Garima Garg

सावधान! क्या आप भी रोकते हैं छींक? जान लें ऐसा करना कितना गलत

यदि व्यक्ति अपनी छींक रोकता है तो उसे कान से संबंधित समस्या हो सकती है या कान में इंफेक्शन हो सकता है।

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बता दें कि छींक रोकने से नाक के बैक्टीरिया कान में चले जाते हैं, जिससे कान से संबंधित परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

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यदि व्यक्ति अपनी छींक रोकता है तो इससे पसलियां भी टूट सकती हैं। जी हां, आपको सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा होगा, लेकिन ये सच है।

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बता दें कि छींक रोकने से हवा तेजी से फेफड़ों में घुसती है, जिससे फेफड़ों पर दबाव पड़ता है और पसलियां टूट सकती हैं।

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छींक रोकने से कान के परदे पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जी हां, जब व्यक्ति छींक रोकता है तो इससे कान के परदे पर दबाव पड़ता है, जिससे वे फट भी सकते हैं या दरारें आ सकती हैं।

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छींक रोकने से सांस की नली से संबंधित समस्या भी हो सकती है। ऐसे में व्यक्ति जब छींकता है तो मुंह में हवा भरने लगती है, जिससे सांस की नली में छेद होने की समस्या हो सकती है।

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यदि व्यक्ति छींकता है तो इससे सिर दर्द की समस्या भी हो सकती है। इससे अलग छींक रोकने से व्यक्ति की नाक फूलने लगती है और व्यक्ति नाक में मौजूद बैक्टीरिया को बाहर नहीं निकल पाता है।

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