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Published 14:24 IST, December 25th 2024

हिंदी कमेंट्री की हो रही दुर्गति को देख भड़के पूर्व कमेंटेटर सुशील दोशी, बीसीसीआई ने की बड़ी अपील

सुशील दोशी ने कहा कि देश में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली जुबान की इस दुर्गति पर रोक लगाई जानी चाहिए।

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Former commentator Sushil Doshi got angry after seeing the plight of Hindi commentary
Former commentator Sushil Doshi got angry after seeing the plight of Hindi commentary | Image: ai image

मशहूर खेल कमेंटेटर सुशील दोशी ने ज्यादातर पूर्व क्रिकेटरों की हिन्दी कमेंट्री के गिरते स्तर पर नाराजगी जताते हुए बुधवार को कहा कि देश में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली जुबान की इस दुर्गति पर रोक लगाई जानी चाहिए।

दोशी ने इंदौर में ‘‘पीटीआई-भाषा’’ से कहा,‘‘पूर्व क्रिकेटर हिन्दी कमेंट्री में आएं, अच्छी बात है। लेकिन आज ऐसे पूर्व क्रिकेटर भी हिन्दी कमेंट्री कर रहे हैं जिन्हें हिन्दी से कोई प्रेम नहीं है। वे हिन्दी के बहाने केवल पैसा कमाने के लिए यह काम कर रहे हैं। मैं चाहता हूं कि ये लोग हिन्दी कमेंट्री के साथ न्याय करें।’’

उन्होंने जोर देकर कहा कि जब किसी देश की कोई भाषा खराब होती है, तो राष्ट्रीय चरित्र और संस्कारों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। दोशी ने मिसाल देते हुए कहा कि जब कोई पूर्व क्रिकेटर कमेंट्री के दौरान बोलता है कि ‘‘किरकिट खेली जा रही है’’, तो नयी पीढ़ी के लोग भी हिन्दी का यह गलत प्रयोग सीखेंगे क्योंकि वे इस शख्स को अपने नायक के तौर पर देखते हैं।

वह ठहाके के साथ एक वाकया याद करते हुए बताते हैं,‘‘एक क्रिकेट मैच के दौरान जब एक खिलाड़ी क्षेत्ररक्षण के दौरान घायल हो गया और कुछ लंगड़ा कर चलने लगा, तो मैंने हिन्दी में कमेंट्री कर रहे एक पूर्व क्रिकेटर को कहते सुना कि उसका चाल-चलन खराब हो गया है।’’

दोशी ने कहा कि हिन्दी कमेंट्री की दुर्गति रोकने के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीसीई) को भी कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा,‘‘मैं तो बीसीसीसीई से भी यह कहता हूं कि आपने क्रिकेट मैचों के प्रसारण के अधिकार बेचे हैं, लेकिन आपने (कमेंट्री के दौरान) देश की भाषा (हिन्दी) को खराब करने के अधिकार नहीं बेचे हैं।’’

उन्होंने हैरत जताई कि ज्यादातर हिन्दीप्रेमी लोग हिन्दी कमेंट्री की दुर्गति रोकने के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं। वह रामधारी सिंह "दिनकर" की एक कविता का हवाला देते हुए कहते हैं,‘‘समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध, जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध।’’

मध्यप्रदेश सरकार की साहित्य अकादमी ने दोशी की स्वरचित आत्मकथा ‘‘आंखों देखा हाल’’ के लिए उन्हें हाल ही में अखिल भारतीय विष्णु प्रभाकर पुरस्कार देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा,‘‘जब मैंने 1968 में रेडियो पर हिन्दी कमेंट्री की शुरुआत की, तब आम तौर पर अंग्रेजी में ही कमेंट्री होती थी। क्रिकेट को आम बोलचाल की हिन्दी में समझाना मुश्किल काम था। मैंने हिन्दी कमेंट्री के आमफहम मुहावरे गढ़े।’’

दोशी के मुताबिक गुजरे 56 सालों में वह कुल 500 से ज्यादा एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों और टी-20 मुकाबलों और करीब 90 टेस्ट मैचों की कमेंट्री कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि वह क्रिकेट के एक दिवसीय और टी-20 प्रारूपों के कुल जमा 13 विश्व कप का आंखों देखा हाल को सुना चुके हैं। खेल कमेंट्री की दुनिया में उल्लेखनीय योगदान के लिए दोशी को देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान "पद्मश्री" से वर्ष 2016 में नवाजा गया था।

Updated 14:24 IST, December 25th 2024