआ, तो उन्होंने सेडनाया जेल से दर्जनों लोगों को रिहा कर दिया। असद ने इस जेल को राजधानी दमिश्क से करीब 30 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर बनवाया था। खबरों के मुताबिक CCTV से पता चला है कि जेल की रेड विंग में लाखों कैदियों को रखा गया है। यह एक विंग अंडरग्राउंड सेल है, लेकिन उन लोगों को रिहा करने में सबसे बड़ी समस्‍या ये है कि असद के वफादार जेल अधिकारी फरार हो चुके हैं और किसी को नहीं पता कि ये रेड विंग कहा है। ऐसे में डर सताने लगा है कि कैदी भूखे ही न मर जाएं।

(PC-AP)

गुप्तांगों पर करंट जैसी 73 यातनाएं

जेल के अंदर कई विंग है। हर विंग में अलग-अलग तरह से यातनाएं दी जाती थी। जेल के अंदर से आयरन एक्जीक्यूशन प्रेस भी मिली है, जिससे कैदियों को कुचलकर मारा जाता था। असद के वफादार कैदियों को 72 तरह की यातनाएं देते थे। जिसमें गुप्तांगों पर करंट लगाना या वजन लटकाना, लोहे की जंजीर से मारना, कैदियों को जलाना, कैदियों के सिर दरवाजों के बीच कुचलना, शरीर में सुई या पिन डालना, आयरन प्रेस से कुचलना और कुकर्म जैसी क्रूर यातनाएं शामिल हैं।

(PC-AP)

आंखों में आंसू और अपनों की तलाश

अपने भाई की तलाश में पहुंची घादा असद की आंखों में आंसू थे। उन्होंने जेल खाली देख पूछा, 'सारे लोग कहां हैं? सबके बच्चे कहां हैं। कहां हैं सभी लोग?' घादा असद के भाई को 2011 में हिरासत में लिया गया था जब पहली बार राष्ट्रपति के शासन के खिलाफ विद्रोह भड़का था, जिसके बाद विद्रोह ने गृह युद्ध का रूप ले लिया था। हालांकि वह नहीं जानती कि उनके भाई को क्यों गिरफ्तार किया गया था। तलाशी में मदद कर रहे नागरिक सुरक्षा अधिकारी भी परिवारों की तरह ही इस बात को लेकर भ्रमित थे कि कोई और कैदी क्यों नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि हाल के हफ्तों में यहां कम कैदी रखे गए हैं।

(PC-AP)

सामूहिक फांसी और रेप

बशर-अल असद के शासन के दौरान और खास तौर पर 2011 में विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद राष्ट्रपति के प्रति असहमति का कोई भी संकेत व्यक्ति को सेडनाया जेल पहुंचा सकता था। बहुत कम लोग ही इस जेल से बाहर आ सके। साल 2017 में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ के अनुमान के अनुसार, उस समय समाज के हर क्षेत्र से 10 हजार से 20 हजार लोगों को सेडनाया जेल में रखा गया था।

रिहा किए गए कैदियों और जेल अधिकारियों की गवाही का हवाला देते हुए एमनेस्टी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान हजारों लोगों को सामूहिक फांसी दी गई। रिपोर्ट के अनुसार, कैदियों को लगातार यातना दी जाती। कैदियों को पीटा जाता था और उनसे बलात्कार किया जाता। मानवाधिकार संगठन ने कहा कि तकरीबन हर दिन जेल के सुरक्षा गार्ड जेल कोठरियों से उन कैदियों के शवों को एकत्रित करते जिनकी यातना के कारण मौत हुई थी।

(भाषा इनपुट के साथ)

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Updated 20:13 IST, December 11th 2024