बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का तख्तापलट करने के बाद क्या अब अमेरिका की नजर भारत में हैं. ऐसा हम इसीलिए पूछ रहे हैं क्योंकि हाल ही में आई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के चंद दिन बाद ही अमेरिकी कॉन्सुल जनरल जेनिफर लार्सन ने AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी से घर जाकर उनसे मुलाकात की. इस मुलाकात में क्या कुछ बातें अभी तक इसे गोपनीय रखा गया है. हालांकि जेनिफर ने इस मुलाकात की एक फोटो पोस्ट की, जिसे ओवैसी ने रिपोस्ट किया. आपको याद दिला दें कि असदुद्दीन ओवैसी वही शख्स हैं जो संसद में जय फिलिस्तीन के नारे लगा चुके हैं. जबकि अमेरिका सीधे-सीधे इजरायल के साथ खड़ा है. ऐसे में जेनिफर लार्सन और असदुद्दीन ओवैसी की मुलाकात के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं. अमेरिका खुद को सबसे लोकतांत्रिक देश होने का बखान दिन रात करता है, लेकिन उसने अयोध्या के राम मंदिर के लिए रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज को वीजा देने से मना कर दिया है. रामलला की मूर्ति बनाने के बाद योगीराज दुनियाभर में फेमस हो चुके हैं, ऐसे में उन्हें वीजा ना देकर अमेरिका ने एक बार फिर अपना दोहरा चरित्र दुनिया को दिखा दिया है. आपको याद दिला दें कि शेख हसीना अपने एक बयान में अमेरिका के मंसूबे उजागर कर चुकी हैं, भारत में भी मोदी सरकार की तीसरी बार वापसी से विकास की गति तेज हुई है. भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी दावेदारी मजबूत की है. रूस-यूक्रेन जंग के बीच भारत ने अमेरिका की चेतावनी के बावजूद रुस से तेल खरीदा. यही नहीं भारत ने कई मुद्दों पर अमेरिका का खुलकर विरोध किया. ऐसे में सवाल ये है कि क्या अमेरिका अब भारत को कमजोर करने की तैयारी कर रहा है. आखिर अमेरिकी कॉन्सुल जनरल और असदुद्दीन ओवैसी की मुलाकात के मायने क्या हैं. सवाल ये भी है कि क्या ब्रिटेन की तरह अमेरिका भी बांटो और राज करो की नीति पर काम कर रहा है.