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Published 13:07 IST, August 23rd 2024

मॉस्को के बाद कीव यात्रा... PM मोदी की कूटनीतिक कड़ी का अहम पड़ाव; थम जाएगा रूस-यूक्रेन का युद्ध?

नरेंद्र मोदी शुक्रवार को यूक्रेन का दौरा कर रहे हैं, इससे कुछ ही हफ्ते पहले उन्होंने मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी।

Reported by: Dalchand Kumar
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PM Narendra Modi Ukraine Visit
PM Narendra Modi Ukraine Visit | Image: AP

Narendra Modi Ukraine Visit: मॉस्को के बाद कीव यात्रा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक कड़ी का अहम पड़ाव साबित हो सकती है। भारत जिस तरह युद्ध के बीच शांति के लिए मध्यस्थता की पेशकश करता रहा है, उसका असर यूक्रेन दौरे के बाद देखने को मिल सकता है। और शायद पीएम मोदी का मॉस्को के बाद कीव जाना युद्धविराम कराने की पहल का हिस्सा हो सकता है। एक तरीके से पीएम मोदी खुद को शांतिदूत के रूप में स्थापित करने में कामयाब हो सकते हैं, क्योंकि भारत के मॉस्को और कीव दोनों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को यूक्रेन का दौरा कर रहे हैं, इससे कुछ ही हफ्ते पहले उन्होंने मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी।

प्रधानमंत्री मोदी उस दौर में यूक्रेन गए हैं, जब रूस के साथ उसके संबंधों और खासकर मॉस्को की हालिया यात्रा के बाद कई मुल्क भारत से खुश नहीं थे। कीव और कुछ पश्चिमी राजधानियों ने जुलाई में पीएम मोदी की रूसी राजधानी की यात्रा पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। तो क्या नरेंद्र मोदी अभी जेलेंस्की और अन्य पश्चिमी नेताओं को खुश करने के लिए कीव गए हैं? तो जवाब होगा पूरी तरह से नहीं। क्योंकि ये देखना आश्चर्यजनक नहीं है कि भारत दो प्रतिस्पर्धी देशों या ब्लॉकों के बीच अपने संबंधों को संतुलित कर रहा है।

PM मोदी के यूक्रेन जाने का मकसद क्या?

नरेंद्र मोदी की ये ऐतिहासिक यात्रा भारत के किसी प्रधानमंत्री की यूक्रेन की पहली यात्रा है, जब से भारत ने 30 साल पहले यूक्रेन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए हैं। वो पोलैंड की दो दिवसीय यात्रा के बाद कीव पहुंचे हैं। विदेशी मीडिया कहती है कि इस यात्रा का समय पीएम मोदी की 8-9 जुलाई की रूस यात्रा से होने वाले नुकसान को नियंत्रित करने के उद्देश्य से तय किया गया है। जुलाई में मोदी की मास्को यात्रा रूसी बमबारी के कुछ घंटों बाद हुई। यूक्रेन में कम से कम 41 लोग मारे गए, जिसमें कीव में बच्चों का अस्पताल भी शामिल था, जिसने वैश्विक आक्रोश को जन्म दिया। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने विशेष रूप से आलोचना करते हुए कहा कि ‘वो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता (नरेंद्र मोदी) को मास्को में दुनिया के सबसे खूंखार अपराधी (पुतिन) को गले लगाते देखकर निराश हैं।’

हालांकि पीएम मोदी ने मिसाइल हमलों पर सीधे तौर पर बात नहीं की, लेकिन पुतिन के बगल में बैठकर उन्होंने खून-खराबे का जिक्र किया। भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि बच्चों की मौत दर्दनाक और भयावह थी, लेकिन उन्होंने रूस को दोषी ठहराने से परहेज किया। इसको भी समझना होगा कि पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ने रूस के आक्रमण की निंदा करने या संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों में इसके खिलाफ मतदान करने से परहेज किया। इसने किसी का पक्ष लेने से परहेज किया। साथ ही यूक्रेन और रूस से बार-बार बातचीत के जरिए संघर्ष को सुलझाने का आग्रह किया।

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नरेंद्र मोदी के पास ये संकेत देने के लिए एक मजबूत प्रोत्साहन है कि वो मॉस्को के इतने करीब नहीं जा रहे हैं कि कीव के साथ बचाने के लिए कुछ भी ना हो। ये इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत पश्चिम, खासकर अमेरिका के साथ अपने संबंधों को बढ़ाना चाहता है और इस गति को बाधित नहीं करना चाहता। भारत को पश्चिम की जरूरत है, क्योंकि चीन उसके एशियाई प्रतिद्वंद्वी और रूस ने हाल के सालों में घनिष्ठ संबंध बनाए हैं। जबकि भारत ने लंबे समय से मॉस्को को एक ऐसी शक्ति के रूप में देखा है जो जरूरत पड़ने पर मुखर चीन पर दबाव डाल सकता है, लेकिन इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।

अमेरिका और उसके सहयोगियों ने अक्सर भारत से युद्ध पर स्पष्ट रुख अपनाने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने कठोर प्रतिबंध या दबाव डालने से भी परहेज किया। पश्चिम भी भारत को चीन के प्रति संतुलन के रूप में देखता है और उस गतिशीलता को बिगाड़ना नहीं चाहता है। भारत, जो अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, व्यापार के लिए भी एक बढ़ता हुआ बाजार है।

रूस के साथ भारत के क्या संबंध हैं?

शीत युद्ध के बाद से ही भारत और रूस के बीच मजबूत संबंध रहे हैं। फरवरी 2022 में क्रेमलिन की तरफ से यूक्रेन में सेना भेजे जाने के बाद से मॉस्को के लिए एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार के रूप में भारत का महत्व बढ़ा। दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा आयातक भारत अपने रक्षा आयात पोर्टफोलियो में विविधता लाया है और हाल के सालों में घरेलू विनिर्माण को भी बढ़ाया है, लेकिन भारत अभी भी अपने रक्षा उपकरणों का लगभग 50 फीसदी से अधिक रूस से खरीदता है। भारत ने मॉस्को की सस्ती कीमतों का लाभ उठाते हुए रूस से अपने तेल आयात में भी वृद्धि की। रूस पिछले साल भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता था। भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों के बीच व्यापार में भी तीव्र वृद्धि देखी गई है, जो 2023-24 वित्तीय वर्ष में 65 बिलियन डॉलर के करीब पहुंच जाएगा।

भारत और यूक्रेन के संबंधों के बारे में

भारत और यूक्रेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार बहुत कम है। युद्ध से पहले ये लगभग 3 बिलियन डॉलर था, लेकिन नरेंद्र मोदी और जेलेंस्की ने वैश्विक कार्यक्रमों के दौरान बातचीत की है और यूक्रेनी विदेश मंत्री ने इस साल की शुरुआत में नई दिल्ली का दौरा भी किया था। भारत ने युद्ध के बाद से यूक्रेन को मानवीय सहायता के रूप में कई खेपें भेंजी। फिलहाल मोदी की कीव यात्रा भारत-यूक्रेन संबंध के लिए एक मजबूत आधार हो सकती है।

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Updated 13:07 IST, August 23rd 2024