देश की मौजूदा राजनीति 'N' फैक्टर पर टिकी है... जहां नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आने वाली NDA सरकार का पूरा दारोमदार नायडू और नीतीश पर है... और दोनों नेताओं के सकारात्मक रुख से देश में स्थिर सरकार की उम्मीदें मज़बूत हैं... लेकिन बीते चुनाव के जनादेश से राष्ट्रीय राजनीति में एक बार फिर गठबंधन के दौर की वापसी करा दी है... जिसके साइड इफेक्ट्स भी धीरे-धीरे अब सामने आ रहे हैं... किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत ना मिलने की स्थिति में सरकार के लिए सहयोगियों के साथ चलना ज़रूरी है... जिसके लिए कड़े समझौते भी स्वाभाविक है... कुछ यही हाल अगली NDA सरकार के गठन को लेकर भी है... जहां सर्वसम्मति से NDA को समर्थन देने वाले 2 प्रमुख सहयोगी TDP और JDU अपनी-अपनी मांगें भी रख रहे हैं... इस कवायद में दोनों TDP और JDU नई सरकार में मंत्रियों से लेकर अहम मंत्रालयों तक दावा कर रहे हैं... तो वहीं JDU ने एक कदम आगे बढ़ते हुए बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा, अग्निवीर समेत असहमति वाले मुद्दों पर नए सिरे से सोचने की भी सलाह दे रही है...