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पब्लिश्ड 23:49 IST, September 7th 2024

कारगिल युद्ध पर पाकिस्तान का कबूलनामा, 25 साल बाद पाकिस्तानी आर्मी चीफ ने मानी जंग में PAK की भूमिका

कारगिल युद्ध को लेकर पाकिस्तान का बड़ा कबूलनामा सामने आया है। 25 साल बाद पाकिस्तान ने इस जंग में अपनी संलिप्तता की बात कबूल की।

Reported by: Digital Desk
Edited by: Kanak Kumari Jha
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पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर | Image: Screen Grab

कारगिल युद्ध के 25 साल बाद भारत की पीठ में छुड़ा घोपने वाले दुश्मन देश पाकिस्तान का कबूलनामा सामने आया है। पाकिस्तानी आर्मी चीफ ने कारगिल युद्ध में अपने सैनिकों के मारे जाने की सच्चाई कबूल की। कारगिल युद्ध में भारत ने पाकिस्तानी को ऐसी शिकस्त दी थी, जिसका दर्द वो जन्मों जनम तक नहीं भूल पाएगा।

पाकिस्तानी सेना के जनरल असीम मुनीर ने करगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना की संलिप्तता का जिक्र किया। इतना ही नहीं उन्होंने भारत के साथ 1999 के युद्ध को पूर्वी पड़ोसी के साथ लड़े गए प्रमुख युद्धों में भी गिनाया। पाकिस्तानी थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) मुनीर ने शुक्रवार को रावलपिंडी में रक्षा एवं शहीद दिवस समारोह के दौरान बोली।

कारगिल युद्ध को लेकर क्या बोले पाकिस्तानी आर्मी चीफ?

अपने स्पीच के दौरान जनरल मुनीर ने पाकिस्तान के लोगों के सहयोग से देश की रक्षा में सेना की भूमिका का जिक्र किया और करगिल युद्ध सहित भारत के साथ अलग-अलग युद्धों का जिक्र करते हुए कहा, "वास्तव में पाकिस्तान एक साहसी और निर्भीक राष्ट्र है, जो स्वतंत्रता के महत्व को अच्छी तरह समझता है और किसी भी कीमत पर इसकी रक्षा करना जानता है। चाहे 1948, 1965, 1971 का पाक-भारत युद्ध हो या करगिल या सियाचिन संघर्ष, हजारों शहीदों ने देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए बलिदान दिया।"

शुरुआत से कारगिल युद्ध में अपनी संलिप्तता से पाक ने किया इनकार

बता दें, पाकिस्तान ने शुरू में यह कहकर खुद को इस कारगिल युद्ध से अलग कर लिया था कि इसमें सिर्फ निजी स्वतंत्रता सेनानी शामिल थे, लेकिन जल्द ही लड़ाई के पैमाने से पता चला कि दो देशों की सेनाएं एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रही थीं। करगिल युद्ध के दौरान तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ द्वारा 2006 में लिखी गयी किताब ‘इन द लाइन ऑफ फायर’ में स्पष्ट रूप से पाकिस्तानी सेना की भूमिका को स्वीकार किया गया है।

मुशर्रफ ने करगिल युद्ध में नॉर्दर्न लाइट इन्फैंट्री के जवानों को भेजा था। करगिल युद्ध खत्म होने के बाद पाकिस्तान ने सिंध रेजिमेंट की 27वीं बटालियन के कैप्टन करनाल शेर खान और नॉर्दर्न लाइट इन्फैंट्री के हवलदार लालक जान को सर्वोच्च वीरता पुरस्कार निशान-ए-हैदर से सम्मानित किया।

मुनीर ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि देश राजनीतिक मतभेदों को नफरत में बदलने की इजाजत नहीं देगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि सेना और जनता के बीच मजबूत संबंध, दोनों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश करने वाले किसी भी दुश्मन को हराने के लिए आधार का काम करेंगे।

उन्होंने कहा, “सशस्त्र बलों और राष्ट्र के बीच संबंध दिल का होता है। राष्ट्र ने हमेशा सभी क्षेत्रों में सेना को मजबूत किया है, जिसमें प्राकृतिक आपदाओं, विदेशी शत्रुता या आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की घटनाओं में बचाव कार्य भी शामिल है।” इस समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मौजूद थे, जिसमें सेना के शीर्ष अधिकारी, वरिष्ठ सैन्य और सरकारी अधिकारी तथा सैनिकों के परिवार के लोग भी शामिल हुए। बता दें, करगिल युद्ध 1999 में भारत द्वारा पाकिस्तानी घुसपैठियों द्वारा कब्जा की गई सीमा चौकियों पर फिर से कब्जा करने के साथ खत्म हुआ था और पाक को घुटने टेकने पड़े थे। भारत इस जीत का जश्न 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में मनाता है।

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अपडेटेड 23:49 IST, September 7th 2024