Published 17:41 IST, October 22nd 2024
Explainer: PM मोदी से टकरा कर ट्रूडो ने कर दी बड़ी गलती? पिता के नक्शे कदम पर चले, छिन जाएगी कुर्सी
Explainer : कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के भारत के साथ बढ़ते तनाव के कारण, उनकी राजनीतिक विरासत और कुर्सी पर मंडराते संकट का विश्लेषण।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) अपने ही बनाए जाल में फंसते चले जा रहे हैं। खालिस्तान समर्थक ट्रूडो अपने निजी स्वार्थों की खातिर भारत और कनाडा के रिश्ते की बलि चढ़ाने पर लगे हुए हैं। कनाडा के भीतर खालिस्तानी मूवमेंट का खुलेआम समर्थन और फिर लगातार भारत विरोधी बयानबाजियों से ट्रूडो ने न केवल भारत के अपने रिश्ते खराब किए हैं बल्कि वो अब अपने घर में भी घिरते नजर आ रहे हैं।
यूं तो जस्टिन ट्रूडो का खालिस्तानी प्रेम किसी से छिपा नहीं है लेकिन हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) की हत्या के बाद ये प्रेम उस समय जगजाहिर हो गया जब ट्रूडो ने संसद में खड़े होकर निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने की बेबुनियाद बात कही। जिसके बाद से ही भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में तल्खी बढ़ती चली गई।
अपनी घरेलू ऑडियंस के खुश करने के लिए ट्रूडो इस बात को भी भूल गए कि वो कनाडा के प्रधानमंत्री हैं, किसी गली मोहल्ले के गुंडे की तरह वो भारत पर निज्जर की हत्या में शामिल होने के आरोपों को दोहराते रहे। भारत ने कनाडाई प्रधानमंत्री के आरोपों पर नाराजगी जताते हुए जब सबूत मांगे तो ट्रूडो कोई भी ठोस सबूत देने में नाकाम रहे और अपने बड़बोलेपन से जग हंसाई का कारण बने।
भारत ने कनाडा से वापस बुलाए उच्चायुक्त
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए कनाडा से उच्चायुक्त और अन्य लक्षित राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया है। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा कि यह रेखांकित किया गया कि उग्रवाद और हिंसा के माहौल में, ट्रूडो सरकार के कार्यों ने उनकी सुरक्षा को खतरे में डाल दिया। हमें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की वर्तमान कनाडाई सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है। इसलिए, भारत सरकार ने उच्चायुक्त और अन्य लक्षित राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया है।
अपने ही देश में लानत-मलामत झेल रहे ट्रूडो
अब कनाडा में ही जस्टिन ट्रूडो की हर रोज लानत मलामत हो रही है। कनाडा की मीडिया दोनों देशों के बीच जारी तनाव को 'राजनयिक युद्ध' करार दे रही है। वहीं एक्सपर्ट निज्जर मामले में कनाडाई प्रधानमंत्री के रवैया को बचकाना बता रहे हैं। जिस तरीके से बिना किसी ठोस सबूत के उन्होंने भारत के ऊपर गंभीर और बेबुनियाद आरोप लगाए उससे न केवल ट्रूडो बल्कि कानाडा की छवि को भी नुकसान पहुंचा है। हलांकि यह पहली बार नहीं है जब ट्रूडो को अपनी ऊल-जलूल बयानबाजी को लेकर विवादों में रहे हैं, इससे पहले ही भी वो कई बार अपने बिना सिर-पैर वाले बयानों के कारण विवादों में पड़े हैं और घिरने के बाद कई बार सार्वजनित तौर पर मांफी मांगते हुए भी दिखाई दिए हैं।
भारत को बदनाम करने में खुली ट्रूडो की पोल
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की अगुवाई वाली सरकार ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर मंढ़ने की कोशिश की। अपनी कुर्सी बचाने के लिए ट्रूडो की भारत को बदनाम करने की साजिश की पोल खुल गई, जिसके बाद ट्रूडो अपनों की ही आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। चुनाव से पहले ही कनाडा में जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे की मांग जोर पकड़ने लगी है। जिस तरह का माहौल आज कनाडा में ट्रूडो के खिलाफ पैदा हो गया उसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि ट्रूडो की सत्ता से विदाई तय है।
