हम यह तो जानते हैं कि श्री राम के तीन भाई थे- लक्ष्मण, शत्रुघ्न और भरत। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि श्री राम की एक बहन भी थी।
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जी हां, उनका नाम था शांता। हालांकि कुछ रामायणों और ग्रंथों में उनका जिक्र मिलता है। बता दें कि शांता राजा दशरथ और माता कौशल्या की पुत्री थीं।
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लेकिन किसी कारणवश राजा दशरथ को शांता को अंगदेश के राजा रोमपद को देना पड़ा। ऐसे में श्री राम की बड़ी बहन शांता का लालन पोषण वर्षिणी और राजा रोमपद ने किया।
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बता दें कि वर्षिणी माता कौशल्या की बहन यानी श्री राम की मौसी थीं। अब सवाल यह है कि शांता को उनकी मौसी के घर क्यों रहना पड़ा।
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बता दें कि इसके पीछे तीन कथाएं प्रचलित हैं। पहली कथा यह थी कि वर्षिणी को कोई संतान नहीं थी। ऐसे में वह अपनी बहन से बच्चे की मांग के लिए गईं। तब राजा दशरथ ने शांता को उन्हें सौंप दिया।
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दूसरी कथा के अनुसार, शांता के पैदा होते ही अयोध्या में अकाल पड़ गया। 12 सालों तक धरती धूल धूल हो गई। ऐसे में लोगों ने बताया कि शांता के कारण ही ये अकाल पड़ा है।
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इसी कारण राजा दशरथ ने पुत्री शांता को अकाल दूर करने के लिए अपनी पत्नी की बहन वर्षिणी को दान में दे दिया।
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कहते हैं कि उसके बाद शांता कभी अयोध्या नहीं आईं। हालांकि वे जीवनभर अपने भाईयों की राह तकती रहीं। पर बिन बुलाए अयोध्या नहीं गईं।
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तीसरी कथा के अनुसार, शांता को राजा दशरथ ने इसलिए गोद दिया क्योंकि वह लड़की थीं और उत्तराधिकारी नहीं बन सकती थीं।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
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