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Published 23:55 IST, December 19th 2024

December Amavasya Date: कब है साल की आखिरी सोमवती अमावस्या? जानें डेट और महत्व

December Amavasya 2024: हिंदू धर्म में अमावस्या का बेहद खास महत्व माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि साल की आखिरी अमावस्या कब है और इसका महत्व क्या है?

Amavasya
कब है साल की आखिरी अमावस्या? | Image: Freepik

Kab Hai Somvati Amavasya: हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि ज्योतिष शास्त्र में भी अमावस्या तिथि का बेहद खास महत्व माना जाता है। इस दिन पवित्र स्नान के साथ-साथ पूजा-पाठ और दान-पुण्य करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों के मुताबिक अमावस्य तिथि पर पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्ध की रस्मों को किया जाता है। वहीं अगर साल की आखिरी अमावस्या की बात हो तो इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। तो चलिए जानते हैं कि साल की आखिरी अमावस्या कब है और इसका महत्व क्या है?

साल 2024 की अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही है, जिसकी वजह से इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाएगा। यह दिन हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन का संबंध चंद्र देव और भगवान शिव से है। सोमवती अमावस्या का दिन हर साल माघ माह में आने वाली अमावस्या के दिन होता है। इस दिन का व्रत और पूजा का विशेष महत्व है और इसे लेकर देशभर में श्रद्धालु खास तैयारियां करते हैं। तो चलिए जानते हैं यह इस बार कब है?

कब है साल की आखिरी सोमवती अमावस्या 2024?

वैदिक पंचांग के मुताबिक साल की आखिरी सोमवती अमावस्या की शुरुआत 30 दिसंबर की सुबह 4 बजकर 1 मिनट से शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 31 दिसंबर की सुबह 3 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उदया तिथि को मान्य रखते हुए यह पर्व 30 दिसंबर को मनाया जाएगा।

पूजा और व्रत का महत्व

सोमवती अमावस्या के दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है। यह दिन शिव भक्तों के लिए बहुत खास होता है क्योंकि इस दिन भगवान शिव की पूजा और उपासना से सभी तरह के पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है। श्रद्धालु इस दिन उपवासी रहते हैं, शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं और रात्रि में जागरण करते हैं। माना जाता है कि इस दिन की पूजा से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद जीवन में खुशहाली लाता है।

पितरों के लिए तर्पण

सोमवती अमावस्या का एक और विशेष पहलू है पितरों की पूजा और तर्पण। इस दिन लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पितरों को श्रद्धा-सुमन अर्पित करने से उनके आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि आती है और व्यक्ति के कष्ट दूर होते हैं। यह दिन पितरों से जुड़े कार्यों को करने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। 

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Updated 23:55 IST, December 19th 2024