पिता के नक्शे कदम पर चल रहे जस्टिन ट्रूडो
अपनी कुर्सी को बचाने के लालच में जस्टिन ट्रूडो खालिस्तान का समर्थन करने में अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते दिखाई दे रहे हैं या फिर ये कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगा कि वो अपने पिता से भी दो कदम आगे बढ़ गए हैं। ये बात साल 1985 की जब कनिष्क विमान धमाके का आरोपी खालिस्तानी आंतकी तलविंदर सिंह परमार कनाडा में जाकर छिप गया। इस विमान हादसे में 239 लोगों की मौत हुई थी। भारत सरकार ने कनाडा से आतंकी तलविंदर सिंह परमार को सौंपने की मांग की लेकिन तत्कालीन कनाडाई प्रधानमंत्री और मौजूद कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे इलियट ट्रूडो ने आतंकी तलविंदर को भारत को सौंपने से इनकार कर दिया और उसे कनाडा में शरण दी थी।
खालिस्तानियों की सुरक्षित पनाहगाह बन गया है कनाडा
कनाडा आज भारत विरोधी एजेंडे वाले खालिस्तानियों की सुरक्षित पनाहगाह बनता जा रहा है। इसके लिए न केवल जस्टिन ट्रूडो बल्कि उनके पिता पियरे इलियट ट्रूडो भी समान रूप से जिम्मेदार हैं। जस्टिन ट्रूडो की तरह ही पियरे इलियट ट्रूडो भी अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए खालिस्तानी आतंकियों का समर्थन और भारत का विरोध करते रहे। यही कारण है कि आज कनाडा खालिस्तानियों के लिए सुरक्षित जगह बनती जा रही है। कनाडा में व्यापार से लेकर राजनीति तक सभी क्षेत्रों में खालिस्तानियों का दखल कनाडा में लगातार बढ़ता जा रहा है।
जस्टिन ट्रूडो से जुड़े 5 विवाद
- साल 2016 में जस्टिन ट्रूडो अपने अरबपति कारोबारी दोस्त के आइसलैंड पर छुट्टियां मनाने की वजह से विवादों में फंस थे। कनाडा के नैतिक मामलों की निगरानी करने वाली संस्था ने इस मामले में ट्रूडो की निंदा करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री ने नियमों का उल्लंघन किया है।
- साल 2016 में ही ट्रूडो को तब शर्मशार होना पड़ा जब कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में एक शख्स को पकड़ने के लिए भागने के दौरान उनकी कोहनी एक महिला के सीने पर गई जिसके कारण ट्रूडो को कई बार माफी मांगनी पड़ी। यह घटना 'एल्बोगेट' के नाम से जानी जाती है।
- साल 2018 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत दौरे पर आए थे, इस दौरान खालिस्तानी आतंकवादी जसपाल अटवाल के साथ ट्रूडो की तस्वीर को लेकर खूब बवाल हुआ था। अटवाल को पंजाब के मंत्री मलकीत सिंह सिधु की हत्या की कोशिश में दोषी पाया गया था और 20 साल की सजा सुनाई गई थी। उसके साथ तस्वीर को लेकर ट्रूडो को विरोध झेलना पड़ा था।
- ये बात साल 2022 की है जब जस्टिन ट्रूडो ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार से दो दिन पहले उन्हें होटल की लॉबी में रैप सॉन्ग गाते हुए दिखाई दिए थे, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था, जिसके लेकर ट्रूडो को आलोचना का सामना करना पड़ा था।
- भारत को लेकर अपनी ऊल-जलूल बयानबाजियों के लिए कनाडाई प्रधानमंत्री एक बार फिर विवादों में हैं। निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के आरोप लगाने के बाद ट्रूडो को एक बार फिर शर्मिदगी का सामना करना पड़ रहा है। उसने न केवल भारत बल्कि कनाडा के लोग भी ये सवाल पूछ रहे हैं कि उन्होंने अपने निजी राजनैतिक स्वार्थों के लिए दोनों देशों के रिश्तों को क्यों बलि चढ़ा दिया।
Updated 18:22 IST, October 22nd 2024