जानिए क्या है दुबई में होने वाला COP-28, दुनिया के लिए क्यों अहम है सम्मेलन?
COP28 in UAE Dubai: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी COP-28 की वर्ल्ड क्लाइमेट एक्शन सम्मेलन में शामिल होने के लिए 30 नवंबर, गुरुवार को संयुक्त अरब अमीरात के दुबई रवाना होंगे। पीएम मोदी की दुबई यात्रा दो दिनों की है। इसके साथ ही कई देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे। आइए जानते हैं कि COP-28 क्या है और क्यों इसे अहम माना जा रहा है।
खबर में आगे पढ़ें:
- 12 दिसंबर तक चलेगी दुबई की क्लाइमेट समिट
- क्या है कॉप28?
- कितने देश इस सम्मेलन में लेंगे हिस्सा?
इस साल दुबई में आयोजित हो रही क्लाइमेट समिट 28 नवंबर से 12 दिसंबर तक जारी रहेगी। वर्ल्ड क्लाइमेट एक्शन सम्मेलन में दुनियाभर से करीब 167 नेता हिस्सा लेंगे।
क्या है कॉप?
कॉप जलवायु परिवर्तन को लेकर कई देशों के साथ आयोजित किया जाने वाला सम्मेलन है। इसमें यूनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) में शामिल सदस्य हिस्सा लेते हैं। कॉप (COP) में 192 सदस्य शामिल हैं। इसकी पहली बैठक मार्च, 1995 में हुई थी, जिसका आयोजन बर्लिन में किया गया था। कॉप 28 UN की जलवायु के मुद्दे पर 28वीं बैठक है और इसका मतलब कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज है। कॉप की सभी पार्टियों ने UN क्लाइमेट अग्रीमेंट 1992 पर हस्ताक्षर किया था और इसके सदस्य बनें। वैसे तो कॉप की अध्यक्षता कई देशों ने की है लेकिन दुबई की अध्यक्षता चर्चा का विषय बनी हुई है।
दुबई में कॉप की बैठक क्यों है खास?
दरअसल, दुबई टॉप 10 देशों में से एक है जो तेल प्रोड्यूस करता है। चूंकि तेल, गैस और कोयले की तरह ही एक जीवाश्म ईंधन है, जो कि जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारण हैं। ऊर्जा के लिए जलाए जाने पर ये कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) छोड़ते है, जिससे ग्रीनहाउस गर्म होता है।
आंकड़ा की बात करें तो पहले की तुलना में इस समय वार्मिंग लगभग 1.1C (सेल्सियस) या 1.2C है। हाल के अनुमानों केो अनुसार दुनिया वर्तमान में 2100 तक लगभग 2.4C से 2.7C वार्मिंग की राह पर है। हालांकि, इसका अभी तक कोई भी सटीक आंकड़ा नहीं मिला है।
क्या है COP28 का मुख्य उद्देश्य?
COP28 का मुख्य उद्देश्य पेरिस में तय किए लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ 2030 से पहले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को घटाना है। इसके के लिए एनर्जी के क्लीन सोर्स की ओर तेजी से बढ़ना है। इसके साथ ही अमीर से लेकर गरीब देशों तक जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों पर काम करने के लिए फंड दिलवाना और विकासशील देशों के लिए एक नए समझौते पर काम करना है।
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