कोलकाता रेप और मर्डर केस में जनता सड़कों पर है. लेकिन विपक्ष बेफ्रिक है. शहर-शहर इंसाफ की गुहार के नारे गूंज रही है लेकिन राहुल गांधी को भटकाने की बात लग रही है। विपक्ष में कई महिला सांसद हैं लेकिन मजाल है कि जुबां खुल जाए। लेकिन पहले कोलकाता हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को आईना दिखाया है। बर्बरता पर ममता सरकार को फटकार लगाई है। वहीं बीजेपी भी ममता सरकार पर हमलावर है , देश में दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ी हैं...ये चिंता का विषय है लेकिन बेटियों के साथ हैवानियत के मुद्दे को उन्हें डिस्ट्रैक्शन क्यों बता रहे हैं । क्या सिर्फ कांग्रेस लड़की हूं लड़ सकती हूं के नारे भर सीमित है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर राहुल गांधी को क्यों बंगाल के सवाल पर भटकाने वाली भाषा सूझी।  ऐसे में सवाल ये है कि क्या विपक्ष बेटियों की अस्मत  पर भी सियासी नफा-नुकसान देख रहा है सवाल ये भी है कि बेटियों के साथ कब तक ऐसा होता रहेगा? और सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या सियासी पार्टी सिर्फ बेटियों के नाम पर नारा देगी और हैवानियत पर अपना-पराया देखेगी.